भारत में प्रमुख अनार उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान हैं. राजस्थान में अनार को जोधपुर, बाड़मेर बीकानेर, चुरू और झुंझुनूं में व्यावसायिक स्तर पर उगाया जाता है. अनार का इस्तेमाल सिरप, स्क्वैश, जैली, रस केंद्रित कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक्स, अनारदाना की गोलियां, अम्ल आदि जैसे प्रसंस्कृत उत्पादों के तैयार के लिए भी किया जाता है.

जलवायु

अनार फल की सफलतापूर्वक खेती के लिए शुष्क और अर्धशुष्क मौसम जरूरी होता है. ऐसे क्षेत्र, जहां ठंडी सर्दियां और उच्च शुष्क गरमी होती है, उन क्षेत्रों में गुणवत्तायुक्त अनार के फलों का उत्पादन होता है.

अनार का पौधा कुछ हद तक ठंड को सहन कर सकता है. इसे सूखासहिष्णु फल भी माना जा सकता है, क्योंकि एक निश्चित सीमा तक सूखा और क्षारीयता व लवणता को सहन कर सकता है, परंतु यह पाले के प्रति संवेदनशील होता है.

इस के फलों के विकास के लिए अधिकतम तापमान 35-38 डिगरी सैल्सियस जरूरी होता है. इस के फल के विकास व परिपक्वता के दौरान गरम व शुष्क जलवायुवीय दशाएं जरूरी होती हैं.

मिट्टी

जल निकास वाली गहरी, भारी दोमट भूमि इस की खेती के लिए उपयुक्त रहती है. मिट्टी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इसे कम उपजाऊ मिट्टी से ले कर उच्च उपजाऊ मिट्टी तक विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. हालांकि, गहरी दोमट मिट्टी में यह बहुत अच्छी उपज देता है. यह कुछ हद तक मिट्टी में लवणता और क्षारीयता को सहन कर सकता है.

अनार की खेती के लिए मृदा का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच उपयुक्त रहता है. अनार के पौधे 6.0 डेसी साइमंस प्रति मीटर तक की लवणता और 6.78 फीसदी विनिमयशील सोडियम को सहन कर सकते हैं.

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