पशुओं के लिए सालभर पोषक तत्वों से भरपूर हरे चारे की उपलब्धता पशुपालकों के लिए चुनौती के रूप में बनी रहती है. इस का एक कारण मौसम, मिट्टी और सालभर चारा उपलब्ध कराने वाली फसलों की कमी भी है.

ऐसे में कम पानी वाली जगहों, शुष्क क्षेत्रों, रेतीली भूमि, मेंड़ों, नहरों के किनारों जैसी जगहों पर कांटारहित नागफनी, जिसे अपुंसिया के नाम से भी जाना जाता है की खेती कर पशुओं के लिए सालभर हरा और पौष्टिक चारा उपलब्ध कराया जा सकता है.

पशुओं के चारे के लिए नागफनी की खेती बेकार और खाली पड़ी जमीन को भी उपयोग लायक बना देती है. इस की फसल में अन्य चारा फसलों की अपेक्षा लागत में न केवल कमी आ जाती है, बल्कि उत्पादन भी अच्छा मिलता है, जिस से पशुपालकों को हरे चारे की कमी से नजात मिल सकती है.

उन्नत प्रजातियां

चारे के लिए उपयोग में लाई जाने वाली नागफनी की प्रजातियां कांटारहित होती हैं, जिस से यह न केवल हरे चारे के रूप में अच्छी तरह से तैयार की जा सकती है, बल्कि इस में पोषक तत्वों की मात्रा भी प्रचुर रूप में पाई जाती है. चारे के रूप में जिन प्रजातियों का उपयोग खेती के लिए किया जा सकता है, उसमें कैक्टस 1270, कैक्टस 1271और टेक्सास 1308 प्रमुख हैं.

खेत का चयन

चारे वाली नागफनी की खेती वैसे तो सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इस के लिए सब से उपयुक्त मिट्टी रेतीली और दोमट होती है. इस के अलावा इसे कंकरीली, पथरीली, तलहटी व ढालन भरी मिट्टी के साथ ही अनुपजाऊ खेत में भी रोपा जा सकता है.

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