किसानों को सशक्त बनाने और कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए, किसानों तक उच्च गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता है. साथ ही भारत को कृषि में वैज्ञानिक पोषण प्रबंधन, आधुनिक तकनीक और टिकाऊ तरीकों को तेजी से अपनाने की आवश्यकता है.उद्योग और सरकार मिलकर काम करें, ताकि किसानों को बेहतर परिणाम और अधिक लाभ मिल सके, यह विचार केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने Agribusiness Summit 2025 में व्यक्त किए. देश के बड़े उद्योगपतियों ने क्या कहा, जानने के लिए पढ़े यह ख़बर –

PHDCCI Agribusiness Summit 2025

विगत दिनों होटल ताज पैलेस में आयोजित इस समिट  में, भारत के कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने और आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने पर व्यापक चर्चा हुई. इस वर्ष की थीम थी – “नई तकनीक और गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट की मदद से कृषि GDP को तीन गुना बढ़ाना.”  इस Agribusiness Summit 2025 में नीति-निर्माताओं, कृषि विशेषज्ञों और अग्रणी एग्रोकेमिकल/एग्री-इनपुट कंपनियों की प्रभावशाली उपस्थिति रही.

राज्य मंत्री डॉ. राज भूषण चौधरी ने दी चेतावनी

सम्मेलन में जल शक्ति राज्य मंत्री डॉ. राज भूषण चौधरी ने पानी को कृषि की जीवनरेखा बताते हुए कहा कि- “खेती बिना पानी के संभव नहीं. देश में केवल 4% पानी पीने योग्य है, और जलवायु परिवर्तन के कारण तेज बरसात से पानी मिट्टी में समाने के बजाय बह जाता है, जिससे भू-जल पुनर्भरण रुक जाता है.प्रदूषण पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाता है और पानी बचाना इंटरनेट की तरह ही जरूरी हो गया है.“ उन्होंने सरकार की चल रही जल सुरक्षा योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, टिकाऊ जल प्रबंधन भारत की कृषि उन्नति का आधार है.

2047 तक आत्मनिर्भर कृषि का लक्ष्य

कृषि आयुक्त डॉ. पी.के. सिंह ने कहा कि, किसानों की भावनाओं और व्यवहारिक समाधानों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है. उन्होंने जीएम कपास के उदाहरण से सीखने पर जोर दिया कि, नई तकनीक के साथ पारंपरिक किस्मों का विकास भी जारी रहना चाहिए. तकनीक का तेज ट्रांसफर, किसानों-सरकार-उद्योग के बीच विश्वास और मजबूत R&D ही कृषि की उन्नति सुनिश्चित कर सकते हैं. उन्होंने तीन प्रमुख बिंदु रखे—

* कृषि GDP को तीन गुना करने के लिए किफायती इनपुट, यंत्रीकरण और कम श्रम-निर्भर तकनीकों को अपनाना होगा.
* कम अवधि और प्रति क्षेत्र अधिक लाभ देने वाली फसलें भविष्य का मार्ग हैं.
* GAP, एक्सपोर्ट क्वालिटी, जैविक खेती और जलवायु-स्मार्ट कृषि को तेज गति से अपनाना जरूरी है.

वर्डेशियन लाइफ साइंसेज के MD ने क्या कहा

सम्मेलन में कंपनी ने उन्नत पोषण तकनीकों पर अपने प्रभावशाली परिणाम प्रस्तुत किए. कंपनी के आर.के. गोयल, प्रबंध निदेशक APAC क्षेत्र (एशिया -पेसिफिक) और प्रमुख, एशिया कमर्शियल ऑपरेशंस ने बताया कि – “ वर्डेशियन की सीड और न्यूट्रिएंट तकनीक ने फील्ड ट्रायल्स में,15–20% तक उपज बढ़ाई और DAP की खपत को 40% तक कम किया है. यह तकनीक किसानों की लागत घटाने, मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और स्थायी खेती को बढ़ावा देने में बेहद उपयोगी है. न्यूट्रिएंट इनोवेशन से किसानों को बड़ा लाभ हो रहा है.”

क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन के CMD ने क्या बताया

सी.एम.डी. अंकुर अग्रवाल ने पेस्टिसाइड्स को प्लांट मेडिसिन्स के रूप में देखने की जरूरत बताई और कहा कि, सही उपयोग से ये देश की खाद्य सुरक्षा में अहम योगदान देते हैं. उन्होंने सरकार-उद्योग को मिलकर रेजिड्यू-सेफ तकनीक के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने का सुझाव दिया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि, एग्रो-इनपुट उद्योग लाभ नहीं, बल्कि किसान उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से कार्य करता है. फार्मर फर्स्ट ही भविष्य है.

भारत 100 बिलियन डॉलर कृषि निर्यात हासिल करें

PHDCCI एग्री बिज़नेस कमेटी के चेयर और धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के समूह चेयरमैन आर.जी. अग्रवाल ने भी महत्वपूर्ण विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि- “भारत में केवल 349 कृषि-रसायन उत्पाद रजिस्टर्ड हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर 1200 से अधिक हैं. कमजोर गुणवत्ता नियंत्रण, नकली इनपुट, उच्च बर्बादी (36% सब्जियाँ) और डिजिटल मार्केटिंग सिस्टम की कमी को कृषि के प्रमुख अवरोध है.”
उन्होंने विश्वास जताया कि, अगले 3 वर्षों में भारत कृषि निर्यात को 50 से 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ा सकता है. उनका संदेश कृषि सुधारों और नवाचारों की आवश्यकता पर केंद्रित था.

क्या रहा निष्कर्ष

इस समिट  (Agribusiness Summit 2025) ने कृषि क्षेत्र से जुड़े सभी हितधारकों को एक मंच पर लाकर टिकाऊ कृषि, न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट, गुणवत्ता वाले इनपुट, फसल पोषण तकनीक, कृषि GDP वृद्धि जैसे विषयों पर गहन संवाद स्थापित किया. वर्डेशियन लाइफ साइंसेज की तकनीक, कृषि मंत्री की नीतिगत दिशा और धानुका एग्रीटेक के इनोवेशन सुझावों ने इस सम्मेलन को अत्यंत प्रभावी और भविष्य-उन्मुख बना दिया.

सम्मेलन का संदेश यह रहा कि जल सुरक्षा, आधुनिक तकनीक, न्यूट्रिएंट इनोवेशन, किसान-केंद्रित नीतियाँ और उद्योग-सरकार सहयोग भारत की कृषि को वैश्विक स्तर पर नई ऊँचाइयों तक ले जा सकते हैं.

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