पपीते की एक नई किस्म पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा विकसित की गई है, जिसे ‘रैड लेडी’ नाम दिया है. यह एक संकर किस्म है. इस किस्म की खासीयत यह है कि नर व मादा फूल एक ही पौधे पर होते हैं, लिहाजा हर पौधे से फल मिलने की गारंटी होती है.

पपीते की दूसरी किस्मों में नर व मादा फूल अलगअलग पौधों पर लगते हैं, ऐसे में फूल निकलने तक यह पहचानना मुश्किल होता है कि कौन सा पौधा नर है और कौन सा मादा. इस नई किस्म की एक खासीयत यह भी है कि इस में साधारण पपीते को लगने वाला ‘पपायरिक स्काट वायरस’ नहीं लगता है. यह किस्म सिर्फ 9 महीने में तैयार हो जाती है.

इस किस्म के फलों की भंडारण कूवत भी ज्यादा होती है. पपीते में एंटीऔक्सीडैंट पोषक तत्त्व कैरोटिन, पोटैशियम, मैग्नीशियम, रेशा और विटामिन ए, बी, सी समेत कई दूसरे गुणकारी तत्त्व भी पाए जाते हैं, जो सेहत के लिहाज से बेहद फायदेमंद होते हैं.

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने तकरीबन 3 सालों की खोज के बाद इसे पंजाब में उगाने के लिए जारी कर दिया. वैसे, इसे हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी उगाया जा सकता है.

इस नई किस्म से ज्यादा उत्पादन हासिल करने के लिए नीचे बताई गई बातों पर गौर करें :

आबोहवा

पपीता एक उष्ण कटिबंधीय फल है, परंतु इस की खेती समशीतोष्ण आबोहवा में भी की जा सकती है. ज्यादा ठंड से पौधे के विकास पर बुरा असर पड़ता है. इस से फलों की बढ़वार रुक जाती है. फलों के पकने व मिठास बढ़ने के लिए गरम मौसम बेहतर है.

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