Plum Trees : पश्चिमी राजस्थान की आबोहवा व जमीन बेर की पैदावार के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है, इसीलिए इस क्षेत्र में बेर की खेती टिकाऊ साबित हो रही है. गरमी व कम पानी में बेर की पैदावार अच्छी होती है. लेकिन बेर के पेड़ों में सही कटिंग व पौध संरक्षण न करने पर फलों की पैदावार व उस की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है, जिस से किसानों को बहुत नुकसान सहना पड़ता है. अगर सही समय पर फल वाले पेड़ों में काटछांट व फसल की देखभाल पर ध्यान दिया जाए तो कीट व बीमारियों से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है.

बेर के पेड़ों में काटछांट : बेर के पेड़ों में हर साल काटछांट करना बहुत जरूरी है. इस काम को हर साल मई के महीने में किया जाना चाहिए. अप्रैल में फलों की तोड़ाई के साथ ही बेर का पौधा गरमी के मौसम में ज्यादा तापमान, नमी की कमी व लू से बचे रहने के लिए सोने वाली स्थिति में चला जाता है. इस दौरान इस में काटछांट करने से पेड़ों को काटछांट का एहसास नहीं हो पाता है. जून में मानसून के साथ ही पेड़ों में नया फुटाव शुरू हो जाता है.

बेर में काटछांट करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि जो शाखाएं पिछले साल निकली थीं, उन के ऊपर का लगभग आधे से तीनचौथाई हिस्सा काट देना चाहिए. 5 से 6 सालों में जब पेड़ ज्यादा घना होने लगे तो गहरी काटछांट करनी चाहिए.

Plum Trees

काटछांट करने के 7 से 10 दिनों बाद बेर में गहरी गुड़ाई कर के जरूरत के हिसाब से खाद व उर्वरक मिला देना चाहिए. जून में बारिश नहीं होने की स्थिति में 1 बार सिंचाई कर देनी चाहिए, जिस से नई कोपलें गरमी से झुलसेंगी नहीं व अधिक संख्या में फूल व फल लगेंगे.

जानकारी की कमी की वजह से कुछ किसान बेर में सही समय पर काटछांट नहीं करते हैं, जिस से फलों के उत्पादन व क्वालिटी पर असर पड़ता है.

बेर में काटछांट नहीं करने से नई शाखाएं कम निकलती हैं, जिस से फूल व फल बहुत कम होते हैं. समय से पहले (अप्रैल महीने में) काटछांट करने से पौधों की नींद की स्थिति जल्दी खत्म हो जाती है व नई शाखाएं जल्दी निकल कर ज्यादा गरमी के कारण झुलस जाती हैं, जिस से उत्पादन पर गलत असर पड़ता है.

ज्यादा देरी से (जुलाई महीने में) काटछांट करने से पेड़ की नींद खत्म हो जाती है, जिस से काटछांट वाली जगहों से पौधे का कोशारस निकल जाता है और नई शाखाएं बहुत कम  निकलती हैं. नतीजतन फूल और फल बहुत कम होते हैं. इसीलिए ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए 15-30 मई के बीच बेर में काटछांट कर देनी चाहिए. यह भी ध्यान रखना चाहिए कि काटछांट बहुत कम या बहुत ज्यादा नहीं हो.

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