शिटाके मशरूम की अपने स्वाद के कारण उपभोक्ताओं के बीच इस की अच्छी मांग है. आज के समय में चीन और जापान इस बेशकीमती मशरूम के थोक उत्पादक हैं. शिटाके मशरूम देशभर में उगाया जाता है. वर्तमान में इस का 5,700 मीट्रिक टन उत्पादन किया जा रहा है.

औषधीय गुण : शिटाके मशरूम स्वादिष्ठ होने के साथसाथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है. इस का उपयोग बहुत से रोगों के लिए औषधि के रूप में किया जाता है. इस से कैंसर, एड्स, एलर्जी, संक्रमण, फ्लू और जुकाम, ब्रोंकियल सूजन और मूत्र असंयम को विनियमित करने के साथसाथ उच्च कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है.

शिटाके मशरूम में बीग्लूकन और एरीटाडेनिन जैसे घटक होते हैं, जिन में वसा कम करने वाले प्रभाव होते हैं. बीग्लूकेन भोजन के सेवन को कम करता है, पोषण के अवशोषण को धीमा करता है, तृप्ति बढ़ाता है और प्लाज्मा लिपिड के स्तर को कम करता है.

शिटाके मशरूम का सेवन मोटापा और अन्य चयापचय संबंधी विकारों को रोकता है और उन का इलाज करता है. यह प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाता है, जो रोगों से लड़ने में मदद करता है, क्योंकि इस में खनिज, विटामिन और एंजाइम होते हैं.

शिटाके मशरूम कैंसर कोशिकाओं का मुकाबला करने में सहायता करता है. ‘लेंटिनन’ जैसे घटक की उपस्थिति गुणसूत्रों की क्षति की मरम्मत करती है, जो कैंसररोधी उपचारों का परिणाम है.

शिटाके मशरूम का सेवन ट्यूमर कोशिकाओं के विकास को रोकता है. शिटाके मशरूम में स्टेरोल यौगिक लिवर में कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन को रोकता है.

शिटाके मशरूम को आहार में शामिल करने से महत्वपूर्ण तत्त्व जिंक व अतिरिक्त विटामिन ‘बी’ मिलता है. यह वसा और चीनी से रहित है, इसलिए मधुमेह रोगियों और हृदय रोगियों के लिए उत्कृष्ट है.
हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने और हृदय रोग, आटोइम्यून रोग, मधुमेह और कुछ कैंसर की संभावना को कम करने के लिए विटामिन डी आवश्यक है. यह फास्फोरस और कैल्शियम के चयापचय और अवशोषण के लिए भी आवश्यक है. विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देती है, मस्तिष्क के कार्य और शरीर के वजन को बनाए रखती है, संधिशोथ और मल्टीपल स्केलेरोसिस के विकास को कम करती है.

व्यावसायिक खेती : शिटाके मशरूम की व्यावसायिक खेती तुनी, आम, सफेदा, ओक, मेपल और चिनार जैसे चौड़े पत्तों वाले पेड़ों के बुरादे पर की जा सकती है. चौड़े पत्तों वाले पेड़ों के बुरादे का 80 किलोग्राम बुरादा, 19 किलोग्राम गेहूं का चोकर और एक किलोग्राम कैल्शियम कार्बोनेट लें और इस मिश्रण की नमी 60-65 फीसदी और जिप्सम का उपयोग कर के पीएच मान 5.5-6.0 पर होना चाहिए. लकड़ी के बुरादे को 6-18 घंटे और गेहूं के चोकर को 3 घंटे तक भिगो कर रखें. इस मिश्रण को अच्छी तरह से मिलाने के बाद 1.5 से 2 किलोग्राम क्षमता वाले गरमी प्रतिरोधी पौलीप्रोपाइलीन थैलियों में भरें. थैलियों को पहले ढीले ढंग से भरा जाता है और बाद में बेलनाकार आकार पाने के लिए दबाया जाता है.

थैलियों को भरने के बाद इस के मुहाने पर पीवीसी या लोहे का छल्ला डाला जाता है और फिर इन छल्लों पर गैरशोषक रुई बंद यानी सील किया जाता है. बाद में इन मिश्रण से भरे थैलों का आटोक्लेव में डाल कर 22 पौंड प्रेशर पर डेढ़ से दो घंटे तक निर्जीवीकरण किया जाता है.

स्पान यानी बीज का रोपण और फैलाव : शिटाके मशरूम की खेती के लिए तैयार किए गए मिश्रण में स्पान यानी बीज का रोपण करने के लिए पहले थैलों के मुहाने पर लगाई गई रुई की प्लग यानी डाट को हटा लें. अनाजों पर तैयार शिटाके मशरूम के स्पान यानी बीज को सड़न रोकने वाली परिस्थितियों में 3 फीसदी की दर से मिलाया जाता है. स्पान यानी बीज को मिलाने के बाद थैलों को 22-26 डिगरी सैल्सियस पर प्रकाश में 4 घंटे और अंधेरे में 20 घंटे के चक्र में फसल उगने वाले कमरे में उगाया जाता है.

बीज के मिश्रण में फैलने में 60-80 दिन या उस से अधिक का समय लग सकता है. इस अवधि के दौरान इस फफूंद का कवक जाल विकास और फल बनने की विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरती है. फलने के लिए उपयुक्त तापमान, उच्च वास्तविक आर्द्रता, हवा का अच्छा प्रवाह और ठंडे पानी के शाक उपचार की आवश्यकता होती है. इस के लिए लकड़ी के बुरादे पर स्पान फैले हुए ढेलों को 5-8 दिनों के बाद, ठंडे पानी के 4-6 डिगरी सैल्सियस तापमान पर 10-20 मिनट के लिए शाक उपचार दिया जाता है और फिर इस के बाद अगले 5-7 दिनों में खुंब निकलने शुरू हो जाते हैं. मशरूम के डंठल को बुरादे वाले मिश्रण से तोड़ा जाता है. इन की प्रारंभिक अवस्था में ही कटाई कर लेनी चाहिए. इस मशरूम की सामान्य उपज वृद्धि के लिए तैयार लकड़ी के बुरादे मिश्रण के गीले वजन का 35-45 फीसदी तक हो जाती है.

इस मशरूम की व्यावसायिक खेती की नई तकनीक को हाल ही में हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के चंबाघाट में स्थित मशरूम अनुसंधान निदेशालय और बैंगलुरु के पास हसरगट्टा में भारतीय बागबानी अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया है. ताजा मशरूम बाजार में 1,500 रुपए प्रति किलोग्राम बिकता है. अगर हम इसे सुखाते हैं, तो यह बाजार में 15,000 रुपए प्रति किलोग्राम तक में बिकता है.

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