Ashwagandha : देवारण्य योजना के अंतर्गत आज मध्य प्रदेश राज्य औषधि पादप बोर्ड, भोपाल के निर्देशानुसार कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल व जिला आयुष अधिकारी डा. केएस गनावे के मार्गदर्शन में विकास खंड चांचौड़ा और आरोन के किसानों व स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को “एक जिला एक औषधीय पौधा” योजना के अंतर्गत अश्वगंधा की खेती संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किया गया.
इस प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर द्वारा अश्वगंधा की कृषि के लिए खेत तैयार करना, पौध तैयार करना, बिजाई, जैविक खाद प्रयोग, कीटनाशक प्रयोग, निराईगुड़ाई, सिंचाई फसल कटाई, उपज भंडारण, प्रसंस्करण, विपणन, फसल चक्र, रासायनिक संगठन उच्च गुणवत्ता और उपयोग आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी प्रदान की.
अश्वगंधा के औषधीय गुणों की जानकारी
आयुर्वेदिक यूनानी औषधीयों में अश्वगंधा के उपयोग और विभिन्न प्रकार के रोगों में अश्वगंधा के प्रयोग व आयुर्वेदिक योगों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है. साथ ही, औषधीय पौधे अश्वगंधा की आर्थिक संभावनाओं के बारे में भी बताया गया है.
आयुष अधिकारी डा. केएस गनावे ने बताया कि देवारण्य योजना के अंतर्गत जिले में अश्वगंधा को “एक जिला एक औषधि पौधा” के रूप में चयनित किया गया है, जिस के तहत जिलेभर में अश्वगंधा की खेती को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देना और स्थानीय समितियों को मजबूत बनाना है. विशेषज्ञों द्वारा यह भी बताया गया कि अश्वगंधा को मिरेकल प्लांट और इंडियन जिनसेंग भी कहते है. जिस की मांग घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेजी से बढ़ रही है.
विकास खंड चांचौड़ा में डा. पर्वत सिंह धाकड़, डा. जयराम यादव, डा. आकांक्षा गुप्ता, अजब सिंह लोधा द्वारा और विकास खंड आरोन में डा. विजय कुमार वर्मा, डा. अंकेश अग्रवाल, डा. हुकुम सिंह धाकड़, शैलेंद्र श्रीवास्तव द्वारा प्रशिक्षण दिया गया. इस प्रशिक्षण में उपस्थित सभी सदस्यों को प्रशिक्षण किट एवं प्रमाण पत्र वितरित किए गए.