अनेक इलाकों में जहां एक ओर किसान खेती में बढ़ती लागत, कुदरती मार और फसल की वाजिब कीमत न मिल पाने से अवसाद में जा कर खुदकुशी जैसे कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं, वहीं जबलपुर जिले के एक नौजवान किसान ने अपनी सूझबूझ, मेहनत और लगन की बदौलत जैविक खेती के साथसाथ पशुपालन, गुड़ और देशी घी बना कर खेती को मुनाफे का धंधा तो बनाया ही है, साथ ही अपने साथ गांव के दूसरे किसानों को भी जोड़ कर उन की आमदनी को बढ़ाने का काम किया है.

पाटन तहसील के दोनी खजरी गांव के अभिषेक चंदेल किसानों को मेहनत का पाठ सिखा कर यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं.

परंपरागत तौरतरीकों से की जाने वाली खेती आज के दौर में किसानों के लिए फायदे का धंधा नहीं बन पा रही है. ऐसे में नई

सोच के साथ वैज्ञानिक खेती और खेती से जुड़े कारोबार पशुपालन, वर्मी कंपोस्ट, एग्रोफोरेस्ट के जरीए किसान खुद के अलावा सहयोगी किसानों की आमदनी में इजाफा कर दूसरे के लिए नजीर भी बन सकते हैं.

इसी सोच को सही कर दिखाया है जबलपुर जिले के ग्राम दोनी खजरी के किसान अभिषेक चंदेल ने.

साल 2000 में अपने पिता की मौत के बाद महज 17 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ कर अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करने के हिम्मत भरे फैसले के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

अपने छोटे भाई अभयेंद्र के साथ मिल कर वे उन्नत तौरतरीकों से खेती तो करते ही हैं, साथ ही पशुपालन, देशी घी बनाना, वर्मी कंपोस्ट खाद बना कर बेचना भी उन का मकसद है. वे इस काम को कर के सालाना तकरीबन 40 से 50 लाख रुपए तक का कारोबार कर रहे हैं. इस काम से उन्हें तकरीबन 10 से 15 लाख रुपए का मुनाफा होता है.

खरीफ की फसल में उड़द, मूंग, मक्का और रबी मौसम में चना, मसूर, बटरी आदि फसलों के अलावा गन्ने की खेती से 40 से 50 हजार रुपए प्रति एकड़ मुनाफा कमाते हैं. उन के इस समग्र खेती के कारोबार में तकरीबन 50 किसान भी नए तौरतरीकों को अपना कर अपनी आमदनी में इजाफा कर रहे हैं.

जैविक खाद बनानाबेचना

अपने खेतों में जैविक विधि से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के काम ने अभिषेक को पूरे जबलपुर जिले में एक नई पहचान दी है. इस गोबर से वैज्ञानिक विधि से जैविक खाद बना कर न केवल अपने खेतों में डाल कर भरपूर फसलों का उत्पादन लिया जाता है बल्कि गंवई इलाकों में इस जैविक खाद की बिक्री भी की जाती है. जैविक खेती को अपनी खेती का संपूर्ण आधार बनाते हुए अभिषेक ने वर्मी कंपोस्ट बनाने की तकनीक में महारत हासिल कर ली है.

जैविक खाद बनाने की तकनीक को जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के कृषि वैज्ञानिकों ने अभिषेक के कृषि फार्म को देखा और सराहा. साथ ही, जैविक खाद बनाने की पूरी प्रक्रिया सहित खेती करने के तौरतरीकों पर एक फिल्म भी तैयार कराई है.

इस के अलावा अभिषेक देशी घी और गुड़ बना कर बेचते हैं. वे बताते हैं कि तकरीबन 12 लिटर दूध से एक किलोग्राम देशी घी निकलता है. इसी तरह अपने खेत पर निजी प्लांट लगा कर गुड़ बनाने का काम भी अभिषेक के द्वारा किया जा रहा है.

मिल चुके हैं सम्मान

हौलिस्टिक फार्मिंग यानी समग्र खेती के क्षेत्र में अच्छा काम करने वाले इस नौजवान किसान को तमाम सम्मान और पुरस्कार मिल चुके हैं. साल 2017 में ‘नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा’ के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और जबलपुर के कलक्टर महेश चंद्र चौधरी ने अभिषेक चंदेल को कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय काम के लिए सम्मानित किया था.

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