Waste Decomposer : राष्ट्रीय जैविक केंद्र ने साल 2015 में ‘पूसा डीकंपोजर’ का आविष्कार किया, जिस के आश्चर्यजनक नतीजे मिले. डीकंपोजर (Decomposer) का इस्तेमाल जैविक कचरे से तत्काल खाद बनाने के लिए किया जाता है और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए बड़े पैमाने में केंचुए पैदा होते हैं और पौध की बीमारियों को रोकने के लिए इस का उपयोग किया जाता है. इस को देशी गाय के गोबर से सूक्ष्म जैविक जीवाणु निकाल कर बनाया गया है.
वेस्ट डीकंपोजर (Waste Decomposer) की 30 ग्राम की मात्रा की पैक्ड बोतल में 20 रुपए प्रति बोतल बेची जाती है. इस का निर्माण राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र, गाजियाबाद में होता है. इस वेस्ट डीकंपोजर को आईसीएआर द्वारा सत्यापित भी किया गया है. आज ज्यादातर किसान जागरूक हैं और इस का प्रयोग कर अपनी खेती से अच्छा लाभ भी ले रहे हैं.
कचरे से वेस्ट डीकंपोजर तैयार करने का तरीका
सब से पहले किसान 200 लिटर पानी वाले प्लास्टिक के ड्रम में पानी भरें और उस में 2 किलो गुड़ मिलाएं. इस के बाद अब एक बोतल वेस्ट डीकंपोजर (Waste Decomposer ) को उस गुड़ वाले घोल में अच्छी तरह मिला दें.
सही ढंग से वेस्ट डीकंपोजर (Waste Decomposer ) मिलाने के लिए लकड़ी के डंडे का इस्तेमाल करें. इस के बाद घोल के ड्रम को ढक दें और 5 दिन तक रोजाना 1-2 बार इस को डंडे से मिला कर हिलाते रहें. 5 दिनों के बाद ड्रम का घोल क्रीमी हो जाएगा यानी एक बोतल से 200 लिटर वेस्ट डीकंपोजर घोल तैयार हो जाएगा.
यहां एक खास बात ध्यान रखने योग्य है. अगर किसान को और ज्यादा घोल चाहिए, तो 200 लिटर तैयार वेस्ट डीकंपोजर (Waste Decomposer ) घोल से 20 लिटर घोल ले कर 2 किलो गुड़ और 200 लिटर पानी के साथ एक ड्रम में दोबारा घोल बना सकते हैं.
इस्तेमाल करने का तरीका
वेस्ट डीकंपोजर (Waste Decomposer ) का उपयोग 1,000 लिटर प्रति एकड़ जमीन में किया जाता है. इस के इस्तेमाल से सभी प्रकार की मिट्टी (क्षारीय और अम्लीय) के रासायनिक और भौतिक गुणों में 21 दिनों के भीतर सुधार आने लगता है और 6 महीने के भीतर एक एकड़ भूमि में 4 लाख से अधिक केचुएं मृदा में पैदा हो जाते हैं. कृषि कचरा, जानवरों का मल, किचन का कचरा और शहरों का कचरा जैसी सभी नाशवान जैविक सामग्री 40 दिनों के भीतर गल कर जैविक खाद बन जाती हैं.
वेस्ट डीकंपोजर के दूसरे फायदे
वेस्ट डीकंपोजर (Waste Decomposer ) का पौधों पर छिड़काव करने से सभी तरह की बीमारियों पर रोक लगती है.
वेस्ट डीकंपोजर का उपयोग कर के किसान बिना रसायन, उर्वरक व कीटनाशक के फसल उगा सकते हैं. इस से यूरिया, डीएपी या एमओपी की जरूरत नहीं पड़ती है.
वेस्ट डीकंपोजर का इस्तेमाल करने से सभी प्रकार की कीटनाशी/फफूंदनाशी और जीवनाशी दवाओं का 90 फीसदी तक इस्तेमाल कम हो जाता है, क्योंकि यह जड़ों की और तनों की बीमारियों को नियंत्रित करता है.