खेती में कीट व बीमारी का प्रकोप न हो, इसलिए किसान भाइयों को हमेशा उन्नत किस्म के बीजों का चयन करना चाहिए. बीज बोने से पहले उन्हें उपचारित भी करें. अगर उस के बाद भी फसल में कीट व बीमारी का प्रकोप होता है, तो सीमित मात्रा में कृषि विशेषज्ञों के बताए अनुसार ही कृषि रसायनों का इस्तेमाल करें.

कुछ जरूरी सावधानियों को बरतें, जिन के बारे में जानकारी दी गई है.

* दवा छिड़कते समय किसान अपने शरीर की सुरक्षा का ध्यान जरूर रखें.

* दवा छिड़कने से पहले उस के बारे में लिखी बातों को ध्यान से पढ़ें.

* दवा छिड़कते से समय धूम्रपान न करें.

* दवा छिड़कने के दौरान भोजन न करें.

* अपने हाथों, आंखों और चेहरे को ढक कर रखें.

* दवा छिड़कने के बाद अच्छी तरह से साबुन से हाथ धोएं.

* इस के बाद नहाएं और अपने कपड़ों को अच्छी तरह से धोएं.

* हवा की दिशा के विपरीत छिड़काव न करें.

* मुंह से नोजल को कभी न फूंकें या छुएं.

* ऊपर बताई गईं बातों को ध्यान में रखते हुए आप अपनी फसल व शरीर की सुरक्षा कर लेंगे.

* दवाओं का इस्तेमाल जरूरत के मुताबिक ही करें.

फसल में प्रमाणित बीजों की महत्ता

खेती में बीज का बहुत ही महत्त्व होता है, इसलिए खेतों में प्रमाणित बीज ही बोएं. प्रमाणित बीज निम्न प्रकार से किसानों के लिए उपयोगी होते हैं :

* ओजस्वी होने के कारण प्रमाणित बीज उलट हालात में अच्छी उपज देते हैं.

* प्रमाणित बीजों की जमावशक्ति ज्यादा होती है.

* प्रमाणित बीज एकसमान और एकजैसे रंग और आकृति के होते हैं, जिस के चलते फसल की बढ़वार, पकने का समय आदि समान होता है.

* प्रमाणित बीजों के इस्तेमाल से उपज ज्यादा होती है.

* प्रमाणित बीज सभी तरह के कीटों व बीजजन्य रोगों से मुक्त होते हैं.

* उपचारित होने के चलते प्रमाणित बीजों का मृदा में रहने वाले रोगाणुओं व कीड़ों से बचाव होता है.

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