आजकल बाजार में बिकने वाली चमकदार फलसब्जियों को रासायनिक उर्वरक का प्रयोग कर के उगाया जाता है. रसायनों का इस्तेमाल खरपतवार, कीड़े व बीमारियों रोकने के लिए किया जाता है.

इन रासायनिक दवाओं का कुछ अंश फलसब्जी में बाद तक भी बना रहता है. इस के कारण इन्हें इस्तेमाल करने वालों में बीमारियों से लड़ने की ताकत कम होती जा रही है.

इस के अलावा फलों व सब्जियों के स्वाद में अंतर आ जाता है, इसलिए हमें अपने घर के आंगन या आसपास की खाली जगह में छोटीछोटी क्यारियां बना कर जैविक खादों का इस्तेमाल कर के रसायनरहित फलसब्जियों को उगाना चाहिए.

स्थान का चयन

इस के लिए स्थान चुनने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती, क्योंकि अधिकतर ये स्थान घर के पीछे या आसपास ही होते हैं. घर से मिले होने के कारण थोड़ा कम समय मिलने पर भी काम करने में सुविधा रहती है.

गृह वाटिका के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करना चाहिए, जहां पानी पर्याप्त मात्रा में मिल सके, जैसे नलकूप या कुएं का पानी, स्नान का पानी, रसोईघर में इस्तेमाल किया गया पानी पोषण वाटिका तक पहुंच सके.

स्थान खुला हो, ताकि उस में सूरज की भरपूर रोशनी आसानी से पहुंच सके. ऐसा स्थान हो, जो जानवरों से सुरक्षित हो और उस स्थान की मिट्टी उपजाऊ हो.

पोषण वाटिका का आकार

जहां तक पोषण वाटिका के आकार का संबंध है, तो वह जमीन की उपलब्धता, परिवार के सदस्यों की संख्या और समय की उपलब्धता पर निर्भर होता है.

लगातार फसल चक्र, सघन बागबानी और अंत:फसल खेती को अपनाते हुए एक औसत परिवार, जिस में 1 औरत, 1 मर्द व 3 बच्चे यानी कुल 5 सदस्य हों, ऐसे परिवार के लिए औसतन 250 वर्गमीटर की जमीन काफी है. इसी से अधिकतम पैदावार ले कर पूरे साल अपने परिवार के लिए फलसब्जियां हासिल की जा सकती है.

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