भारत में गेहूं एक मुख्य फसल है. गेहूं का तकरीबन 97 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित है. गेहूं का इस्तेमाल इनसान अपने खाने के लिए रोटी के रूप में करते हैं, जिस में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

भारत में पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश मुख्य फसल उत्पादक क्षेत्र हैं. किसान गेहूं की अगेती बोआई करने जा रहे हैं, तो उन्नत किस्मों के बारे में जान लीजिए.

गेहूं की किस्मों का चयन करना किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है. 1 नवंबर से गेहूं की बोआई चालू हो जाती है. इस की बोआई 25 नवंबर तक कर देनी चाहिए. कुछ किस्में जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में के लिए काफी अच्छी हैं, जैसे :

एचडी 2967 : इस किस्म को सब से पहले साल 2011 में अधिसूचित किया गया था. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित मैदानी क्षेत्रों में इस किस्म की बोआई होती है. यह किस्म तकरीबन 150 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. यह किस्म झुलसा प्रतिरोधी है. इस किस्म का औसत उत्पादन 66.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

डब्ल्यूएच 1105 : गेहूं की यह किस्म अगेती बोआई के लिए जानी जाती है. तकरीबन 157 दिनों में पकने वाली इस किस्म से एक एकड़़ में तकरीबन 23 से 24 क्विंटल पैदावार हासिल होती है. यह किस्म रतुआ रोग अवरोधी है. यह किस्म हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और बिहार में खूब होती है. यह किस्म रोटी और ब्रेड के लिए अच्छी है.

पीबीडब्ल्यू 752 : यह किस्म समय से बोआई के लिए सही मानी गई है. यह किस्म साल 2019 में नोटिफिकेशन में आई. तकरीबन 125 से 130 दिन में पक कर यह किस्म तैयार हो जाती है. औसत उत्पादन 21 से 22 क्विंटल प्रति एकड़ है. यह फोर्टीफाइड किस्म है, जिस में प्रोटीन 12.4 फीसदी होता है.

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