नई दिल्ली: नदी डाल्फिन पर किए गए शोध के अनुसार, गंगा की मुख्यधारा में इन की जनसंख्या स्थिर मानी जा रही है. हालांकि सहायक नदियों में इन की जनसंख्या में गिरावट आई है. भारत सरकार इस दिशा में सघनता से काम कर रही है.

इस संदर्भ में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में लिखित उत्तर दे कर बताया कि गंगा नदी डाल्फिन को वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I में सूचीबद्ध किया गया है, जिस के अनुसार डाल्फिन की सुरक्षा की पुख्ता उपाय किए गए है.

उन्होंने आगे बताया कि गंगा नदी डाल्फिन को भारत के राष्ट्रीय जलीय जीव के रूप में नामित किया गया है. लोक सभा में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना 'वन्यजीव आवासों का विकास' के तहत राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए गंगा नदी डाल्फिन को गंभीर रूप से लुप्तप्राय 22 प्रजातियों में से एक के रूप में शामिल किया गया है.

राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि गंगा नदी के किनारे डाल्फिन के महत्वपूर्ण आवासों को विक्रमशिला डाल्फिन अभयारण्य, बिहार की तरह संरक्षित क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित किया गया है, जिस के तहत नदी डाल्फिन और जलीय आवासों की देखरेख सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक कार्ययोजना (2022-2047) विकसित की गई है, जिस में विभिन्न हितधारकों और संबंधित मंत्रालयों की भूमिका की पहचान की गई है.

गंगा डाल्फिन से जुड़ी जरूरी बातें

गंगा डाल्फिन को लुप्तप्राय सूची में शामिल किया गया है. वयस्क गंगा डाल्फिन का वजन 70 किलोग्राम से 90 किलोग्राम तक होता है. गंगा डाल्फिन आमतौर पर गंगाब्रह्मपुत्र, सिंधुमेघना नदियों के क्षेत्र भारत, नेपाल और बांग्लादेश शामिल हैं, में पाई जाती है.

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