गेहूं की फसल में जल प्रबंधन

* प्राय: बौने गेहूं से ज्यादा से ज्यादा उपज लेने के लिए हल्की भूमि में पहली सिंचाई क्राउन रूट बुवाई के 22 से 25 दिन बाद (ताजमूल अवस्था), दूसरी सिंचाई बुवाई के 40 से 45 दिन बार किल्ले निकालने की अवस्था पर; तीसरी सिंचाई बुवाई के 60 से 65 दिन पर दीर्घ संधि या गांठे बनते समय; चौथी सिंचाई बुवाई के 80 से 85 दिनों पर फूल आने की अवस्था (पुष्पवस्था) में; पांचवी सिंचाई बुवाई के 100 से 105 दिनों पर बालियों में दूध जैसा पदार्थ बनने की अवस्था (दुग्धावस्था) में तथा छठी व अंतिम सिंचाई बुवाई के 115 से 120 दिनों पर बाली में दाना बनते समय करने से सिंचाई के जल की बचत के साथसाथ भरपूर उपज भी प्राप्त होती है.

* गन्ने के साथ गेहूं की फसल लेने हेतु फर्ब विधि से गेहूं एवं गन्ने की बुवाई करनी चाहिए. इस तरीके को अपनाने से पानी की बचत के साथसाथ दोनों फसलों की पैदावार भी ज्यादा मिलती है. फर्ब विधि से गेहूं एवं गन्ने की बुवाई कृषि जल संरक्षण का किफायती एवं उपयोगी तरीका है. इस तरीके में औसतन 20 से 30 फीसदी सिंचाई के पानी की बचत की जा सकती है. फर्ब विधि से गेहूं एवं गन्ने की गई बुवाई के कई फायदे हैं :

* खास अवस्था में गेहूं में यदि केवल तीन सिंचाई ही कर पा रहे हैं तो यह सिंचाइयां ताजमूल अवस्था, बाली निकलने के पूर्व तथा दुग्धावस्था पर ही करने से गेहूं की भरपूर उपज मिलती है.

* दो सिंचाईयां उपलब्ध होने पर ताजमूल व पुष्पवस्था पर सिंचाई करने ही फायदेमंद रहता है.

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