गन्ना एक नकदी फसल है, जिस से गुड़, चीनी, शराब आदि बनाए जाते हैं. वहीं दूसरी ओर ब्राजील देश में गन्ने का उत्पादन सब से ज्यादा होता है. भारत का गन्ने की उत्पादकता में संपूर्ण विश्व में दूसरा स्थान है.

गन्ने को मुख्यत: व्यावसायिक चीनी उत्पादन करने वाली फसल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो कि विश्व में उत्पादित होने वाली चीनी के उत्पादन में तकरीबन 75 फीसदी योगदान करता है, शेष में चुकंदर, मीठी ज्वार इत्यादि फसलों का योगदान है.

गन्ने का प्रयोग बहुद्देशीय फसल के रूप में चीनी उत्पादन के साथसाथ अन्य उत्पाद जैसे कि पेपर, इथेनाल एल्कोहल, सैनेटाइजर, बिजली उत्पादन व जैव उर्वरक के लिए कच्चे पदार्थों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

उपयुक्त भूमि, मौसम व खेत की तैयारी

उपयुक्त भूमि : गन्ने की खेती मध्यम से भारी काली मिट्टी में की जा सकती है. दोमट भूमि, जिस में सिंचाई की उचित व्यवस्था व जल का निकास अच्छा हो और जिस का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच हो, गन्ने के लिए सर्वोत्तम  है. उपयुक्त मौसम में गन्ने की बोआई वर्षा में दो बार की जा सकती है.

शरदकालीन बोआई अक्तूबरनवंबर में इस फसल की बोआई करते हैं और फसल 10 से 14 माह में तैयार होती है. वसंतकालीन बोआई फरवरी से मार्च माह तक फसल बोते हैं. यह फसल 10 से 12 माह में तैयार होती है.

नोट : शरदकालीन गन्ने वसंत में बोए गए गन्ने से 25-30 प्रतिशत व ग्रीष्मकालीन गन्ने से 30-40 प्रतिशत अधिक पैदावार देता है.

खेत की तैयारी

खेत की ग्रीष्मकाल में 15 अप्रैल से 15 मई के पूर्व एक गहरी जुताई करें. इस के पश्चात 2 से 3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई कर के और रोटावेटर व पाटा चला कर खेत को भुरभुरा, समतल और खरपतवाररहित कर लें. रिजर की सहायता से 3 से 4.5 फुट की दूरी पर 20-25 सैंटीमीटर गहरी कूंड़ें बनाएं.

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