Shivraj Singh Chauhan : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर के भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम सभागार में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की 96वीं वार्षिक आम बैठक की अध्यक्षता की.
इस बैठक में 18 से ज्यादा केंद्रीय एवं राज्य मंत्री शामिल रहे. इस बैठक में आईसीएआर के महानिदेशक डा. एमएल जाट ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वार्षिक प्रतिवेदन 2024-2025 का संकल्प पढ़ा. इस बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की सालाना रिपोर्ट 2024-25 जारी की गई. साथ ही, कृषि एवं प्रौद्योगिकी संबंधित चार पुस्तकों का विमोचन भी किया गया.
इस के बाद सभी मंत्रियों ने बैठक को संबोधित किया, जिस में उन्होंने भारत के खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी और कृषि क्षेत्र में तेजी से हो रही प्रगति को ले कर खुशी जाहिर की. इस बैठक में सभी मंत्रियों ने भविष्य में खेती और किसान समृद्धि की दिशा में एक जुट हो कर सार्थक प्रयास करने की प्रतिबद्धता भी जताई. इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फसल औषधि केंद्र के विचार को आगे बढ़ाने की भी बात की. साथ ही, विभिन्न राज्यों के मंत्रियों से महत्त्वपूर्ण योजनाओं को जारी रखने और महत्त्वहीन योजनाओं को खत्म करने और नई योजनाओं के शुरू होने को ले कर सुझाव भी आमंत्रित किए. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि योजनाओं का वास्तविक लाभ किसानों को मिल रहा है या नहीं, इस की पहचान करना बेहद जरूरी है.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है, राज्य सरकारों के सहयोग के बिना कृषि की उन्नति के प्रयास अधूरे हैं. केंद्र और राज्यों को मिल कर कृषि क्षेत्र के लिए कार्य करना होगा. उन्होंने कहा एक समय था जब हमें निम्न गुणवत्ता वाला गेहूं अमेरिका से आयात कर के खाना पड़ता था. भारत के बारे में यह छवि थी कि हम कभी खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं बन सकते. लेकिन आज यह छवि और मिथक पूरी तरह से मिट गई है. खाद्यान्न के मामले में भारत रिकौर्ड कायम कर रहा है. अन्न के भंडार भर रहे हैं. खाद्यान्न उत्पादन में रिकौर्ड स्तर पर वृद्धि दर्ज की गई है. आज हम कृषि उत्पाद निर्यात कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हमारी उपलब्धियां अभिनंदनीय हैं, जिस के लिए सभी वैज्ञानिकों और आईसीएआर की टीम को बधाई देता हूं. लेकिन उपलब्धियों के साथसाथ कुछ चुनौतियां भी हैं, जिस दिशा में हमें काम करना होगा. उन्होंने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान में जो सुझाव व बातें उभर कर आई हैं, उसी के आधार पर आगे का रास्ता तय होगा. राज्य के हिसाब से भावी अनुसंधान के रास्ते तय करने होंगे. मांग आधारित अनुसंधान की जरूरत है. सिर्फ कागजी औपचारिकता के लिए अनुसंधान नहीं, बल्कि किसानों की उपयोगिता को देखते हुए अनुसंधान किए जाने चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि सोयाबीन, दलहन, तिलहन में अभी और अधिक शोध व काम की जरूरत है. गेहूं, चावल, मक्के के साथसाथ दलहन, तिलहन व अन्य फसलों के उत्पादन में वृद्धि को ले कर तेजी से प्रयास करने होंगे. जिस के लिए राज्यवार व फसलवार कार्य योजना बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि कल मैं ने मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खेती का निरीक्षण किया. जहां खराब बीज की गंभीर समस्या देखने को मिली. खराब बीज के कारण अकुंरण ही नहीं हो पाया था. जिस के बारे में मैं ने तुरंत जांच के आदेश दे दिए हैं. अमानक बीज, खाद और उर्वरक बेहद गंभीर विषय है, जिसे ले कर भी सरकार जल्द ही कड़ा कानूनी प्रावधान लाएगी. उर्वरकों के एमआरपी पर भी काम करने की जरूरत है. उर्वरक की सही कीमत तय होनी बहुत जरूरी है.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि फसलवार बैठकों का क्रम शुरू किया जा चुका है. सोयाबीन पर मध्य प्रदेश के इंदौर में बड़ी बैठक की गई है. आगे अब कपास, गन्ने व अन्य फसलों को लेकर भी विशेष बैठकें की जाएगी. आने वाली 11 जुलाई को कोयंबटूर में कपास को ले कर सम्मेलन करेंगे. कपास मिशन को उपयोगी बनाने पर विचार करेंगे. एकएक फसल पर राज्य की जरूरतों, जलवायु अनुकूलता और किसानों की आवश्यकताओं के अनुसार विस्तारपूर्वक चर्चा की जाएगी और उचित समाधान के साथ उत्पादन बढ़ोतरी पर काम होगा.
उन्होंने आगे वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के और बेहतर इस्तेमाल के साथ किसानों की मांग के अनुरूप और आधुनिक खेती के उपकरण बनाने की दिशा में प्रयास करें. हाल ही के एक अनुभव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक किसान द्वारा ऐसे उपकरण बनाने की मांग की गई थी, जो उर्वरकता की जांच कर सके. ऐसा उपकरण जो बता सके कि तय मापदंड के अनुसार उर्वरक की गुणवत्ता सही है या नहीं, उर्वरक उपयोगी है या नहीं. ऐसे ही कई विचार किसानों से चर्चा के दौरान सामने आते हैं, जिसे आधार बनाकर शोध की दिशा तय की जा सकती है. उन्होंने कहा कि लैब और संस्थानों का सैद्धांतिक ज्ञान जब व्यावहारिक स्वरूप में किसानों तक पहुंचेगा, तभी सही मायने में शोध की सार्थकता सिद्ध होगी.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि रबी की फसल से पहले राज्यों के साथ मिल कर फिर से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के जरीए किसानों तक विज्ञान को ले जाने की कोशिश होगी. रबी सम्मेलन दो दिन का होगा. पहले दिन रूपरेखा तय होगी, दूसरे दिन राज्यों के कृषि मंत्री तय रूपरेखा को अनुमोदित करते हुए अंतिम कार्य योजना को रूप देंगे. भारत की माटी की उर्वरक क्षमता अतुलनीय है. मुझे यकीन है कि भारत देश के लिए भी और दुनिया के लिए भी अन्न की उपज करेगा और दुनिया का फूड बास्केट बनेगा.
उन्होंने आगे कहा कि विकसित भारत के लिए विकसित खेती और समृद्ध किसान जरूरी है. जिस के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. उन्होंने कहा कि मैं स्वयं खेतों में जा कर किसानों से मिल कर खेती को जमीनी स्तर पर समझने की कोशिश कर रहा हूं. कश्मीर के सेब हो, केसर हो, उत्तर प्रदेश का गन्ना या कर्नाटक की सुपारी हो, मैं सब जगह जा कर खेती को नजदीक से समझने और भावी रणनीतियों को ले कर प्रयासरत हूं.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि खेती मात्र एक व्यवसाय नहीं देश की सेवा है. हमें भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी है. 144 करोड़ आबादी के लिए खाद्यान्न सुरक्षा के साथसाथ पोषणयुक्त आहार उपलब्ध करवाना है, आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित रखना है, हमारा लक्ष्य सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी अन्न की उपलब्धता करवाना है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में भौतिक प्रगति की चाह में दुनिया के कई देश ऐसे कदम उठा रहे है, जिस से प्रकृति को नुकसान हो रहा है. लेकिन हमें ऐसा मार्ग चुनना है जो प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना, विकास की दिशा तय करे.
अंत में शिवराज सिंह ने वैज्ञानिकों से कहा कि आप बेहतर काम कर रहे हैं, जिस के लिए बधाई के पात्र हैं. लेकिन उपलब्धियों के साथसाथ चुनौतियों पर भी काम करना होगा. मेरा आह्वान है कि आगे की शोध की रूपरेखा चुनौतियों और उन के समाधान को ध्यान में रखते हुए तय कर, बढ़ते रहें और कृषि क्षेत्र में नई सफलताएं हासिल करते रहें.