उदयपुर : माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कृषि विषय ले कर पढ़ रहे युवाओं को अपने सुनहरे भविष्य के बारे में तनिक भी चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि कृषि एक ऐसा विराट और विहंगम क्षेत्र है, जहां रोजगार के 1-2 नहीं, बल्कि हजारों अवसर हैं. सामुदायिक विज्ञान, मत्स्यपालन, डेरी और खाद्य प्रौद्योगिकी कृषि इंजीनियरिंग आदि कृषि जैसे वट वृक्ष की शाखाएं हैं, जहां एक सफल उद्यमी होने के अलावा सरकारी निजी क्षेत्रों, शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में भविष्य के पर्याप्त अवसर हैं.

यह बात महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने पिछले दिनों यहां पत्रकारों से बातचीत में कही.

उन्होंने कहा कि कृषि की महत्ता 2 साल पहले आई महामारी ने समझाई. खेती एक पुरानी विधा है. महामारी के दौरान सारे उद्योग धंधे प्रभावित हुए, लेकिन खेतीकिसानी कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ. जंगल कट चुके है और इसे मौसम तंत्र गड़बड़ा जाने से उत्पादन प्रभावित हुआ है. हर फसल को जमने के लिए एक निश्चित तापमान की आवश्यकता होती है. जरूरत इस बात है कि कृषि में ’आउट औफ बौक्स’ की सोच रखने वाले युवाओं को कृषि क्षेत्र में आगे आना होगा एवं बदलते मौसम तंत्र के अनुसार खेती में कुछ नवाचार करने होंगे.

उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों का कृषि के प्रति अभी से विजन खुले और कृषि में नए स्टार्टअप से अपनी व अपने देश की तरक्की में एक नया आयाम जोड़ सके. इसी ध्येय से 16 सितंबर को एकदिवसीय ’कृषि शिक्षा मेला’ आयोजित किया जा रहा है.

Farmingराजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में आयोजित इस मेले में उदयपुर जिले में कृषि संकाय में अध्ययनरत साढ़े 3 सौ से ज्यादा छात्रछात्राएं, स्कूलों के प्राचार्य प्रतिभागी बनेंगे, जिन्हें कृषि वैज्ञानिक नई राह दिखाएंगे.

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