Vermicompost : केंचुए के द्वारा जीवांश पदार्थों (कार्बनिक पदार्थों) को अपघटित कर वर्मी कंपोस्ट (Vermicompost) तैयार की जाती है. इस विधि में कूड़ेकचरे (भोजन अवशेष, फल एवं सब्जियों आदि के छिलके और सब्जी मंडी का कचरा आदि), फसलों के अवशेष (पुआल, भूसा, पत्तियां, खरपतवार, डंठल, गन्ने की खोई, गोबर और बायोगैस के अवशेष आदि) एवं कृषि उद्योग (तेल मिल, चीनी मिल, शराब मिल, प्रसंस्करण उद्योग आदि) से जुड़े अपशिष्ट पदार्थ जैसे व्यर्थ पदार्थों को पुन: उपयोगी पदार्थ वर्मी कंपोस्ट में परिवर्तित कर दिया जाता है.

कैसे बनाएं वर्मी कंपोस्ट (Vermicompost)?

किसी ऊंचे छायादार स्थान जैसे किसी वृक्ष के नीचे अथवा शैड में 2×2×1 मीटर क्रमश: लंबाई, चौड़ाई और गहराई वाला एक गड्ढा बनाएं अथवा गड्ढा नहीं बना पाने की स्थिति में इसी माप का लकड़ी अथवा प्लास्टिक की पेटी का उपयोग भी किया जा सकता है, जिस की निचली सतह पर जल निकासी के लिए 10-12 छेद बना देने चाहिए.

Vermicompost

सब से नीचे ईंट या पत्थर की 11 सैंटीमीटर की एक परत बनाएं. इस के बाद 20 सैंटीमीटर की मोरंग अथवा बालू की दूसरी सतह बना कर उसे पानी के हलके से छिड़काव से इसे नम बना देना चाहिए. इस के बाद इस परत के ऊपर अधसड़ा गोबर डाल कर एक किलोग्राम प्रति गड्ढे की दर से ‘आइसीनिया फोटिडा’ एवं ‘यूड्रिलम यूजिनी’ प्रजाति के लाल केंचुओं को इस में छोड़ देना चाहिए.

इस के ऊपर 5-10 सैंटीमीटर घरेलू कचरे और फसल अवशेषों को बिछा देना चाहिए. इस के बाद लगभग 20-25 दिन तक आवश्यकता के अनुसार पानी का हलका छिड़काव करते रहें. इस के बाद प्रति 2 सप्ताह के बाद 5-10 सैंटीमीटर सड़ने योग्य कूड़ेकचरे की तह तब तक लगाते रहें, जब तक कि पूरा गड्ढ़ा भर न जाए और प्रतिदिन छिड़काव भी करते रहें.

कार्बनिक पदार्थ के ढेर पर लगभग 50 फीसदी नमी का होना आवश्यक है.

6-7 सप्ताह में वर्मी कंपोस्ट (Vermicompost) बन कर तैयार हो जाती है. वर्मी कंपोस्ट के बनने के बाद 2-3 दिन तक पानी के छिड़काव को बंद कर, इस खाद के ढेर को छाया में सुखा लें. फिर इसे 2 मिलीमीटर छनने से छान कर अलग कर देना चाहिए और इस प्रकार से तैयार हुई इस खाद को आवश्यक मात्रा में प्लास्टिक की थैलियों में भर देते हैं.

केंचुए का कल्चर या इनाकुलम तैयार करना

केंचुए कूड़े के ढेर को नीचे की तरफ से कंपोस्ट में बदलते हुए ऊपर की तरफ बढ़ते हैं. इसलिए पूरे गड्ढे में कंपोस्ट खाद तैयार हो जाने के बाद इस की ऊपरी सतह पर कूड़े की एक नई परत बिछा दें. फिर पानी का छिड़काव कर इसे नम बना लें. अब इस सतह की ओर सभी केंचुए आकर्षित हो जाएंगे. तब इन्हें हाथ या किसी अन्य चीज की सहायता से किसी दूसरे स्थान पर एकत्र कर सकते हैं और फिर किसी दूसरे नए गड्ढे में अंतक्रमण हेतु उपयोग कर सकते हैं.

वर्मी कंपोस्ट के लाभ

* मृदा की संरचना, वायु संचार, जल धारण क्षमता एवं मृदा के भौतिक एवं जैविक गुणों में भी अपेक्षित सुधार आता है.

* नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने वाले जीवाणुओं की संख्या में आशातीत वृद्धि होती है.

* इस से स्वच्छता में वृद्धि और प्रदूषण पर नियंत्रण होता है.

* यह लघु कुटीर उद्योग के रूप में लाभकारी होता है, जो रोजगार के नए अवसरों का भी सृजन करता है.

* इस से कृषि उत्पादों के स्वाद, गुणवत्ता और उपज में वृद्धि होती है.

* यह रासायनिक उर्वरकों की खपत को कम कर के मृदा और मानव स्वास्थ्य के प्रति एक सुरक्षित एवं प्रभावकारी उपाय है.

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