देवास : मध्य प्रदेश के देवास के उपसंचालक कृषि आरपी कनेरिया ने बताया कि वर्तमान में सोयाबीन फसल लगभग 50 से 65 दिनों की है एवं फूल आने/फलियों में दाने भरने की स्थिति में है.

प्राप्त जानकारी अनुसार, पिछले सप्ताह इंदौर जिले के कुछ क्षेत्रों में नकली फफूंदनाशकों का विक्रय करने के लिए किसी विशेष फफूंदीनाशक के खाली डब्बे क्रय किए जा रहे हैं. अतः ऐसी नकली दवाओं से सावधान रहें एवं फफूंदीनाशक का क्रय करते समय विक्रेता से पक्का बिल लें, जिस पर बैच नंबर और एक्सपायरी तारीख अवश्य अंकित हो.

फसल सुरक्षा का बताया उपाय

उपसंचालक कृषि आरपी कनेरिया ने सोयाबीन उत्पादक किसानों को सलाह दी है कि बारिश की खेंच होने एवं भूमि में दरार पड़ने से सोयाबीन की द्वितीयक जड़ों को नुकसान पहुंचता है, इसलिए भूमि में दरार पड़ने के पूर्व ही फसल में सिंचाई अवश्य करें. साथ ही, नमी संरक्षण के लिए वैकल्पिक उपाय जैसे 5 टन प्रति हेक्टेयर भूसे की पलवार बिछाएं. कम समय में पकने वाली किस्मों में चूहों द्वारा दाने खाने के लिए फलियों को काटा जा रहा है. अतः चूहों के नियंत्रण के लिए फ्लोकोउमाफेन 0.005 फीसदी कैमिकल से निर्मित ब्लौक बेट बना कर 15 से 20 बेट प्रति हेक्टेयर चूहों के बिलों के पास रख दें. खेत में जा कर 3-4 स्थानों पर पौधों को हिला कर देखें कि कहीं खेत में इल्ली अथवा कीट का प्रकोप तो नहीं है. बिहारी हेयरी केटरपिलर का प्रकोप होने पर प्रारंभिक अवस्था में झुंड में रहने वाली इन इल्लियों को पौधों सहित खेत से निकाल करें. फली भेदक इल्लियां विशेषकर चने की इल्ली अथवा पत्ती खाने वाली इल्लियां जैसे सेमीलूपर/तंबाकू की इल्ली इत्यादि का प्रकोप होने पर निम्न में से किसी एक कैमिकल का छिड़काव करें. जैसे इंडोक्साकार्ब 15.8 एससी 333 एमएल प्रति हेक्टेयर या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एससी 150 एमएल प्रति हेक्टेयर या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एससी 250 से 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर अनुसार छिड़काव करें.

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