Mustard: भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान, भरतपुर द्वारा विकसित सरसों की दो उन्नत किस्मों भारत सरसों- 7 (डीआरएमआर- 150-35) और भारत सरसों- 8 (डीआरएमआर- 1165-40) को हाल ही में पौधा किस्म और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पीपीवीएफआरए), नई दिल्ली द्वारा पंजीकृत किया गया है. यह उपलब्धि संस्थान के अनुसंधान और नवाचार के प्रति उन की लग्न और मेहनत का प्रतीक है. संस्थान के निदेशक डा. विजय वीर सिंह के नेतृत्व में किसानों की बदलती आवश्यकताओं और कृषि क्षेत्र की विविध चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इन किस्मों को विकसित किया गया है.

डा. विजय वीर सिंह ने कहा कि इन किस्मों का पंजीकरण संस्थान के उत्कृष्ट अनुसंधान का परिणाम है. हमें विश्वास है कि ये किस्में किसानों के लिए वरदान साबित होंगी और देश की खाद्य तेल सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देंगी.  उन्होंने कहा कि पंजीकरण से इन किस्मों के बौद्धिक संपदा अधिकार सुरक्षित होंगे और संस्थान के नवाचारों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी. साथ ही, आने वाले सालों में इस से किसानों को गुणवत्ता युक्त बीज उपलब्ध कराने, किसानों की आमदनी बढ़ाने और देश को खाद्य तेल क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता मिलेगी.

डा. विजय वीर सिंह ने बताया कि भारत सरसों-7 एक शीघ्र पकने वाली किस्म है, जो बारिश आधारित, जल्दी बोआई में उपयुक्त और अधिक उपज व तेल फीसदी वाली है. यह किस्म बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, छत्तीसगढ़ और मणिपुर जैसे राज्यों के लिए विकसित किया गया है.

वहीं, भारत सरसों 8 ताप और नमी दबाव के प्रति सहनशील, समय पर बोआई हेतु उपयुक्त, उच्च तेल फीसदी और औसतन 2,200-2,600 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उपज देने वाली किस्म है. इसे राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मूकश्मीर के लिए विकसित किया गया है.

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