उदयपुर : 29 अक्तूबर. राजस्थान कृषि महाविद्यालय एल्यूमनी एसोसिएशन एवं कुसुम राठौड़ स्मृति ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में पिछले दिनों महाविद्यालय के पूर्व छात्रों का 22 वां राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया. इस मौके पर राजस्थान कृषि महाविद्यालय के प्रथम आचार्य रहे डा. ए. राठौड़ (1955) स्मृति व्याख्यान का आयोजन भी किया गया. खचाखच भरे आरसीए औडिटोरियम में 250 से ज्यादा पूर्व एवं वर्तमान छात्रों ने यहां बिताए पलों की याद ताजा की.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक थे, लेकिन किसी कारणवश उपस्थित नहीं हुए. इस पर उन के संदेश का वाचन आरसीए पूर्व अधिष्ठाता एवं एल्यूमनी अध्यक्ष डा. वीएन जोशी ने किया.

उन्होंने संदेश में कहा कि डा. ए. राठौड़ की दूरगामी सोच व योजना से स्थापित राजस्थान कृषि महाविद्यालय वर्ष 1955 से आज तक देश के अग्रणी महाविद्यालय के रूप में खड़ा है. इस महाविद्यालय ने राष्ट्र को मानव संसाधन के रूप में जो पूंजी सौंपी है, वह विलक्षण एवं असाधारण है. महाविद्यालय की योग्यता के आधार पर ही आईसीएआर ने उदयपुर को अनेक अखिल भारतीय अनुसंधान परियोजनाएं स्वीकृत की हैं. सच तो यह है कि एमपीयूएटी के कृषि शिक्षा, अनुसंधान व प्रसार तंत्र की बुनियाद भी राजस्थान कृषि महाविद्यालय ही है.

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने अपने संदेश में पद्म भूषण डा. आरएस परोदा, डा. एसएल मेहता, डा. एलएस राठौड़, डा. एसएस आचार्य, डा. ओपी गिल, डा. यूएस शर्मा व डा. जीएस नैनावटी जैसे दर्जनों नामों का उल्लेख किया, जिन्होंने इस महाविद्यालय मेें अध्ययनोपरांत समाज में अलग मुकाम हासिल किया.

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