Greenhouse : खीरा खास कर गरमी वाली फसल है. ठंड व पाले से इस फसल को बहुत नुकसान होता है. इस की फसल की बढ़वार के लिए 15-20 डिगरी सेंटीग्रेड तापमान बेहतर होता है. आजकल कई विदेशी नस्ल के बीज ऐसे हैं, जिन्हें किसी भी मौसम में ग्रीन हाउस (Greenhouse) में आसानी से उगाया जा सकता है.

पौध तैयार करना : ग्रीन हाउस (Greenhouse) नर्सरी में साल भर में कभी भी खीरे की पौध तैयार की जा सकती है. ठंड के मौसम में खीरे की पौध तैयार होने में लगभग 1 महीने का समय लगता है, जबकि गरमी के मौसम में 15-20 दिनों में ही खीरे की पौध तैयार हो जाती है.

सर्दी के मौसम में बीजों को ट्रे में बोने के बाद अंकुरण के लिए उन्हें लगभग 25 डिगरी सेंटीग्रेड तापमान पर रखा जाता है. अंकुरण होने के बाद उन्हें ग्रीन हाउस (Greenhouse) में फैला कर बो दिया जाता है. इस तरीके से पौधों का अच्छा विकास होता है.

जमीन की तैयारी : ग्रीन हाउस में पौध की रोपाई से पहले गहरी जुताई कर के व पाटा चला कर, खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लें. मिट्टी को रोगों से बचाने के लिए फार्मल्डीहाइड के घोल से उपचारित करें.

जिस जगह ग्रीन हाउस (Greenhouse) बनाना है, वहां पर प्लास्टिक की पौलीथिन जिस की मोटाई 30 से 40 माइक्रोन हो, इस से वहां की मिट्टी को 15-20 दिनों के लिए ढक दें.

पौलीथिन आरपार दिखाई देने वाली हो, जिस से धूप आएगी तो पौलीथिन के अंदर की गरमी बढ़ेगी. इस से उस में गैस पैदा होगी व वहां के कीट वगैरह मर जाएंगे. फिर 1 सप्ताह के लिए खेत से पौलीथिन हटा दें व मिट्टी को उलटपलट दें, जिस से मिट्टी से गैस वगैरह के अंश निकल जाएंगे. ऐसा करने से फसल की अच्छी पैदावार होगी.

पौध रोपाई : अब ठीक प्रकार से क्यारियां तैयार कर लें. खेत में सिंचाई के लिए ड्रिप पाइप लाइन बिछा दें. पौध रोपाई के समय यह ध्यान रखें कि ड्रिप पाइप लाइन से पानी पौधों को ठीक प्रकार से मिल सके. यानी पौधों को ड्रिप लाइन में छेद के पास ही रोपें.

खीरा बीज किस्मों का चयन : ग्रीन हाउस (Greenhouse) में खीरे की खेती करने के लिए ऐसे बीज का चुनाव करें, जिस का फल मुलायम व ज्यादा पैदावार देने वाला हो. देश में मौजूद ऐसी ही कुछ किस्में हैं: पूसा उदय, स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णा, जापानीज लोंग वगैरह. इस के लिए समय के अनुसार बीज के बारे में जानकारी प्रमाणित बीज केंद्र या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से भी ले सकते हैं, क्योंकि इलाके की जलवायु के हिसाब से बीज की नस्लों में कुछ बदलाव हो सकते हैं.

खीरे की बेल को सहारा देना : खीरे के पौधे जब बढ़ने लगें, तब उन्हें रस्सी के सहारे लपेट कर ऊपर चढ़ा दें. इस के लिए क्यारियों के ऊपर लगभग 6-10 फुट की ऊंचाई पर तार बांध दिए जाते हैं, जिस से रस्सी के सिरों को बांध दिया जाता है, ताकि उस पर खीरे की बेल आसानी से चढ़ सके. इस का सब से बड़ा फायदा तो यह होता है कि फल को पनपने का अच्छा खुलापन मिलता है. साथ ही फल जमीन से अलग रहने पर खराब होने का डर भी नहीं रहता. फल की बढ़वार अच्छी होती है.

खादपानी देना : खीरे की खेती आप जिस मौसम में कर रहे हों, उसी के मुताबिक खादपानी का इंतजाम करना होगा. सर्दी में पानी लगभग 8-10 दिनों के अंतर पर व गरमी में कम दिनों के अंतर पर देना होगा.

ड्रिप सिंचाई में उर्वरक पानी में मिला कर ही दें. उर्वरक की मात्रा फसल की अवस्था, मिट्टी, जलवायु व मौसम के अनुसार घटाबढ़ा कर दें.

फसल पैदावार : इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए खीरे की फसल से हमें अच्छी पैदावार मिलती है. गरमी व वर्षा के समय की फसल से हमें ढाई से 3 महीने तक पैदावार मिलती रहेगी व सर्दी की फसल कुछ और ज्यादा समय तक मिलती है.

सर्दी के मौसम में ग्रीन हाउस (Greenhouse) को चारों ओर से परदे व दरवाजे बंद कर के रखा जाता है, जिस से उस के अंदर का तापमान ज्यादा बना रहे, जबकि गरमी के मौसम में ऐसा करने की जरूरत नहीं होती.

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