‘हमारे पशु दीवार चाटते हैं...’

‘अच्छा और मिट्टी भी चाटते होंगे.’

‘हां जी.’

‘दूसरे पशुओं का पेशाब भी पीने की कोशिश करते होंगे.’

‘हां जी.’

‘उन के पास पड़ा कपड़ा, थैला, जूता, बैग कुछ भी चबाने लगते होंगे.’

‘हां जी, हां जी, ऐसा ही करते हैं... आप तो अंतर्यामी हैं.’

‘अरे भाई, अंतर्यामी कुछ नहीं... पशुओं के बरताव को अगर हम बारीकी से देखें तो उन की बहुत सी बीमारियों का पता बिना किसी डाक्टरी जांच के भी कर सकते हैं.’

ऊपर जिन लक्षणों का हम ने जिक्र किया है, ऐसे पशुओं में जब फास्फोरस की कमी हो जाती है, तो ये सब लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

पशुओं में फास्फोरस की कमी क्यों हो जाती है?

पशु चारा उगाने की जमीन में अगर फास्फोरस की कमी हो जाएगी, तो उस जमीन में उगी चारा फसलों में भी यह कमी देखने को मिलेगी. उन चारा फसलों को खाने वाले पशुओं में भी यह कमी हो जाएगी और पहले बताए गए सभी लक्षण दिखाई देने लगेंगे.

अगर पशु के रातिब मिश्रण में चोकर नहीं मिलाया गया है, तो भी फास्फोरस की कमी हो सकती है.

फास्फोरस चूंकि दूध में भी स्रावित होता है इसलिए दुधारू पशुओं के चारेदाने में उचित मात्रा में फास्फोरस मौजूद न होने पर भी उन पशुओं में इस की कमी हो जाती है.

Animal
Animal

पशुओं को फास्फोरस कहां से मिलता है?

चारा फसलों और अनाजों के छिलकों में फास्फोरस बहुतायत में पाया जाता है या फिर रातिब मिश्रण में मिलाया जाने वाला विटामिन मिनरल मिक्सचर इस का अच्छा स्रोत है.

फास्फोरस की कमी होने से क्या नुकसान हो सकते हैं?

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...