Hydroponics Farming: खेती में पानी की अहमियत से इनकार नहीं किया जा सकता, मगर पानी की दिक्कतें दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं. ऐसे हालात में हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics Farming) तकनीक खेती का नजारा बदल सकती है.

क्या है हाइड्रोपोनिक्स

आमतौर पर पौधे उगाने के लिए बीज को मिट्टी में डाला जाता है, जबकि हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics Farming) तकनीक में पौधों को बिना मिट्टी के उगाया जाता है. मिट्टी पौधों के लिए पोषक पदार्थों के संवाहक की तरह काम करती है, लेकिन वह पौधों की वृद्धि के लिए जरूरी नहीं होती है. यदि हम पौधों को जरूरी तत्त्व पानी में घोल कर मुहैया करा दें, तो पौधों की जड़ें उन्हें इस्तेमाल कर लेती हैं और पौधों की वृद्धि होती रहती है.

अंतरिक्ष में भी उग सकते हैं पौधे

इस तकनीक की खोज 17वीं शताब्दी में की गई थी. साल 1627 में डा. फ्रांसिस बैकोन ने बिना मिट्टी के पौधे उगाने की तकनीक पर एक किताब ‘सिल्वा सिल्वेरम’ लिखी थी. अमेरिका की नासा संस्था (नेशनल एरोनाटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) ने हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics Farming) तकनीक का इस्तेमाल अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बनाई जाने वाली खाने की चीजें बनाने में करना शुरू किया है. इस तकनीक के द्वारा अंतरिक्ष में भी पौधों को उगाना मुमकिन हो सका है. विदेशों में इस तकनीक से सब्जियां, जड़ी-बूटियां व अन्य पौधों का सफल उत्पादन किया जा रहा है.

कैसे है लाभकारी हाइड्रोपोनिक्स तकनीक

* इस तकनीक में जमीन की बहुत कम जरूरत पड़ती है.
* पानी की जरूरत भी बहुत कम होती है.
* इस विधि में वातावरणीय प्रदूषण भी घट जाता है, क्योंकि पोषक तत्त्वों का इस्तेमाल पूरी तरह होता है.
* पौधों में कीड़े और बीमारियां लगने का खतरा बेहद कम होता है, क्योंकि इस विधि में पौधों का विकास नियंत्रित वातावरण में होता है.
* हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics Farming)  तकनीक आने वाले समय की जरूरत बनने वाली है, क्योंकि बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ फसलों का उत्पादन बढ़ाना हमारी जरूरत है.

तकनीक से हरे चारे का उत्पादन

प्रोग्रीन हाइड्रोपोनिक्स मशीन भारत के पर्यावरण के मुताबिक है. इस मशीन में तापमान और आर्द्रता नियंत्रित रहती है, इसलिए पूरे साल फसल ली जा सकती है यानी मौसम का असर इस पर नहीं पड़ता. इसे इस्तेमाल करने वाला अगर पूरे साल व्हीटग्रास, मक्का, जौ या जई का हरा चारा उगाना चाहता है, तो उगा सकता है.

इस मशीन से 1 किलोग्राम बीजों से 7 दिनों में 6-8 किलोग्राम हरा चारा पैदा हो जाता है. यह मशीन अलग – अलग कैपेसिटी की होती है. इससे 1 दिन में 240 किलोग्राम से लेकर 960 किलोग्राम तक हरे चारे का उत्पादन हो सकता है.

तकनीक से लगाएं धान की नर्सरी

इस तकनीक से धान की नर्सरी भी उगाई जाती है. इससे धान के पौधे महज 7 दिनों में तैयार हो जाते हैं, जो एक चटाई के आकार में होते हैं जिसे मोड़कर खेत में ले जाने में सुविधा होती है. ये पौध घासपात रहित व रोगमुक्त होते हैं. चूंकि पौध नियंत्रित वातावरण में उगाए जाते हैं. लिहाजा इस विधि से विपरीत मौसमी परिस्थितियों में भी पौध उगाए जा सकते हैं.

हाइड्रोपोनिक्स व्हीट नर्सरी

हाइड्रोपोनिक्स द्वारा गेहूं की पौध 7 दिनों में तैयार करके उसे मिट्टी में लगाया जा सकता है. इस तकनीक से आम विधि के मुकाबले 30 फीसदी बीजों की बचत होती है.

सागसब्जी के पौधों की नर्सरी

हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics Farming) तकनीक द्वारा विभिन्न सब्जियों जैसे टमाटर, मिर्च व खीरा वगैरह के पौधों की भी नर्सरी लगाने के लिए काम किया जा रहा है. इसके अलावा तकनीक द्वारा विभिन्न औषधीय व मसाले वाले पौधों जैसे सौंफ, धनिया,मेथी, अश्वगंधा व कालमेघ वगैरह की भी नर्सरी बनाने की खोज की जा रही है.

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