Blue-green Algae : धान की खेती में उपज बढ़ाने के लिए नीलहरित शैवाल का बड़ा योगदान होता है. इस के लिए किसान कम खर्च में प्राकृतिक तरीके से धान की पैदावार बढ़ा सकते हैं. धान की नर्सरी 20 से 25 दिन की हो गई हो तो तैयार किए गए खेतों में धान की रोपाई कर दें. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सैंटीमीटर और पौध से पौध की दूरी 10 सैंटीमीटर रखें जिस से पौधों का विकास अच्छा होगा और ट्रेलर्स भी अच्छे निकलेंगे.
धान की खेती के लिए 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश और 20 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से डालें. यदि आप के पास नीलहरित शैवाल है तो उस का भी उपयोग करें. नीलहरित शैवाल का एक पैकेट प्रति एकड़ की दर से उन खेतों में प्रयोग करें जहां पानी खड़ा रहता है. इन खेतों में यदि नीलहरित शैवाल का प्रयोग किया जाएगा, तो उस से नाइट्रोजन की पूर्ति भी होगी और पौधों की बढ़वार भी अच्छी हो सकेगी.
धान के पौधों का रंग पीला पड़ रहा हो और पौधों की ऊपरी पत्तियां पीली और नीचे की हरी हो तो जिंक सल्फेट हेप्टएहाइड्रेट 21फीसदी को 6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 300 लिटर पानी में घोल कर स्प्रे करें. इस से आप के खेत में जो पीलापन दिखाई दे रहा है वह खत्म हो जाएगा. फसल में यदि पीलापन है तो समझ लीजिए कि आप के खेत की मिट्टी में जिंक की कमी है. इसलिए समय पर इस की पूर्ति कर देंगे तो धान का उत्पादन अच्छा होगा.