Vegetables on Rooftops : शहरों में ताजा सब्जियों की उपलब्धता बहुत मुश्किल से ही हो पाती है, क्योंकि किसान द्वारा तुड़ाई के बाद मंडी में लाने और मंडी से फुटकर सब्जी विक्रेताओं तक पहुंचतेपहुंचते सब्जियों को औसतन 2 दिन लग जाते हैं. सब्जी बेचने वाले कभीकभी सब्जियों को ताजा दिखाने के लिए खतरनाक कैमिकल्स का भी उपयोग करते हैं. गांवदेहांत से शहर में ला कर सब्जी बेचने वालों की सब्जियां ताजा तो होती हैं, लेकिन मंडी से आई सब्जियों से वे थोड़ी महंगी होती है.
सब्जियों में अन्य फसलों की अपेक्षा कीटबीमारियों का प्रकोप ज्यादा देखा गया है. खासकर बैगन, भिंडी, गोभी, लोबिया जैसी सब्जियां कीटों से ज्यादा प्रभावित होती है. ऐसे में चाहे गांव से आईं ताजा सब्जियां हों या मंडी से आई सब्जियां हों, सभी में कीटबीमारियों की रोकथाम के लिए कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग किया जाता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर किसानों को यह ही नहीं पता होता है कि खादउर्वरक की संतुलित मात्रा कितनी होनी चाहिए. इस लिए मानक से ज्यादा कीटनाशकों का उपयोग मानव के सेहत के लिए काफी खतरनाक साबित हो रहा है.
सब्जियों में खतरनाक कैमिकल्स के उपयोग से बचने के लिए लोगों में जैविक और प्राकृतिक तरीके से उगाई गई सब्जियों की मांग बढ़ती जा रही है. लेकिन जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियां बड़ी मुश्किल से मिल पाती हैं. जैविक सब्जियों का दाम भी बाजार मूल्य से ज्यादा होता है.
शहरों में कीटनाशी उपयोग वाली सब्जियों से बचने, जैविक तरीके से उपजाई जाने वाली एक तरह की खेती को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है, जिस में हम बिना जमीन के ही अपनी खाली छतों पर सब्जियां और फल उगा कर पैसे की बचत तो कर ही सकते हैं, साथ ही जैविक तरीके से उगाई जाने वाली ये सब्जियां सेहत के भी फायदेमंद होती हैं. बिना मिट्टी और जमीन के ही अपने खाली छत पर खेती किए जाने को रूफटौप फार्मिंग या टैरेस फार्मिंग के नाम से जाना जाता है.
रूफटौप फार्मिंग एक बहुत अच्छा काम है, जो व्यक्ति को सप्ताहभर कुछ घंटों के लिए व्यस्त रखता है. इस से परिवार के लिए ताजा एवं रसायनमुक्त सब्जियां सुगमता से हर समय उपलब्ध रहती हैं.
छत पर उगाई जाने वाली सब्जियां आप के घर को गरमियों में ठंडा रखने में भी मददगार साबित होती हैं. छत पर की जाने वाली खेती के जरीए कई मैट्रो यानी बड़े शहरों में अब लोग अपने खाली छतों पर उगाई गई, देशीविदेशी सब्जियों का आनंद ले रहे हैं, साथ ही उन्हें प्रदूषण भरे माहौल से राहत भी मिल रही है.
बिहार सरकार द्वारा छत पर खेती यानी रूफटौप फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है. कुछ ऐसी कंपनियां भी इस क्षेत्र में आ गई हैं, जो आप के लिए रूफटौप फार्मिंग का पूरा स्ट्रक्चर तैयार कर उस में पौधे तक रोप कर देती हैं.