Agriculture Drone : किसान भाइयों, आज की खेती अब सिर्फ हल-बैल, कुदाल और मेहनत तक सीमित नहीं रही है. समय के साथ-साथ खेती के तरीके भी बदल रहे हैं. जब हर क्षेत्र तकनीक से जुड़ चुका है, तो कृषि को भी अब स्मार्ट खेती की ओर बढ़ना जरूरी हो गया है. इसी बदलाव का एक अहम हिस्सा है कृषि ड्रोन. ड्रोन तकनीक किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन, बेहतर फसल निगरानी और सटीक छिड़काव का समाधान देती है. आइए जानते हैं कि खेती में ड्रोन क्यों जरूरी हो गया है, इसके फायदे, चुनौतियाँ और सरकारी योजनाएँ-

कृषि ड्रोन (Agriculture Drone) की आवश्यकता क्यों है

खेती में ड्रोन का उपयोग कोई शौक नहीं बल्कि आज की जरूरत बन चुका है. बदलते मौसम, मिट्टी की घटती उर्वरता और बढ़ती लागत जैसी समस्याओं का समाधान अब सिर्फ पारंपरिक तरीकों से संभव नहीं है. किसानों को अधिक उत्पादन, कम खर्च और बेहतर फसल प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीकें अपनानी चाहिए. कृषि ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव, फसल की निगरानी, बीज बुवाई और मिट्टी का विश्लेषण जैसे कार्य तेज़, सटीक और प्रभावी तरीके से किए जा सकते हैं. यही कारण है कि आज स्मार्ट खेती के लिए कृषि ड्रोन आवश्यक हो गया है.

खेती में ड्रोन के प्रमुख उपयोग

कृषि ड्रोन (Agriculture Drone) का उपयोग कई महत्वपूर्ण कार्यों में किया जा रहा है, जैसे-
• कीटनाशक और उर्वरक का समान छिड़काव
• फसल की स्थिति और रोग की पहचान
• खेत की निगरानी और मैपिंग
• समय और श्रम की बचत

ड्रोन से छिड़काव करने पर दवा सीधे पौधों तक पहुँचती है, जिससे नुकसान कम और असर अधिक होता है.

उत्तर प्रदेश सरकार की पहल

भारत में कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें लगातार प्रयास कर रही हैं. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए बड़ा अवसर प्रदान किया है.

UP Drone Subsidy योजना

इस योजना के तहत कृषि ड्रोन (Agriculture Drone), कंबाइन हार्वेस्टर और अन्य आधुनिक कृषि मशीनरी की खरीद पर किसानों को लगभग 80% तक सब्सिडी दी जा रही है. किसान इस योजना की विस्तृत जानकारी agridarshan.up.gov.in पोर्टल पर प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा, यूपी सरकार ने लखनऊ, गोरखपुर, बहराइच, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और कानपुर नगर जिलों में ड्रोन से नैनो यूरिया और कीटनाशक छिड़काव की पायलट परियोजना भी शुरू की है.

भारत में कृषि ड्रोन की स्थिति और बाजार

भारत में कृषि ड्रोन (Agriculture Drone) का बाजार तेजी से बढ़ रहा है.

• वर्तमान में लगभग 3,000 कृषि ड्रोन देश में सक्रिय हैं
• FY25 तक इनकी संख्या 7,000 से अधिक होने की संभावना है

बाजार रिपोर्ट्स के अनुसार-

• 2024 में कृषि ड्रोन बाजार का आकार लगभग USD 145 मिलियन था,
• 2025-31 के बीच यह बढ़कर USD 731 मिलियन तक पहुँच सकता है.

यह दर्शाता है कि कृषि ड्रोन (Agriculture Drone) भारत की खेती का भविष्य बनने जा रहा है.

कृषि ड्रोन के फायदे

खेती में ड्रोन के उपयोग से किसानों को कई लाभ मिल रहे हैं-

संसाधनों की बचत

ड्रोन से पानी और कीटनाशकों की खपत कम होती है. यूपी की पायलट परियोजना में ड्रोन एक घंटे में 3 से 12 एकड़ तक छिड़काव करने में सक्षम पाए गए हैं.

समय और श्रम की बचत

जहाँ पारंपरिक तरीकों में कई घंटे लगते हैं, वहीं ड्रोन कुछ ही मिनटों में काम पूरा कर देते हैं.

बेहतर फसल निगरानी

ड्रोन से फसल की सेहत, मिट्टी की स्थिति और कीट-रोगों की पहचान समय रहते हो जाती है.

कृषि ड्रोन की चुनौतियाँ

हालांकि ड्रोन तकनीक लाभकारी है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं-
• ड्रोन की शुरुआती कीमत अधिक होती है (₹6–10 लाख)
• तकनीकी ज्ञान और प्रशिक्षण की कमी
• प्रमाणन और उड़ान अनुमति से जुड़ी प्रक्रियाएँ

इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर काम कर रहे हैं.

खेती की नई उड़ान

कृषि में ड्रोन तकनीक न केवल खेती को आधुनिक बना रही है, बल्कि किसानों की आय, उत्पादन और लागत प्रबंधन में भी सुधार कर रही है. उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मिल रही सब्सिडी और योजनाएँ इस बात का प्रमाण हैं कि सरकारी सहयोग से बड़ा बदलाव संभव है.

किसान भाइयों, आज आपके पास सरकारी सहायता, सब्सिडी और आधुनिक तकनीक — तीनों उपलब्ध हैं. जिस तरह कभी ट्रैक्टर ने खेती की तस्वीर बदली थी, उसी तरह अब ड्रोन (Agriculture Drone) खेती की नई उड़ान बन रहे हैं. अगर आप आज इस तकनीक को अपनाते हैं, तो आप न केवल अपनी खेती, बल्कि अपने परिवार और बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित करेंगे. कम मेहनत, ज्यादा मुनाफा — यही है स्मार्ट किसान की पहचान.

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