इस सीजन में पशुओं के दूध देने की कूवत दूसरे मौसम की तुलना में काफी कम हो जाती है. इस वजह से पशुपालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. गरमी बढ़ते ही पशुपालकों को चाहिए कि पशुओं के खानपान पर खासा ध्यान दें, जिस से दूध देने पर ज्यादा असर न पड़े, इसलिए इस मौसम में पशुओं की देखभाल करना काफी अहम माना जाता है.

पशु डाक्टरों का कहना है कि पशुओं को दिन में 3 से 4 बार पानी पिलाएं, लेकिन हर बार ताजा पानी ही दें. सुबहशाम पशुओं को नहलाना भी चाहिए, ताकि उन में ताजगी बनी रहे.

आमतौर पर देखा जाता?है कि इस मौसम में पशु अपना आहार कम कर देते हैं, इसलिए उन के खानपान पर खास ध्यान दें. इस के लिए उन्हें हरा चारा के साथसाथ मिनिरल्स मिला कर के दें, जिस से दूध देने की कूवत पर खास फर्क न पड़े.

इस सीजन में पशुओं में बीमारियां भी खूब फैलती?हैं. इन में प्रमुख रूप से गलाघोंटू है. इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए पहले से टीका लगवा लेना बेहतर होता है.

उत्तर भारत में गरमी शुरू होते ही गरम हवा अपना असर दिखाने लगती है, जो आगे जा कर लू में बदल जाती?है. गरम मौसम में हवा के गरम थपेड़ों और बढ़े हुए तापमान से पशुओं में लू लगने का खतरा बढ़ जाता है. ज्यादा समय तक धूप में रहने पर पशुओं को सनस्ट्रोक बीमारी हो सकती है, इसलिए उन्हें किसी हवादार या छायादार जगह पर बांधें.

इस मौसम में पशुओं के नवजात बच्चों की देखभाल जरूर करें. अगर पशुपालक उन का ढंग से खयाल नहीं रखते हैं तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

समस्या और समाधान

* गरमी के मौसम में पशुओं की सांस लेने व छोड़ने की रफ्तार बढ़ जाती?है. वे हांफने लगते हैं और उन के मुंह से लार गिरने लगती है.

* पशुओं के शरीर में बाईकार्बोनेट आयनों की कमी हो जाती है और खून का पीएच मान बढ़ जाता है.

* त्वचा की ऊपरी सतह का रक्त प्रभाव बढ़ जाता है, जिस के चलते अंदरूनी ऊतकों पर भी असर हो जाता?है.

* दूध देने की कूवत में कमी आ जाती है.

* पशुओं में पानी पीने की जरूरत बढ़ जाती है.

आप अगर बताए गए तरीकों पर काम करें तो पशुओं को?ज्यादा परेशानी नहीं होगी. इस का फायदा यह होगा कि दूध देने की कूवत कम नहीं होगी. पशुओं को भी मौसम के मुताबिक रहने और खानेपाने का इंतजाम करना जरूरी होता है, वरना उस का उलटा असर होता है.

इन बातों का रखें ध्यान

*    पशुओं को दिन के समय सीधी धूप से बचाएं. साथ ही, उन्हें बाहर चराने न ले जाएं.

*    पशुओं को बांधने के लिए हमेशा छायादार और हवादार जगह चुनें.

*    पशुओं को हमेशा ताजा पानी पिलाएं.

*    पशुओं के पास भी पीने का साफ पानी रखें.

*    पशुओं को ज्यादा से ज्यादा हरा चारा खिलाएं.

*    पशुओं में असामान्य लक्षण नजर आते ही पशु डाक्टर से बात करें या उन्हें दिखा कर सही इलाज कराएं.

*    मुमकिन हो तो डेरी शेड में दिन के समय कूलर, पंखे वगैरह का इस्तेमाल करें.

*    पशुओं को संतुलित आहार दें, खासकर हरा चारा दें.

*    ज्यादा गरमी होने पर पशुओं के शरीर पर पानी का छिड़काव करें.

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