देश में वर्षा दर में आ रही कमी किसानों के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है. वहीं वर्षा में कमी से खेती की लागत बढ़ाने और फसल उत्पादन में भी कमी आ रही है. ऐसे में किसान कम पानी में पैदा होने वाले अनाजों की खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. साथ ही, किसान ऐसे उपाय भी खोज रहे हैं, जिस से कृषि उपज की मार्केटिंग की समस्या से भी निबटा जा सके.

एक तरफ खेती की बढ़ती समस्याएं हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बीमारियों का बढ़ता स्तर. इसीलिए ऐसे अनाजों की खेती पर ज्यादा जोर दिया रहा है, जो खाने में पौष्टिक हो. साथ ही, बीमारियों की रोकथाम में भी सहायक हो. इन्हीं सभी समस्याओं के निदान में मोटे अनाज कोदो की खेती किसानों के लिए लाभप्रद साबित हो सकती है.

कोदो अनाज की एक ऐसी फसल है, जिस से किसान मुहं मोड़ चुके थे. लेकिन हाल के वर्षों में कोदो के चावल की मांग में काफी उछाल आया है, वहीं औषधि निर्माण कंपनियों में कोदो की बढ़ रही मांग ने इस की खेती में किसानों में एक बार फिर से रुचि पैदा कर दी है.

कोदो में पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा पाई जाती है. यह दिल और शुगर के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है. इसी वजह से कई बड़ी कंपनियां बिसकुट, नमकीन या बेकरी से जुड़ी चीजें बनाती हैं. इन कंपनियों में कोदो की खासा मांग है. कोदो फसल का अच्छा मूल्य किसानों को मिल रहा है.

इस की खेती कम वर्षा वाले क्षेत्रों और कम सिंचाई की दशा में आसानी से की जा सकती है. इस की फसल सूखे की दशा में भी आसानी से उगाई जा सकती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...