कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बस्तर के डा. राजाराम त्रिपाठी को दिया देश का सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बस्तर, छत्तीसगढ़ के “मां दंतेश्वरी हर्बल समूह” के संस्थापक डा. राजाराम त्रिपाठी को देश के “सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड” से सम्मानित किया.

उल्लेखनीय है कि देश के 5 अलगअलग कृषि मंत्रियों के हाथों 5 बार देश के “सर्वश्रेष्ठ किसान का अवार्ड” प्राप्त करने वाले वे देश के एकलौते किसान हैं.

इस वर्ष का देश का प्रतिष्ठित “सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड-2023” कोंडागांव, छत्तीसगढ़ के जैविक पद्धति से दुर्लभ वनौषधियों की खेती के पुरोधा कहलाने वाले किसान डा. राजाराम त्रिपाठी को 27 अप्रैल, 2023 को आयोजित भव्य समारोह में प्रदान किया. यह अवसर था जैविक खेती के “बायो- एजी इंडिया समिट व अवार्ड समारोह-2023 के शिखर सम्मेलन के समापन समारोह का.

इस शिखर सम्मेलन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की गरिमामय उपस्थिति के साथ ही देश के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए गठित पीएम टास्क फोर्स के अध्यक्ष डा. अशोक दलवई, आईएएस, जीपी उपाध्याय, आईएएस, डा. सावर धनानिया, अध्यक्ष, रबर बोर्ड, रिक रिगनर ग्लोबल वीपी वर्डेसियन (यूएसए), डा. तरुण श्रीधर, पूर्व सचिव, भारत सरकार, डा. एमएच मेहता, अध्यक्ष, जीएलएस, डा. एमजे खान, अध्यक्ष , आईसीएफए और बड़ी तादाद में देशविदेश से पधारी कृषि क्षेत्र की गणमान्य विभूतियां उपस्थित थीं.

डा. राजाराम त्रिपाठी को यह प्रतिष्ठित सम्मान 27 अप्रैल, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में दिया गया. इस अवसर पर देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने डा. राजाराम त्रिपाठी द्वारा बस्तर में जैविक और हर्बल खेती में किए गए कामों की सराहना करते हुए इसे भावी भारत का भविष्य बताया.

इस अवसर पर डा. राजाराम त्रिपाठी ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को अपने हर्बल फार्म पधारने का न्योता भी दिया, जिसे स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि अगली बार वे जब भी छत्तीसगढ़ आएंगे, मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म पर अवश्य आएंगे.

वहीं डा. राजाराम त्रिपाठी ने अपना यह सम्मान छत्तीसगढ़, बस्तर को समर्पित करते हुए कहा कि जैविक खेती की बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन जब बजट आवंटन का अवसर आता है तो सारा पैसा और अनुदान रासायनिक खेती को दे दिया जाता है और जैविक खेती को केवल झुनझुना थमा दिया जाता है. कृषि क्षेत्र और किसानों की स्थिति अत्यंत सोचनीय है और इस के लिए अभी बहुतकुछ किया जाना शेष है.

डा. राजाराम त्रिपाठी को देश का यह सब से ज्यादा प्रतिष्ठित सम्मान उन के द्वारा जैविक खेती के क्षेत्र में किए गए दीर्घकालीन विशिष्ट योगदान, विशेष रूप से काली मिर्च की नई प्रजाति (एमडीबीपी-16) के विकास एवं बहुचर्चित एटी-बीपी मौडल अर्थात आस्ट्रेलियन-टीक (AT) के पेड़ों पर काली मिर्च की लताएं चढ़ा कर एक एकड़ जमीन से 50 एकड़ तक का उत्पादन लेने के सफल प्रयोग के लिए दिया गया है.

पिछले कई वर्षों से डा. राजाराम त्रिपाठी अपने इस प्रयोग को अन्य किसानों के साथ भी खुले दिल से साझा कर रहे हैं और अन्य किसानों की मदद भी कर रहे हैं. आस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च की खेती करने वाले देशभर के प्रगतिशील किसान प्रतिदिन उन के फार्म पर इसे देखने, समझने, सीखने और अपने खेत पर भी इस खेती को करने के लिए आते हैं.

क्या है आस्ट्रेलियन टीक?

उल्लेखनीय है कि इन की संस्था द्वारा मूलतः बबूल जैसे कठोरतम जलवायु में भी सरवाइव करने वाले मातृ परिवार से विकसित आस्ट्रेलियन- टीक (एटी) की विशेष प्रजाति जो कि देश के लगभग सभी क्षेत्रों में हर तरह की जलवायु में, बिना विशेष सिंचाई अथवा देखभाल के बहुत तेजी से बढ़ता है.

उल्लेखनीय इस के ग्रोथ की गति महोगनी, शीशम, टीक, मिलिया डुबिया यहां तक कि नीलगिरी से भी ज्यादा है. यह पेड़ लगभग 7 से 10 साल में ही काफी ऊंचा और मोटा भी हो जाता है. यह लकड़ी सागौन, महोगनी, शीशम से भी बेहतरीन मजबूत, हलकी, खूबसूरत बहुमूल्य इमारती लकड़ी देता है. इतना ही नहीं, यह पेड़ अन्य इमारती पेड़ों की तुलना में दोगुनी लकड़ी देता है. इस का एक और फायदा यह है कि यह पेड़ वायुमंडल से नाइट्रोजन ले कर फसलों की नाइट्रोजन यानी ‘यूरिया’ की आवश्यकता को जैविक विधि से भलीभांति पूर्ति करता है. यह जल संरक्षण भी करता है. साथ ही, सालभर में प्रति एकड़ 3 से 4 टन बेहतरीन जैविक खाद भी देता है. इन पेड़ों पर चढ़ाई गई काली मिर्च की लताओं से मिलने वाली काली मिर्च के भरपूर उत्पादन से हर साल अतिरिक्त लाभ भी होता है. इसे ही “कोंडागांव का एटी-बीपी मौडल” कहा जाता है.

डा. राजाराम त्रिपाठी का यह सफल मौडल इस समय तकरीबन 25 राज्यों के प्रगतिशील किसानों के द्वारा सफलतापूर्वक अपनाया जा चुका है. बस्तर के कई आदिवासी किसानों के खेतों में भी अब इस नई प्रजाति की काली मिर्च की फसल लहलहाने लगी है.

कैसे काम करता है उन का बहुचर्चित “प्राकृतिक ग्रीनहाउस मौडल”?

दरअसल, इन के द्वारा तैयार आस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च के पौधों का विशेष तकनीक से किया गया प्लांटेशन का यह मौडल एक ‘प्राकृतिक ग्रीनहाउस’ की तरह काम करता है. एक ओर जहां वर्तमान तकनीक के पौलीथिन से कवर्ड और लोहे के फ्रेम वाले पौलीहाउस बनाने में एक एकड़ में तकरीबन 40 लाख रुपए का खर्च आता है, वहीं डा. राजाराम त्रिपाठी के द्वारा विकसित इस “प्राकृतिक ग्रीनहाउस” के निर्माण में कुल मिला कर प्रति एकड़ केवल डेढ़ लाख रुपए का खर्च आता है यानी डेढ़ लाख रुपए में पौलीहाउस से हर माने में बेहतर और ज्यादा टिकाऊ ग्रीनहाउस तैयार हो जाता है. सब से बड़ी बात यह है कि इस 40 लाख रुपए प्रति एकड़ लागत से लोहे और प्लास्टिक से बनने वाले पौलीहाउस’ की आयु ज्यादा से ज्यादा 7 से 10 साल की होती है और फिर तो यह कबाड़ के भाव बिकता है, जबकि डा. राजाराम त्रिपाठी के द्वारा तैयार नैचुरल ग्रीनहाउस बिना किसी अतिरिक्त लागत के 10 साल में करोड़ों रुपए की बहुमूल्य इमारती लकड़ी देने के लिए तैयार हो जाता है. इस के साथ ही यह 25 वर्षों तक काम करता है, साथ ही प्रति एकड़ 5 से 10 लाख रुपए तक काली मिर्च से सालाना नियमित आमदनी भी मिलने लगती है. कुल मिला कर भारत जैसे देश के लिए यह मौडल गेमचेंजर माना जा रहा है.

भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में क्षेत्रीय प्रतियोगिता (पूर्वी क्षेत्र) का शुभारंभ

बरेली : 24 अप्रैल, 2023 को  भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में क्षेत्रीय खेलकूद प्रतियोगिता (पूर्वी क्षेत्र) – 2023 का शुभारंभ हुआ. इस प्रतियोगिता में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी भारत क्षेत्र में स्थित राज्यों जैसे – अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के कृषि, पशु एवं मत्स्यपालन संस्थानों के तकरीबन 450 पुरुष एवं महिला खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. 24 अप्रैल से 27 अप्रैल के दौरान इस खेल प्रतियोगिता में एथलेटिक्स के 12 और अन्य 10 सहित 23 खेलों का प्रदर्शन हुआ. इस वर्ष से क्रिकेट को भी इस प्रतियोगिता में शामिल किया गया.

इस खेल प्रतियोगिता का आगाज करते हुए डा. शिव प्रसाद किमोथी, पशु विज्ञान एवं मत्स्यपालन विज्ञान (सदस्य), कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, नई दिल्ली ने सभी खिलाड़ियों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि कोविड काल में सभी देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई, लेकिन कृषि ने भारत की अर्थव्यवस्था को संभाल लिया.

उन्होंने कहा कि भारत के कृषि क्षेत्र में हरित, श्वेत, नीली इत्यादि अनेक क्रांतियां हुईं, जिस के चलते यहां की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक प्रभाव हुआ.

खुशी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस खेल प्रतियोगिता का आयोजन आजादी के अमृत काल में किया जा रहा है. देश के पूर्वी क्षेत्र के भाकृअनुप संस्थानों में किसानों की आय दोगुनी करने की क्षमता है.

उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस खेल समागम में विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक तकनीकी एवं अन्य कर्मचारी आपस में विचारों के आदानप्रदान से एक नए विचारों से अवगत होंगे.

उन्होंने विभिन्न महापुरुषों और पूर्व वैज्ञानिक एवं राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम को उद्धृत करते हुए कहा कि खेलों में हारना ही जीत की शुरुआत होती है, इस से तन और मन दोनों स्वस्थ होते हैं.

इस अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए संस्थान के निदेशक एवं कुलपति, डा. त्रिवेणी दत्त ने इस खेल प्रतियोगिता को आयोजित करने की जिम्मेदारी देने के लिए भाकृअनुप के महानिदेशक के प्रति आभार व्यक्त किया और खुशी जाहिर की कि इस प्रतियोगिता में पुरुष खिलाड़ियों के साथसाथ 44 महिला खिलाड़ी भी प्रतिभागिता कर रही हैं.

इस से पूर्व इस खेलकूद प्रतियोगिता के आयोजन सचिव एवं प्रधान वैज्ञानिक डा. एकेएस तोमर ने अपने स्वागत संबोधन में अतिथियों एवं खिलाड़ियों के प्रति आभार व्यक्त किया और समस्त प्रतियोगिताओं की रूपरेखा प्रस्तुत की.

इस अवसर पर संयुक्त निदेशक – शैक्षणिक, डा. एसके मेंदीरत्ता, संयुक्त निदेशक – शोध, डा. एसके सिंह और संयुक्त निदेशक – प्रसार शिक्षा, डा. रूपसी तिवारी सहित काफी संख्या में स्टाफ, भूतपूर्व वैज्ञानिक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे.

समारोह का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डा. संजीव मेहरोत्रा और डा. अंजू काला ने किया. डा. एके पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

मुजफ्फरनगर में पशु प्रदर्शनी एवं कृषि मेला का आयोजन

6-7 अप्रैल 2023,

मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार द्वारा भाकृअनुप-केन्द्रीय मवेशी अनुसंधान संस्थान, मेरठ के सहयोग से मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश में को दो दिवसीय (6-7 अप्रैल) पशु प्रदर्शनी तथा कृषि मेला का आयोजन किया गया। मेले का उद्घाटन नितिन गडकरी, केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, भारत सरकार के द्वारा किया गया .

इस अवसर पर, श्री परशोत्तम रुपाला, केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, भारत सरकार, श्री धर्मपाल सिंह, पशुपालन मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार तथा डॉ. संजीव कुमार बालियान, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री, भारत सरकार भी उपस्थिति रहे।

विशिष्ट अतिथि श्री गिरिराज सिंह, माननीय केन्द्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री, भारत सरकार थे। अपने संबोधन के दौरान श्री गिरिराज सिंह ने देश के ग्रामीण पशुपालकों की आजीविका में सुधार के लिए देशी पशुओं की भूमिका पर बल दिए। उन्होंने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए पशुपालक को उन्नत तकनीकों को अपनाने का आग्रह किया।

डॉ. संजीव कुमार बालियान, केन्द्रीय राज्य मंत्री ने अपने संबोधन के दौरान मेले को भव्य रूप से सफल बनाने में क्षेत्र के कृषक समुदाय द्वारा दिखाई गई रुचि की सराहना की।

मेले में 180 प्रदर्शनी स्टॉल लगाए गए जिसमें से 28 मशीनरी और उपकरणों से, 35 कृषि स्टार्टअप से, 17 कृषि मंत्रालय से, 40 पशुपालन और डेयरी विभाग से, 15 मत्स्य पालन क्षेत्र से और 45 भाकृअनुप, एसएयू, कॉमन सर्विस सेंटर और पशु चिकित्सा से था। इन एजेंसियों द्वारा की जाने वाली गतिविधियों को प्रदर्शित करने की व्यवस्था की गई थी।

मेले के दूसरे दिन, विभिन्न श्रेणियों में, जिनमे गौ वंश की स्वदेशी तथा संकर नस्लें, भैंसे, भेड़, बकरी, अश्व की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। निर्णायक समिति में भाकृअनुप, राज्य पशुपालन विभाग, राज्य कृषि/ पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों जैसे विभिन्न संस्थानों के पशु विज्ञान/ पशु चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल थे। मेले के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर भैंस, भेड़, बकरी और घोड़ों की विभिन्न श्रेणियों का शो और जजिंग का आयोजन भी किया गया। पशु शो की विभिन्न श्रेणियों के विजेताओं को नकद पुरस्कार के साथ प्रमाण पत्र, पदक वितरित किए गए। हरियाणा, सोनारिया से श्री अर्जुन सिंह के मुर्रा नर को मेले का चैंपियन पशु घोषित किया गया।

समापन समोराह में श्री विजयपाल सिंह तोमर, सांसद, राज्य सभा, श्री पंकज सिंह, विधानसभा सदस्य तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की।

इस मेल में स्कूल और कॉलेज के छात्रों सहित लगभग 20000 प्रतिभागियों ने हिस्सेदारी की। पशु प्रदर्शनी और कृषि मेला का समापन 7 अप्रैल की शाम को हो गया।

(स्रोतः भाकृअनुप-केन्द्रीय मवेशी अनुसंधान संस्थान, मेरठ)

सेना अपने राशन में मोटा अनाज शामिल करेगी

नई दिल्ली : भारतीय सेना ने 5 दशक बाद अपने राशन में एक बार फिर मिलेट्स यानी मोटे अनाज को शामिल किया है. अब जवानों को मोटे अनाज से बने भोजन और नाश्ते परोसे जाएंगे.

सेना ने जारी अपने बयान में कहा कि यह फैसला सैनिकों को स्थानीय और पारंपरिक अनाज की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किया गया है. सेना ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 के आलोक में श्री अन्न के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सेना ने मोटे अनाज के आटे की शुरुआत सैनिकों के लिए की है.

बयान के मुताबिक, पारंपरिक रूप से श्री अन्न से बने व्यंजन सेहत के लिए लाभदायक साबित हुए हैं. यह हमारी भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल है. इस से जीवनशैली संबंधी बीमारियों के असर को कम करने और सैनिकों में संतुष्टि भाव लाने में मदद मिलेगी. अब से सभी पदों पर आसीन सेना के जवानों के दैनिक भोजन में श्री अन्न अभिन्न अंग होगा.

मालूम हो कि सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सेना को कुल राशन में से 25 फीसदी तक श्री अन्न खरीदने के लिए अधिकृत किया है. यह खरीद विकल्प और मांग पर आधारित होगी और इस के तहत बाजरा, ज्वार और रागी के आटे का विकल्प होगा.

ये हैं मोटे अनाज : मोटे अनाज यानी मिलेट्स में ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू आदि फसलें शामिल हैं. इन में अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में पोषक तत्त्व होने की वजह से इन्हें सुपर फूड भी कहा जाता है. भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान के अनुसार, रागी में कैल्शियम की मात्रा अच्छी होती है.

पीएम फसल बीमा योजना में भुगतान किए 1,260 करोड़ रुपए

नई दिल्ली : 23 मार्च, 2023. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल के डिजिटाइज्ड क्लेम सैटलमैंट मौड्यूल डिजीक्लेम का शुभारंभ किया.

इस नवाचार के साथ ही दावों का वितरण अब इलैक्ट्रौनिक रूप से किया जाएगा, जिस का सीधा लाभ प्रारंभ में 6 राज्यों (राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व हरियाणा) के संबंधित किसानों को होगा. दावा भुगतान की प्रक्रिया अब स्वचालित हो जाएगी, क्योंकि राज्यों द्वारा पोर्टल पर उपज डाटा जारी किया जाता है. नरेंद्र सिंह तोमर ने बटन दबा कर इन 6 राज्यों के बीमित किसानों को 1260.35 करोड़ रुपए के बीमा दावों का भुगतान किया.

अभी तक सामान्यतौर पर यह माना जाता था कि जो किसान ऋणी है, वही बीमित होता है, लेकिन प्रसन्नता की बात है कि इस संबंध में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है और गैरऋणी किसान भी फसल बीमा कराने की ओर अग्रसर हो रहे हैं.

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के समक्ष चुनौतियां तो रहती ही हैं, लेकिन इन का समाधान बहुत ही शिद्दत के साथ सरकारें कर सकें, इस में टैक्नोलौजी विशेष सहायक है.

आम किसानों तक मौसम की सटीक जानकारी भी पहुंच सके, इस के लिए टैक्नोलौजी की मदद से कृषि मंत्रालय द्वारा प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों, राज्य सरकारों एवं किसानों सब का समन्वय बढ़ रहा है, जिस के परिणामस्वरूप अब अनेक राज्य प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ने के लिए निरंतर अग्रसर हो रहे हैं.

राज्य स्तरीय कृषि विज्ञान मेले का आयोजन

 उदयपुर :  मार्च, 2023. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं कृषि विभाग व कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) उदयपुर के संयुक्त तत्त्वावधान में राज्य स्तरीय भव्य कृषि विज्ञान मेला-2023 का आयोजन किया गया. इस मेले में आईसीएआर के उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) डा. आरसी अग्रवाल मुख्य अतिथि थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, एमपीयूएटी ने की. कार्यक्रम में कृषि एवं उद्यानिकी (फसल, फल, पुष्प, सब्जी एवं संरक्षित उत्पाद) प्रदर्शनी प्रतियोगिता एवं वैज्ञानिकों द्वारा कृषि की नवीनतम तकनीकों की जानकारी दी गई.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईसीएआर के उपमहानिदेशक डा. आरसी अग्रवाल ने अपने अभिभाषण में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि देश का विकास किसानों एवं खेती की उन्नति से ही संभव है. उन्होंने देश की कृषि को आकर्षक बनाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किए जा रहे नवाचारों का जिक्र करते हुए कहा कि आईसीएआर द्वारा कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन, आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस, रोबोटिक्स, ब्लौकचेन, मार्केटिंग, कृषि में ड्रोन के उपयोग इत्यादि को बढ़ावा दिया जा रहा है.

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि वर्ष 2023 को भारत के प्रस्ताव पर अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है और देश ही नहीं, बल्कि विश्वभर में पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम एवं परियोजनाएं चलाई जा रही हैं.

इस संबंध में एमपीयूएटी को कृषि विश्वविद्यालय संगठन की ओर से कार्ययोजना तैयार करने का विशेष कार्यभार दिया गया है. भारत में विभिन्न प्रकार के पोषक अनाज उत्पादित होते हैं, परंतु विशेषकर राजस्थान में सदियों से पोषक अनाज, जिस में ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा, कांगनी, मड़वा इत्यादि उगाए एवं खाए जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में इन से इन सभी फसलों के विशिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं.

उन्होंने बताया कि पोषक अनाज को प्राकृतिक खेती से जोड़ कर जैविक उत्पाद प्राप्त किए जाएं तो लघु एवं सीमांत जोत वाले किसानों को आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है.

कार्यक्रम के विशेष अतिथि निदेशक आत्मा, जयपुर डाक्टर सुवालाल जाट ने आत्मा परियोजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयासों पर प्रकाश डाला. किसान मेले के कार्यक्रम में 10 प्रगतिशील किसानों को चैक द्वारा प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई.

इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में एडीएम सिटी ओपी बुनकर, भूरालाल पाटीदार, अतिरिक्त निदेशक कृषि प्रसार, माधो सिंह चंपावत, संयुक्त निदेशक कृषि प्रसार, सुधीर वर्मा, परियोजना निदेशक आत्मा एवं कृषि विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, एमपीयूएटी के वरिष्ठ अधिकारी एवं वैज्ञानिक उपस्थित थे.

इस कार्यक्रम में विवेक कटारा, जिला परिषद सीईओ मनीष मयंक, प्रबंध मंडल के सदस्य डा. एसआर मालू, डा. आरसी तिवारी एवं राज्य सरकार के कृषि पुरस्कार से सम्मानित विष्णु पारीक भी उपस्थित थे. किसान मेले एवं संगोष्ठी में एमपीयूएटी के सेवा क्षेत्र के सभी जिलों में स्थित केवीके से जुड़े एवं उदयपुर संभाग के 2,000 से अधिक किसानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की.

मेले के प्रमुख आकर्षण : मेले में किसानवैज्ञानिक संवाद, प्रश्नोत्तरी (वैज्ञानिकों अधिकारियों द्वारा प्रत्युत्तर), विभिन्न विभागों की प्रदर्शनियां, विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाइयों की तकनीकियों एवं कृषि यंत्रों का प्रदर्शन, उन्नत सिंचाई एवं जल प्रबंधन तकनीकों का प्रदर्शन, प्राकृतिक खेती की प्रदर्शनी मुख्य आकर्षण रहे.

प्रतियोगिता का आयोजन : कृषि मेला प्रांगण में 19 मार्च, 2023 को फसल फल, पुष्प, सब्जी एवं संरक्षित उत्पाद प्रदर्शनी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ और प्रथम एवं द्वितीय प्रविष्टियों को पुरस्कृत किया गया. गेहूं, जौ, सरसों एवं चना, अरंडी (जड़सहित पौधे, 3 गुच्छे) और गन्ना, मक्का, फलों में पपीता, अमरूद, संतरा, चीकू इत्यादि, गेंदा, हजारा, गुलाब इत्यादि, पुष्प और सब्जियों में टमाटर, बैगन, मिर्च, पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, गाजर, मूली, खीरा, शिमला मिर्च, गांठगोभी, लौकी, पालक, धनिया और हलदी, अदरक, रतालू, अरबी, चुकंदर, सूरन, शकरकंद, शलजम, सेम फली, भिंडी की प्रविष्टियां आईं. पोषक अनाज में बाजरा, ज्वार, बटी, हामली, सांवा, कुरी, कांगणी, कोदो (कोदरा) इत्यादि अनाजों की प्रविष्टियां प्रदर्शित की गईं.

बीजीय मसालों की खेती से लें अधिक आय

डूंगरपुर : कृषि विज्ञान केंद्र, डूंगरपुर एवं सुपारी व मसाला विकास निदेशालय, कालीकट, केरल द्वारा संयुक्त रूप से ‘बीजीय मसाला फसलों की उन्नत उत्पादन तकनीक’ पर एकदिवसीय कृषक प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र, फलोज, डूंगरपुर में आयोजित किया गया.

इस प्रशिक्षण में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं आचार्य डा. सीएम बलाई ने किसानों को बीजीय मसालों की खेती कर के अधिक आर्थिक लाभ कमाने के लिए प्रेरित किया. डा. सीएम बलाई ने अपने उद्बोधन में कहा कि बीजीय मसालों के उत्पादन से किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं.

सहायक आचार्य एवं परियोजना प्रभारी डा. अभय दशोरा ने परियोजना के उद्देश्य बताते हुए मसाला फसलों की उन्नत किस्मों की जानकारी किसानों को दी. उपनिदेशक परेश कुमार पंड्या, उद्यान विभाग ने किसानों को राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी.

केंद्र के सहआचार्य डा. बीएल रोत ने बीजीय मसाला फसलों में संभावित रोग एवं कीट प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी.

सहआचार्य डा. दीपक राजपुरोहित, प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय, उदयपुर ने बीजीय मसाला फसलों के मूल्य संवर्धन पर जानकारी दी.

उन्होंने मसाला फसलों में प्रयुक्त आधुनिक तकनीकी एवं विभिन्न मशीनों के उपयोग की जानकारी दी.

परियोजना के सहप्रभारी डा. बीजी छीपा ने किसानों को मसालों के विभिन्न उत्पादों में उपयोग एवं औषधीय गुणों की जानकारी दी. इस प्रशिक्षण में कुल 50 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया. किसानों को मसाला फसलों पर प्रकाशित साहित्य एवं प्रशिक्षण किट आदि वितरित किए गए.

नई दिल्ली में आहार प्रदर्शनी आयोजित

नई दिल्ली : मार्च, 2023. भविष्य में खाद्य सुरक्षा के दृष्टिगत विकल्प में पौध आधारित आहार पर विचारविमर्श करने के लिए प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित आहार प्रदर्शनी के दौरान ‘पौध आधारित युग के उषाकाल’ विषय पर सम्मेलन का आयोजन किया गया.

प्लांट बेस्ड फूड्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (पीबीएफआईए) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पौध आधारित खाद्य वक्त की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही रोजगार के अवसर सृजित करने और कृषि क्षेत्र को भी बल देने वाला है. जो चुनौतियां कृषि के सामने आ रही हैं, उन के मद्देनजर पौध आधारित आहार वैकल्पिक महत्त्वपूर्ण कदम है.

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा कि भविष्य में जरूरत पड़ने वाले विकल्पों को अगर हम अभी से तैयार कर लेंगे तो आने वाले समय में संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा. वर्तमान व भविष्य की चुनौतियों से हम अच्छी तरह से अवगत हैं, खाद्य सुरक्षा इन्हीं में से एक है.

वर्ष 2050 तक कितने खाद्यान्न की आवश्यकता हमें रहेगी व दुनिया की अपेक्षा हम से कितनी बढ़ेगी, इस पर अभी से विचार करने की आवश्यकता है. इस दिशा में केंद्र सरकार अपने स्तर पर पूरे प्रयास कर रही है. कृषि में लोगों की रुचि निरंतर बढ़े, यह भी हमारी जिम्मेदारी है. कृषि क्षेत्र में निजी निवेश आए, नई तकनीकें आनी चाहिए, काम सरल होना चाहिए और किसानों को मुनाफा ज्यादा मिलना चाहिए, इस से आने वाली पीढ़ी कृषि की ओर आकर्षित होगी.

किसान खेती का आधार है, यह बात समझनी होगी. किसानों को फायदा व प्रतिष्ठा देना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि वे खेती में रुकें, देश का पेट भर सकें और दुनिया की अपेक्षा को भी पूरा कर सकें. सरकार की तरफ से विभिन्न योजनाओं द्वारा इस दिशा में सतत प्रयास किए जा रहे हैं.

इस कार्यक्रम में पीबीएफआईए के पदाधिकारी संजय सेठी, एपीडा के सचिव डा. सुंधाशु, आईटीपीओ के रजत अग्रवाल भी मौजूद थे.