सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 20 कृषि विज्ञान केंद्रों पर नवनियुक्त विषय विशेषज्ञों के लिए कृषि विपणन पर प्रेरण कार्यक्रम विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का शुभारंभ कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डा. केके सिंह की अध्यक्षता में हुआ.
कुलपति डा. केके सिंह ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि निर्यात के लिए गुणवत्तायुक्त बासमती चावल के उत्पादन एवं इस के द्वारा आय में वृद्धि विषय पर प्रकाश डालते हुए किसानों को नई तकनीकी अपनाने की सलाह दी.
उन्होंने यह भी कहा कि धान उत्पादन के लिए ऐसी किस्मों का चुनाव करें, जिस में कम पानी लगता हो और विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन देती हो.
डा. केके सिंह ने आगे कहा कि प्रतिबंधित पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल बासमती खेती में नहीं करना चाहिए.
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि बासमती धान जब बनते थे, तो इस में खुशबू बहुत आती थी, लेकिन अब ऐसे चावल कम देखने को मिलते हैं. किसानों को चाहिए कि आज तकनीकी के युग में खेतीकिसानी काफी आगे पहुंच गई है.
उन्होंने कहा कि खेती करते समय कैमिकल खादों का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए, क्योंकि इन का अधिक प्रयोग करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो रही हैं, इसलिए कैमिकल खादों से और पेस्टिसाइड से बचना चाहिए.
प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि हर परिवार से कम से कम एक सदस्य ऐसा होना चाहिए, जो एग्रीकल्चर से जुड़ा हो तो निश्चित रूप से हमारा देश काफी आगे बढ़ सकता है.