अगर आप हर रोज ताजी और हरी सब्जियों के खाने के शौकीन हैं तो आप के लिए किचन गार्डन सब से मुफीद तरीका हो सकता है. बस इस के लिए आप को घर का प्लान करने के समय ही ध्यान देने की जरूरत होती है. आप जब भी घर बनवाने की सोचें तो आपने आर्किटेक्ट को बोल कर कुछ खाली हिस्से को किचन गार्डन के लिए जरूर छोड़ निकलवा लें. आप द्वारा किचन गार्डन के लिए छोड़ी गई थोड़ी सी जमीन आप को हर साल हजारों रुपए का फायदा करा सकती है.

गमले भी हो सकते हैं किचेन गार्डन का हिस्सा

जिन लोगों के घर में सब्जियां उगाने के लिए खाली जमीन नहीं हैं. वह भी घर पर किचेन गार्डन बना कर सब्जियां उगा सकते हैं. इस के लिए गमले का इस्तेमाल किया जा सकता है. गमलों में सब्जियां उगाने के पहले गमलों में भरी जाने वाली मिट्टी को पहले से तैयार कर लेना चाहिए. इस के लिए, मिट्टी में गोबर की सड़ी खाद, वर्मी कंपोस्ट, या नाडेप कंपोस्ट को मिट्टी में अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए. मिट्टी में इन खादों को मिलाने के बाद ही गमले में मिट्टी को भरा जाना चाहिए.

गमले में लगाईं जाने वाली सब्जियों के मामले में यह ध्यान दें की एक बार में ही खत्म हो जाने वाली सब्जियों की जगह उन मौसमी सब्जियों को उगाएं जिस से कई बार फलत ली जा सकें. गमले में सब्जी बीज बोने से पहले यह सुनिश्चित कर लें की आप अच्छी किस्म के बीज का इस्तेमाल ही कर रहे हैं. गमले में उगाए जाने वाले सब्जी के मामले में इस बात का विशेष ध्यान देना होता की उस में ली जाने वाली सब्जी के पौधें और जड़ों का फैलाव ज्यादा न हो. इसलिए उन्हीं सब्जियों को लगाना चाहिए  जो कम जगह घेरती हों.

गमलों में लगाईं गई सब्जियों को छत के ऊपर, टेरिस पर या खिड़कियों और दरवाजों के पास आसानी से रखा जा सकता है. जिसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है. इस से गमले में लगाए जाने वाले पौधों को सूरज की रौशनी दिखाना और पानी देना भी आसान होता है.

किचन गार्डन के लिए इन सब्जियों का करें चयन

आप मौसम को ध्यान में रख कर अपने किचन गार्डन के लिए सब्जियों का चयन करें. बारिश के शुरुआत में यानी जून जुलाई में बैगन, मिर्च,  खीरा, तोरई, लोबिया, बरसाती प्याज, अगेती फूलगोभी लोबिया,  भिंडी, अरबी, करेला, लौकी, टमाटर, मिर्च, कद्दू की रोपाई या बुआई की जा सकती है. वही रबी सीजन के शुरुआत यानी अक्तूबरनवंबर में चौलाई, लहसुन, टमाटर, भिंडी, बींस, गांठ गोभी, पत्ता गोभी, शिमला मिर्च, बैगन, सोया, पालक, चुकंदर, मूली मेथी, प्याज, लहसुन, पालक, फूल गोभी, गाजर, शलगम, ब्रोकली, सलाद पत्ता, बाकला, बथुआ, सरसों साग जैसी सब्जियों की बुआई या रोपाई की जा सकती है. जायद के सीजन यानी फरवरीमार्च में घिया, तोरी, करेला, टिंडा, खीरा, लौकी, परवल, कुंदरू, कद्दू. भिंडी, बैगन, धनियां, मुली, ककड़ी, हरा मिर्च, खरबूजा, तरबूज, राजमा, ग्वार जैसी सब्जियों की बुआई कर सकते हैं.

इस के अलावा कुछ मेडिशनल प्लांट को भी उगाया जा सकता है. जिस का उपयोग अगर हम रोज करें तो स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है. इन में नीम, तुलसी, एलोवेरा, गिलोय, पुदीना, अजवायन, सौंफ, मीठी नीम, अदरक का फसल लिया जाना आसान है. इन के साथ ही हम मौसमी फूलों के पौधों की रोपाई कर घरघर की खूबसूरती में भी चारचांद लगा सकते हैं.

जिन के पास पर्याप्त मात्रा में किचन गार्डन के लिए जमीन उपलब्ध हो वह सब्जियों के साथ फलदार पौधे जैसे पपीता, केला, नीबू, अंगूर, अमरूद, स्ट्राबैरी, रसभरी, अनार, करौंदा आदि रोप कर आसानी ताजे फल प्राप्त कर सकते हैं.

Kitchen Garden
Kitchen Garden

 

किचन गार्डन में काम आनेवाले यंत्र

अगर हम किचन गार्डन में सब्जियां या फल उगाने जा रहें है तो उस के लिए काम आने वाले कुछकुछ यंत्रों की भी जरूरत पड़ती है. जिस से किचन गार्डन का काम आसान बनाया जा सकता है. किचन गार्डन में गुड़ाई के लिए कुदाल और फावड़ा को जरूरी यंत्रों में शामिल किया जा सकता है. इस के अलावा निराई के लिए खुरपी, पानी देनें के लिए पाइप और फौआरा, के साथ दरांती, टोकरी, बालटी, सुतली, बांस या लकड़ी का डंडा, एक छोटा स्प्रेयर की भी जरूरत पड़ती है. जो आसानी से नजदीक के मार्केट से खरीदी जा सकती है.

आप भी बना सकतें हैं और्गेनिक खाद

अगर आप को जैविक या कंपोस्ट खाद मौके से बाजार में न भी मिले तो चिंता नहीं करनी चाहिए. क्यों की हम खुद ही घर पर जैविक और कंपोस्ट बना खाद बना कर न केवल बाजार पर निर्भरता कम कर सकते हैं बल्कि पैसों की बचत भी कर सकते हैं. इस के लिए हम घर से निकलने वाले कूड़ेकरकट, सब्जियों के छिलकों, रेत मिट्टी व थोड़ी मात्रा में गोबर की जरूरत पड़ती है. कंपोस्ट खाद बनानें के लिए हम जमीन में एक गहरा गड्ढा खोद सकते हैं. या मिट्टी के बड़े गमलें का प्रयोग भी कर सकते हैं. सब से पहले इस गड्ढे या गमले के तले मिट्टी की मोटी परत बिछाई जाती है. इस के ऊपर किचन से निकलने वाले सब्जियों और फलों के मुलायम छिलके और पल्प डाला जाता है इस के बाद ऊपर से मिट्टी की मोटी परत डाल कर ढक दिया जाता है. 15-20 दिन में यह खाद इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार हो जाती है. जिसे अपने किचन गार्डन में खाद के रूप में किया जा सकता है.

ऐसे करें बीज की बुआई और पौधों की रोपाई-कचन गार्डन में कुछ सब्जियों को सीधे बीज द्वारा बोकर उपजाया जा सकता है. तो कुछ के पौधों को नर्सरी में तैयार किए जाने के बाद रोपा जाता है. जिन सब्जियों की मिट्टी में सीधे बुआई की जाती है उन में करेला, बीन्स, लौकी, घिया, तरोई, कद्दू, लहसुन, प्याज, ककड़ी, पालक, अरबी, लोबिया, खीरा, मूली, धनियां, चौलाई, अजवायन, तुलसी जैसी फसलें शामिल की जा सकती हैं. जिन सब्जियों के पौधों की रोपाई करनी पड़ती है उस में फूल व पत्ता गोभी, टमाटर, बैगन, परवल, सौंफ, पुदीना, हरी व शिमला मिर्च, जैसी तमाम सब्जियां शामिल हैं. सीधे बुआई की जाने वाली सब्जियों की बुआई मेड़ या क्यारी बना कर की जानीं चाहिए. धनियां, प्याज, पुदीना को गार्डन में आनेजाने के रास्तों के बगल और मेड़ पर उगाया जा सकता है. जिन सब्जियों के पौधों की रोपाई करनी होती है उसे किसी विश्वसनीय नर्सरी से ही लेना उचित होता है.

आप ने अपने किचन गार्डन में जिन सब्जियां की बुआई कर रखी है उस में कोशिश करें की आप हर पंद्रह दिन पर फसल को में और्गेनिक खाद मिलती रहे. इस के अलावा फसल में उपयुक्त नमी बनाएं रखने के लिए समय से सिंचाई करते रहना भी जरूरी है. गर्मियों में सिंचाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. कोशिश करें की फसल में खरपतवार न उगने पाए इसलिए नियमित रूप से खरपतवार निकालते रहें.

रखे यह सावधानी

किचन गार्डन की शुरुआत करने के पहले कुछ सावधानियों को बरतनें की खासा आवश्यकता होती है. इसलिए अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्रों से इस की जानकारी ले सकते है. देशभर में बनाए गए ज्यादतर कृषि विज्ञान केंद्र शहरों से सटे हुए हैं जहां गृह विज्ञान और किचन गार्डन से जुड़े एक्सपर्ट भी होते हैं. इन से जानकारी ले कर किचन गार्डन में सब्जियां उगाना ज्यादा फायदेमंद होता है. इस के अलावा कृषि महकमें की वेबसाइटों, आइसीएआर की वेबसाइट से भी जानकारी ली जा सकती है.

कृषि विज्ञान केंद्र बस्ती के विशेषज्ञ राघवेंद्र विक्रम सिंह का कहना है की किचन गार्डन में लगाए जाने वाली सब्जियों के उचित बढ़वार के लिए खुली धूप मिलना जरूरी है. इसलिए हमें घर बनाने का प्लान करते समय इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए. घर बनाते समय उस के आसपास की मिट्टी में कंकड़म पत्थर की मात्रा बढ़ जाती है. जिसे गुड़ाई कर निकाल कर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना उचित होता है.

हम जिन सब्जियों के बीज को सीधे मिट्टी में बो रहे है उसे बुआई के पूर्व में ही जैव फफूंदनाशी व जैव कल्चर से उपचारित करने कर लेना चाहिए. इस के अलावा बेल वाली सब्जियां जैसे लौकी, तोरई, करेला, खीरा आदि को दीवार के सहारे छत के ऊपर ले जा सकते हैं. इस से बाकी जमीन पर लताएं नहीं फैलती है और खाली जमीन पर हम दूसरी सब्जियों की बुआई कर सकते हैं. सब्जियों की सालभर उपलब्धता बनी रहे इस के लिए हमें सब्जियों के चयन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है.

किचन गार्डन बनाने के लाभ

कृषि विज्ञान केंद्र बस्ती के विशेषज्ञ राघवेंद्र विक्रम सिंह का कहना है की किचन गार्डन में सब्जियां और फलफूल से यह न केवल हर समय ताजा मिलती है बल्कि घर के आसपास की खाली भूमि का सदुपयोग हो भी हो जाता है. इस से सब्जियों और फलफूल के ऊपर होने वाले खर्च की पूरी तरह से बचत हो जाती है. इस के साथ ही हमारी बाजार की सब्जियों पर निर्भरता कम होने से सब्जी खरीदने में होने वाले समय की भी बचत हो जाती है. उन का कहना है की किचन गार्डन में घर के व्यर्थ पानी और कूड़े करकट का उपयोग भी हो जाता है.

विशेषज्ञ राघवेंद्र विक्रम सिंह का कहना है की किचन गार्डन आपको प्राकृति और भी के करीब लाता है और सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. क्यों की पौधे की देखभाल करने में आप को संतुष्टि मिलती है और आप तनाव कम होता है. इस के साथ रसायन मुक्त सब्जियां होने से सेहत भी अच्छा रहता.

राघवेंद्र विक्रम सिंह के अनुसार किचन गार्डन में हम ऐसे कई पौधे उगा सकते है जिस से मच्छर को भगाने में मदद मिलती है. यह पौधे दूसरे तरह के कीड़ों को भी भगाने में कारगर होते हैं. इस में गेंदा, लेमनग्रास, तुलसी, नीम, लैवेंडर, रोजमेरी, हार्समिंट और सिट्रोनेला जैसे पौधे प्रमुख हैं.

अगर आप भी चाहते हैं की बाजार से आने वाली पेस्टिसाइड मिली हुई बासी फल, साग व सब्जियों की जगह ताजे फल व सब्जियां मिलती रहे तो इस में किचन गार्डन विधि आप के लिए सब से कारगर साबित हो सकती है. क्यों की आप को यह पता होता है की आप के किचन गार्डन में उगाई गई सब्जियों में किसी तरह के पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं किया गया है. और सब से बड़ी बात अगर कभी आप को लौकडाउन जैसी स्थिति का सामना करना पड़े तो आप बिना घर से निकले ही समय पर उन्हें तोड़ कर खाने में उपयोग कर सकते हैं.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...