Dhan Dhanya Agriculture Scheme : प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजन

Dhan Dhanya Agriculture Scheme : केंद्रीय सरकार ने 16 जुलाई, 2025 को 6 साल की अवधि के लिए “प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना” को मंजूरी दे दी है. यह योजना 2025-26 से 100 जिलों में लागू होगी. नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरित प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना, कृषि और उस से संबंधित क्षेत्रों पर आधारित पहली विशिष्ट योजना है.

इस योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता में बढ़ोत्तरी, फसल विविधीकरण और सतत कृषि पद्धतियों को अपनाना, कटाई के बाद पंचायत और प्रखंड लैवल पर भंडारण क्षमता में वृद्धि, सिंचाई सुविधा में सुधार और दीर्घ व अल्प काल के लिए ऋण उपलब्धता सुगम बनाना है. यह 2025-26 के केंद्रीय बजट में “प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना” के अंतर्गत 100 जिले विकसित किए जाने की घोषणा के अनुरूप हैं. इस योजना का क्रियान्वयन 11 विभागों की 36 मौजूदा योजनाओं, राज्यों की अन्य योजनाओं और निजी क्षेत्र की स्थानीय भागीदारी में किया जाएगा.

इस योजना के तहत 3 प्रमुख घटकों कम उत्पादकता, कम फसल सघनता और अल्प ऋण वितरण के आधार पर 100 जिलों को चुना जाएगा. प्रति एक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में जिलों की संख्या शुद्ध फसल क्षेत्र (वह कुल क्षेत्रफल, जहां किसी कृषि वर्ष में वास्तव में फसलें उगाई जाती हैं) और परिचालन जोत के हिस्से पर आधारित होगी. इस योजना में प्रति एक राज्य से कम से कम एक जिले का चयन किया जाएगा.

इस योजना के नियोजन, क्रियान्वयन और निगरानी के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियां गठित की जाएंगी. जिला धन धान्य समिति द्वारा जिला कृषि और संबद्ध गतिविधि योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा. इस समिति में प्रगतिशील किसान भी सदस्य होंगे. जिले की योजनाएं फसल विविधीकरण, जल और मृदा स्वास्थ्य संरक्षण, कृषि व उस से संबंधित क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और प्राकृतिक व जैविक खेती को विस्तार देने जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप होंगी.

प्रत्येक धन धान्य जिले में योजना में प्रगति की निगरानी प्रति महीने डैशबोर्ड के माध्यम से 117 प्रमुख कार्य करने के संकेतकों के अनुसार की जाएगी. जिस में नीति आयोग भी जिला योजनाओं की समीक्षा और मार्गदर्शन करेगा. इस के अलावा, प्रत्येक जिले में नियुक्त केंद्रीय नोडल अधिकारी भी निरंतर योजना की समीक्षा करेंगे.

इन 100 जिलों में लक्षित परिणामों में सुधार के साथ देश के प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों के मुकाबले समग्र औसत में वृद्धि होगी. इस योजना के परिणामस्वरूप उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होगी, कृषि और उस से संबंधित क्षेत्र में मूल्यवर्धन (उत्पाद और सेवा में उत्थान)  होगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार सृजित होगा. इस प्रकार इस योजना से घरेलू उत्पादन में वृद्धि और देश में आत्मनिर्भरता हासिल होगी. इन 100 जिलों के संकेतकों में सुधार के साथ देश के संकेतकों में भी वृद्धि होगी.

Fertilizers : नकली और घटिया गुणवत्ता वाले उर्वरकों को जड़ से खत्म करना है

Fertilizers : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास शिवराज सिंह चौहान ने सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख कर नकली व निम्न गुणवत्ता वाले उर्वरकों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए इस पर तुरंत और सख्त कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए हैं. यह पत्र देश भर में नकली उर्वरकों की बिक्री और सब्सिडी वाले उर्वरकों की कालाबाजारी व जबरन टैगिंग जैसी अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के उद्देश्य से जारी किया गया है.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पत्र में कहा है कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसानों की आय में स्थिरता बनाए रखने के लिए उन्हें गुणवत्तापूर्ण उर्वरक सही समय पर, सुलभ दरों पर और मानक गुणवत्ता के साथ उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है.

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 (जो कि आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत आते हैं) के तहत नकली व निम्न गुणवत्ता वाले उर्वरक की बिक्री प्रतिबंधित है.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पत्र लिख कर निम्नलिखित निर्देश राज्यों को जारी किए हैं :

– किसानों को सही स्थान और उन जगहों पर जहां इन की जरुरत है, पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराना राज्यों की जिम्मेदारी है. इसलिए राज्य कालाबाजारी, अधिक मूल्य पर बिक्री और सब्सिडी वाले उर्वरकों के डायवर्जन जैसी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी व  तुरंत कार्रवाई करें.

– उर्वरक के निर्माण व बिक्री की नियमित निगरानी और सैंपलिंग व परीक्षण के माध्यम से नकली एवं निम्न गुणवत्ता वाले उत्पादों पर सख्त नियंत्रण किया जाए.

– पारंपरिक उर्वरकों के साथ नैनोउर्वरक अथवा जैवउत्तेजक उत्पादों की जबरन टैगिंग को तुरंत रोका जाए.

– दोषियों के विरुद्ध लाइसैंस रद्द, प्राथमिकी पंजीकरण सहित सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और मामलों का प्रभावी अनुसरण कर दंड सुनिश्चित किया जाए.

– राज्यों को फीडबैक व सूचना तंत्र विकसित कर किसानों/किसान समूहों को निगरानी प्रक्रिया में शामिल करने, और किसानों को असली और नकली उत्पादों की पहचान हेतु जागरूक करने के लिए विशेष प्रयास करने के निर्देश भी दिए गए हैं.

केंद्रीय मंत्री ने सभी राज्यों से अनुरोध किया है कि उपर्युक्त दिशानिर्देशों के अनुसार एक राज्यव्यापी अभियान शुरू  कर नकली और घटिया गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट्स की समस्या को जड़ से समाप्त किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि यदि राज्य स्तर पर इस कार्य की नियमित निगरानी की जाएगी तो यह किसानों के हित में एक प्रभावी और स्थायी समाधान सिद्ध होगा.

Ashwagandha : अश्वगंधा की खेती पर प्रशिक्षण

Ashwagandha : देवारण्य योजना के अंतर्गत आज मध्य प्रदेश राज्य औषधि पादप बोर्ड, भोपाल के निर्देशानुसार कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल व जिला आयुष अधिकारी डा. केएस गनावे के मार्गदर्शन में विकास खंड चांचौड़ा और आरोन के किसानों व स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को “एक जिला एक औषधीय पौधा” योजना के अंतर्गत अश्वगंधा की खेती संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किया गया.

इस प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर द्वारा अश्वगंधा की कृषि के लिए खेत तैयार करना, पौध तैयार करना, बिजाई, जैविक खाद प्रयोग, कीटनाशक प्रयोग, निराईगुड़ाई, सिंचाई फसल कटाई, उपज भंडारण, प्रसंस्करण, विपणन, फसल चक्र, रासायनिक संगठन उच्च गुणवत्ता और उपयोग आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी प्रदान की.

अश्वगंधा के औषधीय गुणों की जानकारी

आयुर्वेदिक यूनानी औषधीयों में अश्वगंधा के उपयोग और विभिन्न प्रकार के रोगों में अश्वगंधा के प्रयोग व आयुर्वेदिक योगों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है. साथ ही, औषधीय पौधे अश्वगंधा की आर्थिक संभावनाओं के बारे में भी बताया गया है.

आयुष अधिकारी डा. केएस गनावे ने बताया कि देवारण्य योजना के अंतर्गत जिले में अश्वगंधा को “एक जिला एक औषधि पौधा” के रूप में चयनित किया गया है, जिस के तहत जिलेभर में अश्वगंधा की खेती को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देना और स्थानीय समितियों को मजबूत बनाना है. विशेषज्ञों द्वारा यह भी बताया गया कि अश्वगंधा को मिरेकल प्लांट और इंडियन जिनसेंग भी कहते है. जिस की मांग घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेजी से बढ़ रही है.

विकास खंड चांचौड़ा में डा. पर्वत सिंह धाकड़, डा. जयराम यादव, डा. आकांक्षा गुप्ता,  अजब सिंह लोधा द्वारा और विकास खंड आरोन में डा. विजय कुमार वर्मा, डा. अंकेश अग्रवाल, डा. हुकुम सिंह धाकड़, शैलेंद्र श्रीवास्तव द्वारा प्रशिक्षण दिया गया. इस प्रशिक्षण में उपस्थित सभी सदस्यों को प्रशिक्षण किट एवं प्रमाण पत्र वितरित किए गए.

हमारा लक्ष्य सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए अन्न उपलब्ध करवाना है

Shivraj Singh Chauhan : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर के भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम सभागार में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की 96वीं वार्षिक आम बैठक की अध्यक्षता की.

इस बैठक में 18 से ज्यादा केंद्रीय एवं राज्य मंत्री शामिल रहे. इस बैठक में आईसीएआर के महानिदेशक डा. एमएल जाट ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वार्षिक प्रतिवेदन 2024-2025 का संकल्प पढ़ा. इस बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की सालाना रिपोर्ट 2024-25 जारी की गई. साथ ही, कृषि एवं प्रौद्योगिकी संबंधित चार पुस्तकों का विमोचन भी किया गया.

इस के बाद सभी मंत्रियों ने बैठक को संबोधित किया, जिस में उन्होंने भारत के खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी और कृषि क्षेत्र में तेजी से हो रही प्रगति को ले कर खुशी जाहिर की. इस बैठक में सभी मंत्रियों ने भविष्य में खेती और किसान समृद्धि की दिशा में एक जुट हो कर सार्थक प्रयास करने की प्रतिबद्धता भी जताई. इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फसल औषधि केंद्र के विचार को आगे बढ़ाने की भी बात की. साथ ही, विभिन्न राज्यों के मंत्रियों से महत्त्वपूर्ण योजनाओं को जारी रखने और महत्त्वहीन योजनाओं को खत्म करने और नई योजनाओं के शुरू होने को ले कर सुझाव भी आमंत्रित किए. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि योजनाओं का वास्तविक लाभ किसानों को मिल रहा है या नहीं, इस की पहचान करना बेहद जरूरी है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है, राज्य सरकारों के सहयोग के बिना कृषि की उन्नति के प्रयास अधूरे हैं. केंद्र और राज्यों को मिल कर कृषि क्षेत्र के लिए कार्य करना होगा. उन्होंने कहा एक समय था जब हमें निम्न गुणवत्ता वाला गेहूं अमेरिका से आयात कर के खाना पड़ता था. भारत के बारे में यह छवि थी कि हम कभी खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं बन सकते. लेकिन आज यह छवि और मिथक पूरी तरह से मिट गई है. खाद्यान्न के मामले में भारत रिकौर्ड कायम कर रहा है. अन्न के भंडार भर रहे हैं. खाद्यान्न उत्पादन में रिकौर्ड स्तर पर वृद्धि दर्ज की गई है. आज हम कृषि उत्पाद निर्यात कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हमारी उपलब्धियां अभिनंदनीय हैं, जिस के लिए सभी वैज्ञानिकों और आईसीएआर की टीम को बधाई देता हूं. लेकिन उपलब्धियों के साथसाथ कुछ चुनौतियां भी हैं, जिस दिशा में हमें काम करना होगा. उन्होंने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान में जो सुझाव व बातें उभर कर आई हैं, उसी के आधार पर आगे का रास्ता तय होगा. राज्य के हिसाब से भावी अनुसंधान के रास्ते तय करने होंगे. मांग आधारित अनुसंधान की जरूरत है. सिर्फ कागजी औपचारिकता के लिए अनुसंधान नहीं, बल्कि किसानों की उपयोगिता को देखते हुए अनुसंधान किए जाने चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि सोयाबीन, दलहन, तिलहन में अभी और अधिक शोध व काम की जरूरत है. गेहूं, चावल, मक्के के साथसाथ दलहन, तिलहन व अन्य फसलों के उत्पादन में वृद्धि को ले कर तेजी से प्रयास करने होंगे. जिस के लिए राज्यवार व फसलवार कार्य योजना बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि कल मैं ने मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खेती का निरीक्षण किया. जहां खराब बीज की गंभीर समस्या देखने को मिली. खराब बीज के कारण अकुंरण ही नहीं हो पाया था. जिस के बारे में मैं ने तुरंत जांच के आदेश दे दिए हैं. अमानक बीज, खाद और उर्वरक बेहद गंभीर विषय है, जिसे ले कर भी सरकार जल्द ही कड़ा कानूनी प्रावधान लाएगी. उर्वरकों के एमआरपी पर भी काम करने की जरूरत है. उर्वरक की सही कीमत तय होनी बहुत जरूरी है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि फसलवार बैठकों का क्रम शुरू किया जा चुका है. सोयाबीन पर मध्य प्रदेश के इंदौर में बड़ी बैठक की गई है. आगे अब कपास, गन्ने व अन्य फसलों को लेकर भी विशेष बैठकें की जाएगी. आने वाली 11 जुलाई को कोयंबटूर में कपास को ले कर सम्मेलन करेंगे. कपास मिशन को उपयोगी बनाने पर विचार करेंगे. एकएक फसल पर राज्य की जरूरतों, जलवायु अनुकूलता और किसानों की आवश्यकताओं के अनुसार विस्तारपूर्वक चर्चा की जाएगी और उचित समाधान के साथ उत्पादन बढ़ोतरी पर काम होगा.

उन्होंने आगे वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के और बेहतर इस्तेमाल के साथ किसानों की मांग के अनुरूप और आधुनिक खेती के उपकरण बनाने की दिशा में प्रयास करें. हाल ही के एक अनुभव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक किसान द्वारा ऐसे उपकरण बनाने की मांग की गई थी, जो उर्वरकता की जांच कर सके. ऐसा उपकरण जो बता सके कि तय मापदंड के अनुसार उर्वरक की गुणवत्ता सही है या नहीं, उर्वरक उपयोगी है या नहीं. ऐसे ही कई विचार किसानों से चर्चा के दौरान सामने आते हैं, जिसे आधार बनाकर शोध की दिशा तय की जा सकती है. उन्होंने कहा कि लैब और संस्थानों का सैद्धांतिक ज्ञान जब व्यावहारिक स्वरूप में किसानों तक पहुंचेगा, तभी सही मायने में शोध की सार्थकता सिद्ध होगी.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि रबी की फसल से पहले राज्यों के साथ मिल कर फिर से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के जरीए किसानों तक विज्ञान को ले जाने की कोशिश होगी. रबी सम्मेलन दो दिन का होगा. पहले दिन रूपरेखा तय होगी, दूसरे दिन राज्यों के कृषि मंत्री तय रूपरेखा को अनुमोदित करते हुए अंतिम कार्य योजना को रूप देंगे. भारत की माटी की उर्वरक क्षमता अतुलनीय है. मुझे यकीन है कि भारत देश के लिए भी और दुनिया के लिए भी अन्न की उपज करेगा और दुनिया का फूड बास्केट बनेगा.

उन्होंने आगे कहा कि विकसित भारत के लिए विकसित खेती और समृद्ध किसान जरूरी है. जिस के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. उन्होंने कहा कि मैं स्वयं खेतों में जा कर किसानों से मिल कर खेती को जमीनी स्तर पर समझने की कोशिश कर रहा हूं. कश्मीर के सेब हो, केसर हो, उत्तर प्रदेश का गन्ना या कर्नाटक की सुपारी हो, मैं सब जगह जा कर खेती को नजदीक से समझने और भावी रणनीतियों को ले कर प्रयासरत हूं.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि खेती मात्र एक व्यवसाय नहीं देश की सेवा है. हमें भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी है. 144 करोड़ आबादी के लिए खाद्यान्न सुरक्षा के साथसाथ पोषणयुक्त आहार उपलब्ध करवाना है, आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित रखना है, हमारा लक्ष्य सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी अन्न की उपलब्धता करवाना है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में भौतिक प्रगति की चाह में दुनिया के कई देश ऐसे कदम उठा रहे है, जिस से प्रकृति को नुकसान हो रहा है. लेकिन हमें ऐसा मार्ग चुनना है जो प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना, विकास की दिशा तय करे.

अंत में शिवराज सिंह ने वैज्ञानिकों से कहा कि आप बेहतर काम कर रहे हैं, जिस के लिए बधाई के पात्र हैं. लेकिन उपलब्धियों के साथसाथ चुनौतियों पर भी काम करना होगा. मेरा आह्वान है कि आगे की शोध की रूपरेखा चुनौतियों और उन के समाधान को ध्यान में रखते हुए तय कर, बढ़ते रहें और कृषि क्षेत्र में नई सफलताएं हासिल करते रहें.

Potato : आगरा में खुलेगा अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र

Potato: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 24 जून, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के सिंगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू (Potato) केंद्र के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना की मंजूरी को एक महत्वपूर्ण कदम बताया है.

पिछले दिनों दिल्ली में मीडिया से बातचीत में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गेहूं और चावल के बाद उपभोग के लिहाज से आलू का तीसरा स्थान है. चीन के बाद भारत आलू उत्पादन में दूसरे नंबर पर है. आलू प्रमुख फसल भी है और खाद्य सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद जरूरी है, लेकिन भारत में ज्यादातर आलू की टेबल वैरायटी का उत्पादन होता है, जबकि निर्यात बाजार में प्रोसैस करने योग्य किस्मों की मांग अधिक होती है. इस में जर्म प्लाज्म का भंडार होगा, जिस का उपयोग कर के अधिक उत्पादकता वाले बीज तैयार किए जाएंगे.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ऐसी नई किस्मों के उत्पादन का कार्य किया जाएगा जो जलवायु अनुकूल हों और गर्मी, रोगों और कीटों जैसी अन्य विभिन्न समस्याओं से लड़ने में सक्षम हो. इस केंद्र के माध्यम से बायोफोर्टिफाईड किस्मों के विकास पर भी बल दिया जाएगा. साथ ही, आलू की ऐसी वैरायटी बनाने पर भी जोर होगा, जिसे मुधमेह के मरीज भी खा सके.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान में, आलू का ज्यादातर उत्पादन उत्तर भारतीय राज्यों में होता है और विंध्य पर्वत श्रृंखला के दक्षिण में उत्पादन बहुत कम है, इसलिए इस केंद्र के माध्यम से विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों के अनुसार आलू की किस्मों के विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा. अभी देश में 34 फीसदी आलू का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है, जिस में आगरा व आसपास के क्षेत्र प्रमुख है, इसलिए आगरा में इस केंद्र की स्थापना का निर्णय लिया गया है.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि केवल आलू ही नहीं बल्कि, अन्य कंदीय फसलों जैसे शकरकंद उस के भी क्वालिटी से भरपूर उत्पादन की दिशा में कार्य किया जाएगा. इस के लिए एक समन्वय समिति का भी गठन किया जाएगा, जिस में भारत सरकार के कृषि सचिव व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक शामिल रहेंगे.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि केंद्र के माध्यम से जो भी वैरायटी तैयार की जाएगी, उस पर भारत सरकार का अधिकार होगा. सभी वैरायटी पर हमारा नियंत्रण रहेगा.

Price Support Scheme : सरकार करेगी मूंग और उड़द की खरीद

Price Support Scheme : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 24 जून, 2025 को नई दिल्ली में बैठक कर मध्य प्रदेश में मूंग और उड़द व उत्तर प्रदेश में उड़द को मूल्य समर्थन योजना (Price Support Scheme) के तहत खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. साथ ही, खरीद से संबंधित व्यवस्थाओं को ले कर राज्य के कृषि मंत्रियों के साथ संवाद भी किया और नाफेड, एन.सी.सी.एफ. व राज्य के संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशानिर्देश भी दिए.

मध्य प्रदेश के लिए राज्य सरकार से प्राप्त प्रस्ताव पर मंत्रालय द्वारा विचार करने और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह द्वारा राज्य सरकार व अन्य हितधारकों के साथ बैठक के बाद मूल्य समर्थन योजना के तहत राज्य में ग्रीष्मकालीन मूंग और ग्रीष्मकालीन उड़द खरीद करने की मंजूरी प्रदान की गई है.

उत्तर प्रदेश में मूल्य समर्थन योजना के तहत राज्य में ग्रीष्मकालीन उड़द खरीद करने की मंजूरी प्रदान की गई है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक में कहा कि मूंग और उड़द की खरीद के फैसले से केंद्र सरकार को बड़ा वित्तीय भार उठाना पड़ेगा, लेकिन इस के बावजूद किसान हित के लिए सरकार किसानों तक लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि खरीद सही तरीके से हो. किसानों से सीधे खरीद से ही बिचौलियों की सक्रियता कम होगी और सही मायनों में लाभ किसान तक पहुंच पाएगा. अधिकारियों को दिशानिर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि आधुनिकतम व कारगर प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के साथ किसानों के पंजीकरण की उचित व्यवस्थाएं की जाएं. अगर जरूरत पड़े तो खरीद केंद्रों की संख्या में भी इजाफा करें व उचित और पारदर्शी व्यवस्था के साथ खरीद फसलों की खरीद सुनिश्चित करें.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भंडारण को ले कर मिल रही अव्यवस्था की शिकायत को ले कर भी चिंता जाहिर की और अधिकारियों व राज्यों के कृषि मंत्रियों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए प्रयास करने की बात कही. उन्होंने उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री से कहा कि केंद्र सरकार किसानों के हित में हरसंभव काम करेगी.

इस बैठक में मध्य प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी व अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे.

Farming Schemes : खेतीबाड़ी की योजनाएं बंद कमरों में नहीं, खेतों में बनेंगी

Farming Schemes : देशभर में चलने वाले 15 दिवसीय ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत  11 जून, 2025 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों के साथ दिल्ली के बाहरी इलाके स्थित तिगीपुर गांव में पहुंच कर वहां के किसानों से चौपाल पर संवाद किया. जहां उन्होंने कृषि ड्रोन तकनीक का अवलोकन भी किया और कहा कि केंद्र सरकार की हर कृषि योजना का लाभ अब दिल्ली के किसानों को भी मिलेगा. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अब खेतीबारी की योजनाएं बंद कमरों में नहीं बल्कि खेतों में बनेंगी.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने दिल्ली पहुंचते ही सब से पहले तिगीपुर में किसान चौपाल में किसानों से खुला संवाद कर उन की बातें ध्यानपूर्वक सुनी. उन्होंने बीज उत्पादन, पौलीहाउस खेती, स्ट्राबेरी उत्पादन और अन्य उच्च मूल्य फसलों से जुड़े उत्पादन को ले कर किसानों से चर्चा की. उन्होंने नवाचार करने वाले किसानों के अनुभव को जाना और उन की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे प्रगतिशील किसान देश की नई खेती के अग्रदूत हैं.

इस के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन देखा, जिस में कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव की आधुनिक विधियों को प्रस्तुत किया गया. उन्होंने वैज्ञानिकों से तकनीक की लागत, प्रभावशीलता और अनुकूलन के बारे में भी जानकारी ली. साथ ही, उन्होंने ने नर्सरी का भी अवलोकन किया और अन्य किसानों से चर्चा करते हुए उन की खेतीबारी से जुड़ी बातें जानीं.

बाद में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान किसान सम्मेलन में शामिल हुए, जहां उन्होंने कहा कि अब अनुसंधान बंद कमरों में नहीं बल्कि खेतों में किसानों के साथ मिलकर होगा. वैज्ञानिक गांवगांव पहुंच कर जो फीडबैक लाएंगे, उसी के आधार पर किसानों के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि पिछले 15 दिनों में देशभर में आईसीएआर की 2,170 टीमों ने किसानों के बीच जा कर तकनीक और शोध संबंधी जागरूकता फैलाई है. साथ ही, किसानों की समस्याओं को सुन कर जो समाधान मिल सके, उस के लिए त्वरित कार्य कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है और बाकी पर गंभीरता से प्रयास जारी है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को मिट्टी की घटती उर्वरता के बारे में आग्रह किया और कहा कि मिट्टी की जांच अवश्य कराएं और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर फसल का चयन करें. यही टिकाऊ कृषि का आधार है.

उन्होंने आगे बताया कि सरकार का विशेष फोकस अब फसल विविधीकरण, बाजारोन्मुखी खेती, और बागबानी आधारित मौडल पर है. उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे क्षेत्रों को बागबानी हब के रूप में विकसित किया जा सकता है क्योंकि यहां बाजार की उपलब्धता बहुत मजबूत है और अब तकनीक के बिना खेती में प्रतिस्पर्धा संभव नहीं है. खेती हो या मार्केटिंग दोनों में किसानों को प्रौद्योगिकी का सहयोग लेना होगा. केंद्र सरकार इस के लिए हर स्तर पर सहयोग देने के लिए समर्पित है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि अब तक दिल्ली के किसान केंद्र सरकार की कई योजनाओं से वंचित थे, लेकिन अब यह स्थिति बदलेगी. दिल्ली के किसान अब आत्मनिर्भर भारत के सपनों में पूरी भागीदारी निभाएंगे. केंद्र की हर कृषि योजना का लाभ अब दिल्ली के किसानों को मिलेगा.

उन्होंने आगे कहा कि कई योजनाएं हैं जिन में प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा), मूल्य समर्थन योजना, मूल्य घाटा भुगतान योजना, बाजार हस्तक्षेप योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना व अन्य प्रावधान जिन में अनुदान देना, पौलीहाउस और ग्रीन हाउस बनाने के लिए केंद्र सरकार से सब्सिडी शामिल हैं, जिस से अब तक दिल्ली के किसान वंचित रहे हैं.

Farming Schemesइस के साथ ही परंपरागत कृषि विकास योजना, नए बाग लगाने के लिए योजना, पुराने बागों के जीर्णोद्धार के लिए योजना, नर्सरी के लिए योजना सब्सिडी की योजनाएं, कृषि उपकरणों पर सब्सिडी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ भी दिल्ली के किसानों तक नहीं पहुंच पाया है, लेकिन अब ये सारी योजनाएं दिल्ली में लागू की जाएंगी. दिल्ली सरकार से इस संबंध में प्रस्ताव मांगा गया है. इलेक्ट्रोनिक कांटे व खाद की खरीद के लिए भी मदद की जाएगी. किसान अपने खूनपसीने से देश के अन्न भंडार भर रहे हैं. अपने किसानों की उन्नति के लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नकली कीटनाशकों और उर्वरक बनाने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो भी हमारे किसानों के साथ धोखाधड़ी या गड़बड़ी करेगा, उस को बख्शा नहीं जाएगा. सरकार इस संबंध में कड़ा कानून लाने जा रही है और हम दिल्ली के किसानों की तरक्की करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.

इस अभियान के जरीए किसानों की समस्याएं सुन, किसान-वैज्ञानिक संवाद स्थापित करने और कृषि में प्रौद्योगिकी को तेज गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की गई है.

पशुपालन व कृषि में उन्नत तकनीकों (Advanced Techniques) को अपनाए

Advanced Techniques : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के संस्थान केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर तहसील मालपुरा, जिला टोंक (राजस्थान) की अनुसूचित जनजाति उपयोजना (टीएसपी) के माध्यम से सिकराय तहसील के ग्राम पंचायत घूमना की कड़ी की कोठी चौराहे पर किसान वैज्ञानिक संगोष्ठी एवं खरीफ की फसलों के गुणवत्ता बीज वितरण कार्यक्रम का आयोजन 9 जून, 2025 को किया गया.

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत इस कार्यक्रम में अविकानगर संस्थान एवं कृषि विज्ञान केंद्र दौसा के वैज्ञानिक एवं कर्मचारीयों ने भी किसानों को उन्नत और नवीन कृषि तकनीक सहित पशुपालन की खास तकनीकियों के बारे में भी जानकारी दी.

केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा तहसील में स्थित है, जो साल 1962 से राजस्थान राज्य के किसानों के साथ देश के किसानों को भेड़बकरी व खरगोश पालन पर प्रशिक्षण, उन्नत नस्ल के पशुओं का वितरण, उन का वैज्ञानिक प्रबंधन के साथ विभिन्न सेवाएं प्रदान कर रहा है. इस 9 जून के किसान वैज्ञानिक संगोष्ठी कार्यक्रम में केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान के निदेशक व स्टेट कोऔर्डिनेटर विकसित कृषि संकल्प अभियान, डा. अरुण कुमार तोमर मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम मे शामिल हुए.

इस कार्यक्रम में उन के साथ कृषि विज्ञान केंद्र दौसा के प्रभारी डा. बनवारी लाल जाट एवं उन की टीम के सदस्य डा. अक्षय चितोड़ा, डा. देवेंद्र मीना अविकानगर के पशु कार्यिकी, जैव रसायन विभाग के अध्यक्ष डा. सत्यवीर सिंह डांगी, अविकानगर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक टीएसपी नोडल अधिकारी डा. अमरसिंह मीना, डा. चंदन गुप्ता, पंचायत समिति सिकराय के सरपंच संघ के अध्यक्ष विपिन मीना, घूमना के साथ आसपास की पंचायतो के सरपंचों ने भी विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया.

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. अरुण कुमार तोमर ने उपस्थित किसानों को वर्तमान मौसम की चुनौतियां व भविष्य की संभावनाओं के लिए कृषि एवं पशुपालन की नवीनतम तकनीकियों को अपनाने के लिए विस्तार से चर्चा की. साथ ही, रूरल इंडिया को रियल इंडिया बनाने के लिए विकसित कृषि की ओर लोगों को बढ़ने का आह्वान किया. इस के साथ ही, अपने संस्थान के पशु भेड़ एवं बकरी को वर्तमान समय के लिए सब से उपयुक्त पशु बताते हुए ऐसे पशुओं को किसानों का एटीएम बताया. जिस से किसी भी समय मांस एवं दूध बेच कर पैसा कमाया जा सकता है.

इस कार्यक्रम में उपस्थित किसानों को वैज्ञानिक भेड़बकरी पालन प्रशिक्षण ले कर पशुओं के विभिन्न पालन तकनीकियों को अपने उपलब्ध संसाधनों के अनुसार अपनाने के लिए प्रेरित किया गया. अविकानगर के निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर ने उपस्थित किसानों को बताया कि संस्थान की टीएसपी उपयोजना में जनजाति भेड़पालक किसानों को प्राथमिकता देते हुए हमने आप के क्षेत्र के जनजाति भेड़पालकों को संस्थान की गतिविधियों के बारे में बताया है, और आगे भी हम जनजाति भेड़पालक किसानों को प्राथमिकता के आधार पर संस्थान से जोड़ रहे हैं, जो भी जनजाति किसान भेड़पालन से जुड़े हैं, वो मेरे संस्थान के अधिकारियों से संपर्क कर इस टीएसपी उपयोजना का लाभ उठा सकते हैं.

अंत में निदेशक द्वारा उपस्थित किसानों को भारत सरकार की राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के बारे में बताया गया. साथ ही, इस को प्रोत्साहन के रूप में लेते हुए अपने छोटे पशुओं के पालन को उद्यमिता विकास की ओर ले जाने के लिए किसानों को जरूरी सुझाव दिए गए. इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डा. बनवारी लाल जाट द्वारा भी वर्तमान खेती की समस्या पर किसानो के सवाल का जवाब दिया गया.

Advanced Techniquesकेवीके की वैज्ञानिक टीम द्वारा नकली खाद बीज एवं दवाइयों के बारे में किसानों को जागरुक करते हुए कार्यक्रम के बाद वितरित की जाने वाली विभिन्न बारिश फसलों (मुंग, ज्वार, तिल, ग्वार एवं किचन गार्डन के लिए सब्जियों की किट) की किस्म के बारे अधिक उत्पादन के लिए के लिए आवश्यक सुझाव दिए.

इस कार्यक्रम में उपस्थित वैज्ञानिक और प्रगतिशील किसानों द्वारा कृषि एवं पशुपालन योजनाओं के बारे में मौजूद किसानों को जानकारी दी गई. अविकानगर संस्थान की टीएसपी उपयोजना के नोडल अधिकारी डा. अमर सिंह मीना ने बताया कि आज के कार्यक्रम में राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड, नई दिल्ली की बारिश के मौसम की विभिन्न फसलों जैसे तिल (किस्म- GT-6 1.5 क्विंटल बीज), मूंग (किस्म MH-1142 15 क्विंटल बीज), ज्वार (किस्म CSV-41 4 क्विंटल बीज), ग्वार (किस्म HG-2-20 10 क्विंटल बीज) और बेहतर पोषण के लिए किचन गार्डन सब्जियों किट आदि का भी वितरण मौजूद अतिथियों द्वारा किया गया.

इस प्रकार कुल 30.5 क्विंटल (800 बीज पैकेट) गुणवत्ता युक्त बीज का प्रथम लाइन प्रदर्शन मौजूद किसानों के खेत पर लगेंगे. अविकानगर संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में दौसा जिले की विभिन्न तहसील सिकराय, बहरावड़ा, बैजूपाड़ा, सिकंदरा आदि के विभिन्न गांवो (घूमना, जयसिंहपुरा, पाटन, बुजेट, गीजगढ़, गढ़ी, बनेपुरा, जयसिंहपुरा, नामनेर, सिकराय, कैलाई, गनीपुर, पिलोड़ी, खेड़ी रामला, निकटपुरी, दंड खेड़ा, मानपुर, लोटवाड़ा, नांदरी, गिरधारीपुरा, नाहरखोरा, लाखनपुरा, बसेड़ी, भावगढ़, गेरोटा, चांदपुर, आगवली, गेरोज, मोहलई, गडोरा आदि गांव ) के 600 से ज्यादा जनजाति किसानों ने कार्यक्रम मे पहुंच कर दी गई जानकारी से लाभान्वित हुए और  उन को गुणवत्ता बीज का वितरण भी किया गया.

इस कार्यक्रम के समापन पर सरपंच घूमना एवं सिकराय सरपंच संघ के अध्यक्ष श्रीमान विपिन मीना ने कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों एवं गांव वासियों को धन्यवाद दिया और आगे भी इस तरह के कार्यक्रम किसानों के लिए उपयोगी बताते हुए आयोजित करने का निवेदन निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर से किया गया.

इस किसान वैज्ञानिक संगोष्ठी कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए अविकानगर संस्थान के वैज्ञानिक डा. चंदन गुप्ता, सहायक कर्मचारी छुट्टन लाल मीना, नरेश बिश्नोई, विष्णु भटनागर समेत  घूमना गांववासियों ने अपना पूरा सहयोग दिया.

लुवास को मिला पेटेंट, अब थनैला (Mastitis) रोग से जल्द मिलेगी मुक्ति

Mastitis : लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) को पशुओं में थनैला (मैस्टाइटिस) की जांच के लिए एक नवीन जैव रासायनिक तकनीक के लिए भारत सरकार से पेटेंट मिला  है. “दूध में अल्फा-1 एसिड ग्लाइकोप्रोटीन की सांद्रता का अनुमान लगाने के लिए जैव रासायनिक परख” शीर्षक इस तकनीक को पेटेंट संख्या 566866 प्रदान की गई है.

लुवास के कुलपति एवं अनुसंधान निदेशक डा. नरेश जिंदल ने बताया कि यह तकनीक गाय और भैंसों में थनैला की पहचान के लिए उपयोगी सिद्ध होगी. थनैला एक आर्थिक दृष्टि से बेहद गंभीर बीमारी है, और इस नई विधि से उस का सटीक निदान आसान हो सकेगा. परीक्षण में दूध के नमूने को एक विशिष्ट रसायन के साथ मिला कर स्पेक्ट्रोफोटोमीटर के माध्यम से अल्फा-1 एसिड ग्लाइकोप्रोटीन की मात्रा मापी जाती है, जो बीमारी की उपस्थिति में बढ़ जाती है.

यह शोध कार्य स्नातकोत्तर छात्र डा. अनिरबन गुहा द्वारा विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफैसर डा. संदीप गेरा के मार्गदर्शन में पशु चिकित्सा फिजियोलौजी एवं जैव रसायन विभाग में पूर्ण हुआ. डा. नरेश जिंदल ने दोनों वैज्ञानिकों को इस उल्लेखनीय नवाचार के लिए बधाई दी और कहा कि यह उपलब्धि लुवास की अनुसंधान गुणवत्ता को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाती है. डा. नरेश जिंदल ने आशा जताई कि भविष्य में लुवास के वैज्ञानिकों एवं स्नातकोत्तर छात्र अपने अनुसंधान कार्य को नवाचार की दृष्टि से योजनाबद्ध कर और अधिक आईपीआर  पंजीकरण में योगदान देंगे.

अब तक लुवास को एक अंतरराष्ट्रीय पेटेंट (तीन देशों में), 12 राष्ट्रीय पेटेंट और 2 कौपीराइट प्राप्त हो चुके हैं. विश्वविद्यालय ने कई अन्य अनुसंधानों के लिए भी बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के तहत आवेदन प्रस्तुत किए हैं.

डा. संदीप गेरा ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “यह परीक्षण तकनीक थनैला के तुरंत निबटान को आसान और सुलभ बनाएगी. हमारा उद्देश्य पशुपालकों को कम लागत पर वैज्ञानिक समाधान उपलब्ध कराना है, और यह नवाचार उसी दिशा में एक सार्थक कदम है. मुझे गर्व है कि यह शोध कार्य अब पेटेंट के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है.”

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. एसएस ढाका, पशु चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता, डा. गुलशन नारंग, मानव संसाधन एवं प्रबंधन निदेशक, डा. राजेश खुराना, स्नातकोत्तर अधिष्ठाता, डा. मनोज रोज और डा. नरेश कक्कड़ भी उपस्थित रहे.

Animal Health : पशु स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन

Animal Health : भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भा.कृ.अनु.प.)-केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर द्वारा 05 जून, 2025 को टोंक जिले की मालपुरा तहसील के गरजेड़ा, पिपल्या एवं चांदसेन गांवों में किसान संगोष्ठी एवं पशु स्वास्थ्य शिविरों का सफल आयोजन किया गया.

जिन में कुल 364 किसानों में से 241 पुरूष एवं 123 महिला किसानों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और वैज्ञानिकों से सीधी बातचीत की. इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर, अभियान के नोडल अधिकारी डा. एलआर गुर्जर सहित संस्थान के वैज्ञानिकों ने विभिन्न विषयों पर किसानों का मार्गदर्शन किया.

इन शिविरों में प्राकृतिक खेती के साथ जीवामृत बना कर भूमि को कैसे सुधार सकते हैं, जैविक कीटनाशक, मृदा स्वास्थ्य, बीजोपचार, जल प्रबंधन व सुक्ष्म सिंचाई, डिजिटल कृषि, पशुओं में होने वाली प्रजनन समस्याएं, पशु आहार और सरकारी योजनाओं की जानकारी जैसे विषयों पर चर्चा की गई. साथ ही, बीमार पशुओं की जांच व उपचार भी किया गया.

इस कार्यक्रम के दौरान किसानों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कई अहम समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया. जिन में प्रमुख रूप से शामिल हैं टोंक जिले में घटती दलहनी फसलें, ऊसर भूमि एवं खारे पानी की समस्या, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसल की खरीद में देरी, नकली एवं महंगे उर्वरक, प्रमाणित बीजों की कमी, पशु चिकित्सा सेवाओं का अभाव, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में मुआवजे की अनुचित कटौती, मुआवजा प्राप्ति की समय सीमा तय किए जाने की आवश्यकता समेत किसानों ने सरकार से इन समस्याओं के शीघ्र समाधान के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की. इसी कड़ी में ग्राम गरजेड़ा में रात्रि चौपाल का आयोजन किया गया, जिस में संस्थान के वैज्ञानिकों ने ग्रामीणों से सीधे बातचीत कर उन की समस्याएं सुनीं और समाधान के लिए आगे की रणनीति पर विचारविमर्श किया.

इस अभियान के अंतर्गत नागौर जिले की मेड़ता सिटी तहसील के ग्राम मोकलपुर में 5 जून, 2025 को किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल विभाग राजस्थान सरकार, कन्हैया लाल चौधरी, किसान आयोग अध्यक्ष, सीआर चौधरी, समन्वयक विकसित कृषि संकल्प अभियान, राजस्थान, डा. अरुण कुमार तोमर, स्थानीय विधायक, जिला प्रमुख एवं उपजिला प्रमुख सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे.

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया. साथ ही, अभियान के अंतर्गत डूंगरपुर  एवं दौसा जिलों में भी कृषि विज्ञान केंद्र की टीमों के साथ मिल कर केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर द्वारा डूंगरपुर जिले के 6 गांव (आंतरी, पाड़ला मोरु, डोजा, गोड़ा फला, आरा व सूखा पादर) से कुल 949 प्रतिभागी शामिल हुए. दौसा जिले के 3 गांव (ठिकरिया, हापावास व थूमड़ी) से 694 प्रतिभागी उपस्थित रहे. दोनों जिलों से कुल 1,550 किसान (615 महिलाएं, 935 पुरुष) व 93 अन्य मिला कर कुल 1,643 प्रतिभागियों ने भाग लिया.