बकरियां बीमार पड़ने पर खानापीना छोड़ देती हैं और आंख बंद कर किसी कोने में खड़ी हो कर हांफती नजर आती हैं.

पीपीआर बीमारी में बकरियों के शरीर का तापमान 105 से 106 डिगरी फारेनहाइट तक हो जाता है. नाक बहने लगती है. साथ ही, बदबूदार दस्त भी शुरू हो जाते हैं.

बकरी की आंखों के अंदर की तरफ और मसूड़ों में घाव हो जाता है, जिस से बकरियों का खानापीना प्रभावित होता है. यहां तक कि गर्भवती बकरियों का गर्भपात तक हो जाता है.

बचाव के उपाय

* जैसे कोरोना से बचाव के लिए एकदूसरे से लोग दूरी बना लेते हैं, उसी प्रकार बकरियों को भी उन के झुण्ड में से बीमार बकरी को अलग कर देना चाहिए, जिस से कि यह बीमारी स्वस्थ बकरियों में न फैल सके.

* बीमार बकरियों को रहने व खानेपीने की व्यवस्था अलग से करनी चाहिए.

* वैसे तो इस बीमारी का इलाज नहीं है, फिर भी बकरियों में हर साल इस बीमारी का टीकाकरण कराना चाहिए.

* बीमार बकरियों को एनरोसिन एंटीबायोटिक 3 से 5 दिन तक देने से मृत्युदर कम हो जाती है. बीमार बकरियों को हलका चारा और दलिया आदि देना चाहिए.

अधिक जानकारी हासिल करने के लिए नजदीक के पशु चिकित्सक से मिल कर संभव हो तो बकरियों का इलाज करवाएं.

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