आजकल खेती के ज्यादातर काम कृषि यंत्र के जरीए किए जा रहे हैं. कई बार खेती के काम में एक यंत्र के बाद उस की सहायक मशीनों का भी सहारा लेना पड़ता है. ऐसी ही एक मशीन है स्ट्रा रीपर, जिसे फसल अवशेष प्रबंधन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. कंबाइन हार्वेस्टर के इस्तेमाल से फसलों की कटाई के बाद बचे हुए पुआल की कटाई के लिए स्ट्रा रीपर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है.
यह मशीन कम श्रम और कम खर्च में इस काम को आसानी से पूरा करने में सक्षम है और इस का सब से बड़ा फायदा यह है कि इस के प्रयोग से पराली की समस्या भी हल होती है और फसल के बचे अवशेषों से भूसा बनता है.
स्ट्रा रीपर यंत्र एकसाथ 3 तरह के काम करता है. यह यंत्र खड़ी फसल को काटता है, थ्रैशिंग करता है और पुआल का भूसा भी बनाता है. स्ट्रा रीपर यंत्र को ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर चलाया जाता है.
स्ट्रा रीपर मशीन की विशेषताएं और लाभ
इस मशीन के जरीए गेहूं के दानों के साथसाथ भूसा भी मिल जाता है. इस से पशुओं के चारे की समस्या नहीं होती है. इस के अलावा दूसरा फायदा यह है कि जो दाना मशीन से खेत में रह जाता है उस को ये मशीन उठा लेती है, जिसे किसान अपने पशुओं के लिए दाने के रूप में प्रयोग कर लेते हैं.
सोनालिका स्ट्रा रीपर
इस कंबाइन हार्वेस्ट से गेहूं, धान, सरसों, मक्का और सोयाबीन काटने के बाद बचे डंठल को दोलन करने वाले ब्लेड से काटता है और इस की घूमने वाली रील इन डंठलों को पीछे की ओर पहुंचाती है और बरमा करती है. बरमा और गाइड ड्रम द्वारा इन डंठल को थ्रैशिंग सिलैंडर तक पहुंचाया जाता है, जहां डंठल को विभिन्न आकारों में काटा जाता है. मशीन के नीचे अनाज टैंक भी होता है, जिस में फसल अवशेष से बचे हुए अनाज को इकट्ठा किया जाता है.