जयपुर : जीरा व सौंफ की खेती में गुणवत्ता संवर्धन के लिए पिछले दिनों प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान किसानों को उन्नत खेती की तकनीकों और गुणवत्ता प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई.
भारत सरकार के क्षेत्रीय कार्यालय मसाला बोर्ड, जोधपुर और एफपीओ, बिलाड़ा एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के सहयोग से यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. मसाला बोर्ड, जोधपुर के उपनिदेशक जुगलदास ने मसाला किसानों को समर्थन देने के लिए मसाला बोर्ड द्वारा दी गई पहले की रूपरेखा प्रस्तुत की. उन्होंने किसानों और बाजारों के बीच खाई को पाटने और मसाला उत्पादन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने में एफपीओ की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया.
मसाला बोर्ड, जोधपुर के डा. श्रीशैल कुल्लोली ने जीरा और सौंफ के लिए उन्नत खेती की तकनीक प्रस्तुत की. मुख्य वक्ता, कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर के सेवानिवृत्त प्रो. डा. तखतसिंह राजपुरोहित ने जीरा और सौंफ की खेती की विस्तार से चर्चा की. इस में मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, फसल चक्र, उन्नत किस्म के बीज, बोआई का सही समय, सिंचाई प्रबंधन और फसलों में लगने वाले कीट एवं रोगों के लक्षण, पहचान व निदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
डा. तखतसिंह राजपुरोहित ने गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जीरा और सौंफ की साफसफाई व रखरखाव पर भी विस्तार से बताया. उन्होंने बीज मसालों में कीटनाशकों एवं रसायनों के अवशेष न रहे, इसलिए मसाला फसलों में जैविक विधियां, जैव उर्वरक, बायोएजेंट, प्लांट प्रोडक्शन एवं आइपीएस (समन्वित कीट प्रबंधन) पर जानकारी दी. भूमि मसाला फसलों के उत्पादन में कीटनाशकों का अवशेष कम होगा, तो अधिक आय होगी. स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होगा, जिस की मांग है.