उदयपुर : 20 अप्रैल 2024. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर आगामी वर्षो में ’हार्ड वर्क’ से ’स्मार्ट वर्क’ की ओर अग्रसर होते हुए कई नवाचार करने को कृतसंकल्पित है, खासकर दक्षिणी राजस्थान में नई फसलों को बढ़ावा देते हुए धरतीपुत्र किसान को आर्थिक रूप से समृद्ध करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे. इस क्रम में स्ट्राबेरी के बाद अब लीची जैसी फसल भी किसान अपने खेतों में उगा सकेंगे. विश्वविद्यालय की ओर से इस दिशा में अनुसंधान ट्रायल किए जाएंगे.

एमपीयूएटी के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने पिछले दिनों भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली (आईसीएआर) के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए यह बात कही. औनलाइन हुए इस विस्तृत संवाद में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौ प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अलावा कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट (असम) के कुलपति डा. बिद्युत चंदन डेका व महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, नागपुर के कुलपति डा. नितिन वी. पाटिल ने भी अपने विश्वविद्यालय का आगामी वर्षों का विजन साझा किया. चर्चा संवाद में भारतीय कृषि व अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली में उपनिदेशक (कृषि शिक्षा) डा. आरसी अग्रवाल भी मौजूद थे.

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने अपने प्रस्तुतीकरण में कहा कि आने वाले वर्षों में विश्वविद्यालय के एकाधिक लक्ष्य हैं, जिन पर पूरे मनोयोग से काम करते हुए बेहतर परिणाम लाने के प्रयास किए जाएंगे, ताकि विधार्थियों, वैज्ञानिकों, किसानों और पशुपालकों को कुछ नया करने का अवसर मिल सके.

उन्होंने कहा कि उत्पाद व सुरक्षा प्रौघोगिकियों को विकसित करते हुए जैविक पोल्ट्री फार्म डिजाइन किया जाएगा. यही नहीं, पांरपरिक यानी किसान अभ्यास और जैविक पोल्ट्री उत्पादन प्रणालियों के तुलनात्मक प्रदर्शन लगा कर उन का मूल्यांकन किया जाएगा. साथ ही, जैविक पोल्ट्री उत्पादन पर छात्रों और अन्य हितधारकों की क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम किया जाएगा.

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