दुनियाभर में अलसी के बीज, तेल, पाउडर, गोली, कैप्‍सूल और आटे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. अलसी को कब्‍ज, डायबिटीज, हाई कोलेस्‍ट्रोल, हृदय रोग, कैंसर सहित कई बीमारियों की रोकथाम के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

अलसी के एक चम्‍मच पाउडर में 1.28 ग्राम प्रोटीन, 2.95 ग्राम फैट, 2.02 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.91 ग्राम फाइबर, 17.8 मिग्रा कैल्शियम, 27.4 मिग्रा, मैग्‍नीशियम, 44.9 मिग्रा फास्‍फोरस, 56.9 मिग्रा पोटैशियम, 6.09 माइक्रोग्राम फोलेट और 45.6 माइक्रोग्राम ल्‍यूटिन और जीएक्‍सेंथिन होता है.

अलसी से बनाएं अनेक उत्पाद
अलसी एक बहुपयोगी फसल है, जिस से तेल, कपड़ा और अन्य कई उत्पाद बनाए जा सकते हैं. अलसी की फसल मौसम की प्रतिकूलता को सहन करने में सक्षम तो होती ही है, साथ ही यह कम पानी और कम संसाधनों में भी अच्छी उपज देने वाली होती है.

भारत सरकार द्वारा इसे अखाद्य तेल के रूप में भी चिन्हित किया गया है. इस लिए अलसी के तेल का उपयोग पेंट एवं वार्निश उद्योग में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है. इस में प्रचुर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड होने के कारण आजकल इस का उपयोग हृदय रोगों की रोकथाम के लिए भी किया जा रहा है.

वैज्ञानिकों द्वारा अलसी के डंठलों से लिनेन कपड़ा तैयार करने की तकनीक विकसित की गई है, जिस से इस का दोहरा उपयोग हो रहा है.

अलसी की खेती का समय

जो किसान अलसी की खेती करना चाहते है, वह सिंचित दशा में नवंबर माह में और असिंचित दशा में अक्तूबर के पहले पखवाडे में बोआई कर दें. इस के लिए 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज की आवश्यकता होती है. इस की फसल के लिए काली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है.

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