हाल के दशक में युवाओं का खेती में रुझान तेजी से बढ़ा है, इसलिए तमाम बड़ी डिगरियों वाले भारीभरकम तनख्वाह को छोड़ खेती की तरफ रुख मोड़ रहे हैं, जिस से ऐसे लोग नौकरियों से कई गुना ज्यादा खेती से आमदनी ले रहे हैं.

ऐसे ही एक शख्स हैं अमित विक्रम त्रिपाठी, जो सेना में 18 साल की नौकरी करने के बाद जब 36 साल की उम्र में रिटायर हुए, तो उन्होंने लखनऊ जैसे महानगर में बसने का फैसला किया और वहां पर घर बनवाने के लिए 2 प्लौट भी खरीदे, लेकिन वहां की भीड़भाड़ और भागमभाग जिंदगी को देख कर उन का मन उचट गया, इसलिए उन्होंने लखनऊ में बसने के बजाय अपने गांव में रह कर ही खेती करने का फैसला किया और आज वे खेती से न केवल लाखों रुपए की आमदनी हासिल कर रहे हैं, बल्कि दर्जनों लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

जनपद बस्ती के सल्टौआ गोपालपुर ब्लौक के मनवा गांव के रहने वाले अमित विक्रम त्रिपाठी ने 17 साल की उम्र में सेना की नौकरी जौइन कर 18 वर्षों तक देश के सरहद की रक्षा की और जब उन्हें सेना से रिटायरमैंट मिला, तो उन्होंने शहर में रह कर अपने बच्चों को महानगरीय जीवनशैली में शिक्षा दिलाएंगे. लेकिन उन का मन महानगरों की जीवनशैली में नहीं लगा और अपने गांव लौट कर खेती करने का निर्णय लिया.

केले व सुगंधित धान की आमदनी से बढ़ा हौसला

गांव लौट कर उन्होंने 4 साल पहले खेती की शुरुआत केला और काला नमक धान की फसल से की, जिस में उन के 2 हेक्टेयर केले की फसल में 2 लाख रुपए की लागत आई, जबकि 2 हेक्टेयर काला नमक धान में 60,000 रुपए आई, जिस में उन्होंने लागत छोड़ कर केले की खेती से पहले साल ही लगभग 3 लाख

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