महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय के अंतर्गत कृषि में महिलाओं पर आधारित अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना एवं कुक्कुट प्रजनन अनुसंधान परियोजना के सयुंक्त तत्वावधान में ‘‘कुक्कुटपालन इकाई वितरण कार्यक्रम‘‘ का आयोजन किया गया. इस आयोजन में महिलाओं को मुरगीपालन को बढ़ावा देने के लिए चूजे वितरित किए गए. चूजे वितरित करने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार दिलाना और उन को आत्मनिर्भर बनाना था. महिलाओं को अंबावली पंचायत के विभिन्न गांव कल्याणपुरा, अंबावली और छानकला से एकत्रित किया गया, जिस में तकरीबन 50 ग्रामीण महिलाओं ने भाग लिया और प्रत्येक महिला को 20 चूजे अर्थात कुल मिला कर 1,000 चूजे वितरित किए गए.
कार्यक्रम का संचालन डा. कुसुम शर्मा व चारु नागर द्वारा डा. सुधा बाबेल और डा. हेमू राठौड़ के नेतृत्व में किया गया.
मुरगीपालन विषय विशेषज्ञ डा. मुकेश पांचाल द्वारा महिलाओं को कुक्कुट का रखरखाव और देखभाल के बारे में बताया गया, खासकर मुरगियों को रहने वाली जगह पर खास फोकस किया गया. वहां उन्हें बताया गया कि मुरगियों का दड़बा बनाते समय यह ध्यान में रखें कि एक मुरगी को 1.5 -2.0 वर्ग फुट जगह की जरूरत होती है. दड़बा जमीन से थोड़ा ऊपर ढलान पर छायादार स्थान पर हो और उस में हवा का आवागमन ठीक हो. दड़बे की लंबाई पूर्वपश्चिम में होनी चाहिए, ताकि तीखी धूप व सीधे प्रकाश यानी रोशनी से मुरगियों को बचाया जा सके. मुरगी आवास में बिछावन के लिए चावल की भूसी, गेहूं का भूसा काम में लिया जाना चाहिए, ताकि मुरगियों को गरमी से बचाया जा सकता है और बैठने का फर्श भी सूखा रखा जा सकता है.