पीएम फसल बीमा योजना में भुगतान किए 1,260 करोड़ रुपए

नई दिल्ली : 23 मार्च, 2023. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल के डिजिटाइज्ड क्लेम सैटलमैंट मौड्यूल डिजीक्लेम का शुभारंभ किया.

इस नवाचार के साथ ही दावों का वितरण अब इलैक्ट्रौनिक रूप से किया जाएगा, जिस का सीधा लाभ प्रारंभ में 6 राज्यों (राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व हरियाणा) के संबंधित किसानों को होगा. दावा भुगतान की प्रक्रिया अब स्वचालित हो जाएगी, क्योंकि राज्यों द्वारा पोर्टल पर उपज डाटा जारी किया जाता है. नरेंद्र सिंह तोमर ने बटन दबा कर इन 6 राज्यों के बीमित किसानों को 1260.35 करोड़ रुपए के बीमा दावों का भुगतान किया.

अभी तक सामान्यतौर पर यह माना जाता था कि जो किसान ऋणी है, वही बीमित होता है, लेकिन प्रसन्नता की बात है कि इस संबंध में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है और गैरऋणी किसान भी फसल बीमा कराने की ओर अग्रसर हो रहे हैं.

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के समक्ष चुनौतियां तो रहती ही हैं, लेकिन इन का समाधान बहुत ही शिद्दत के साथ सरकारें कर सकें, इस में टैक्नोलौजी विशेष सहायक है.

आम किसानों तक मौसम की सटीक जानकारी भी पहुंच सके, इस के लिए टैक्नोलौजी की मदद से कृषि मंत्रालय द्वारा प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों, राज्य सरकारों एवं किसानों सब का समन्वय बढ़ रहा है, जिस के परिणामस्वरूप अब अनेक राज्य प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ने के लिए निरंतर अग्रसर हो रहे हैं.

राज्य स्तरीय कृषि विज्ञान मेले का आयोजन

 उदयपुर :  मार्च, 2023. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं कृषि विभाग व कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) उदयपुर के संयुक्त तत्त्वावधान में राज्य स्तरीय भव्य कृषि विज्ञान मेला-2023 का आयोजन किया गया. इस मेले में आईसीएआर के उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) डा. आरसी अग्रवाल मुख्य अतिथि थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, एमपीयूएटी ने की. कार्यक्रम में कृषि एवं उद्यानिकी (फसल, फल, पुष्प, सब्जी एवं संरक्षित उत्पाद) प्रदर्शनी प्रतियोगिता एवं वैज्ञानिकों द्वारा कृषि की नवीनतम तकनीकों की जानकारी दी गई.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईसीएआर के उपमहानिदेशक डा. आरसी अग्रवाल ने अपने अभिभाषण में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि देश का विकास किसानों एवं खेती की उन्नति से ही संभव है. उन्होंने देश की कृषि को आकर्षक बनाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किए जा रहे नवाचारों का जिक्र करते हुए कहा कि आईसीएआर द्वारा कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन, आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस, रोबोटिक्स, ब्लौकचेन, मार्केटिंग, कृषि में ड्रोन के उपयोग इत्यादि को बढ़ावा दिया जा रहा है.

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि वर्ष 2023 को भारत के प्रस्ताव पर अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है और देश ही नहीं, बल्कि विश्वभर में पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम एवं परियोजनाएं चलाई जा रही हैं.

इस संबंध में एमपीयूएटी को कृषि विश्वविद्यालय संगठन की ओर से कार्ययोजना तैयार करने का विशेष कार्यभार दिया गया है. भारत में विभिन्न प्रकार के पोषक अनाज उत्पादित होते हैं, परंतु विशेषकर राजस्थान में सदियों से पोषक अनाज, जिस में ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा, कांगनी, मड़वा इत्यादि उगाए एवं खाए जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में इन से इन सभी फसलों के विशिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं.

उन्होंने बताया कि पोषक अनाज को प्राकृतिक खेती से जोड़ कर जैविक उत्पाद प्राप्त किए जाएं तो लघु एवं सीमांत जोत वाले किसानों को आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है.

कार्यक्रम के विशेष अतिथि निदेशक आत्मा, जयपुर डाक्टर सुवालाल जाट ने आत्मा परियोजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयासों पर प्रकाश डाला. किसान मेले के कार्यक्रम में 10 प्रगतिशील किसानों को चैक द्वारा प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई.

इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में एडीएम सिटी ओपी बुनकर, भूरालाल पाटीदार, अतिरिक्त निदेशक कृषि प्रसार, माधो सिंह चंपावत, संयुक्त निदेशक कृषि प्रसार, सुधीर वर्मा, परियोजना निदेशक आत्मा एवं कृषि विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, एमपीयूएटी के वरिष्ठ अधिकारी एवं वैज्ञानिक उपस्थित थे.

इस कार्यक्रम में विवेक कटारा, जिला परिषद सीईओ मनीष मयंक, प्रबंध मंडल के सदस्य डा. एसआर मालू, डा. आरसी तिवारी एवं राज्य सरकार के कृषि पुरस्कार से सम्मानित विष्णु पारीक भी उपस्थित थे. किसान मेले एवं संगोष्ठी में एमपीयूएटी के सेवा क्षेत्र के सभी जिलों में स्थित केवीके से जुड़े एवं उदयपुर संभाग के 2,000 से अधिक किसानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की.

मेले के प्रमुख आकर्षण : मेले में किसानवैज्ञानिक संवाद, प्रश्नोत्तरी (वैज्ञानिकों अधिकारियों द्वारा प्रत्युत्तर), विभिन्न विभागों की प्रदर्शनियां, विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाइयों की तकनीकियों एवं कृषि यंत्रों का प्रदर्शन, उन्नत सिंचाई एवं जल प्रबंधन तकनीकों का प्रदर्शन, प्राकृतिक खेती की प्रदर्शनी मुख्य आकर्षण रहे.

प्रतियोगिता का आयोजन : कृषि मेला प्रांगण में 19 मार्च, 2023 को फसल फल, पुष्प, सब्जी एवं संरक्षित उत्पाद प्रदर्शनी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ और प्रथम एवं द्वितीय प्रविष्टियों को पुरस्कृत किया गया. गेहूं, जौ, सरसों एवं चना, अरंडी (जड़सहित पौधे, 3 गुच्छे) और गन्ना, मक्का, फलों में पपीता, अमरूद, संतरा, चीकू इत्यादि, गेंदा, हजारा, गुलाब इत्यादि, पुष्प और सब्जियों में टमाटर, बैगन, मिर्च, पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, गाजर, मूली, खीरा, शिमला मिर्च, गांठगोभी, लौकी, पालक, धनिया और हलदी, अदरक, रतालू, अरबी, चुकंदर, सूरन, शकरकंद, शलजम, सेम फली, भिंडी की प्रविष्टियां आईं. पोषक अनाज में बाजरा, ज्वार, बटी, हामली, सांवा, कुरी, कांगणी, कोदो (कोदरा) इत्यादि अनाजों की प्रविष्टियां प्रदर्शित की गईं.

बीजीय मसालों की खेती से लें अधिक आय

डूंगरपुर : कृषि विज्ञान केंद्र, डूंगरपुर एवं सुपारी व मसाला विकास निदेशालय, कालीकट, केरल द्वारा संयुक्त रूप से ‘बीजीय मसाला फसलों की उन्नत उत्पादन तकनीक’ पर एकदिवसीय कृषक प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र, फलोज, डूंगरपुर में आयोजित किया गया.

इस प्रशिक्षण में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं आचार्य डा. सीएम बलाई ने किसानों को बीजीय मसालों की खेती कर के अधिक आर्थिक लाभ कमाने के लिए प्रेरित किया. डा. सीएम बलाई ने अपने उद्बोधन में कहा कि बीजीय मसालों के उत्पादन से किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं.

सहायक आचार्य एवं परियोजना प्रभारी डा. अभय दशोरा ने परियोजना के उद्देश्य बताते हुए मसाला फसलों की उन्नत किस्मों की जानकारी किसानों को दी. उपनिदेशक परेश कुमार पंड्या, उद्यान विभाग ने किसानों को राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी.

केंद्र के सहआचार्य डा. बीएल रोत ने बीजीय मसाला फसलों में संभावित रोग एवं कीट प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी.

सहआचार्य डा. दीपक राजपुरोहित, प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय, उदयपुर ने बीजीय मसाला फसलों के मूल्य संवर्धन पर जानकारी दी.

उन्होंने मसाला फसलों में प्रयुक्त आधुनिक तकनीकी एवं विभिन्न मशीनों के उपयोग की जानकारी दी.

परियोजना के सहप्रभारी डा. बीजी छीपा ने किसानों को मसालों के विभिन्न उत्पादों में उपयोग एवं औषधीय गुणों की जानकारी दी. इस प्रशिक्षण में कुल 50 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया. किसानों को मसाला फसलों पर प्रकाशित साहित्य एवं प्रशिक्षण किट आदि वितरित किए गए.

नई दिल्ली में आहार प्रदर्शनी आयोजित

नई दिल्ली : मार्च, 2023. भविष्य में खाद्य सुरक्षा के दृष्टिगत विकल्प में पौध आधारित आहार पर विचारविमर्श करने के लिए प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित आहार प्रदर्शनी के दौरान ‘पौध आधारित युग के उषाकाल’ विषय पर सम्मेलन का आयोजन किया गया.

प्लांट बेस्ड फूड्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (पीबीएफआईए) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पौध आधारित खाद्य वक्त की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही रोजगार के अवसर सृजित करने और कृषि क्षेत्र को भी बल देने वाला है. जो चुनौतियां कृषि के सामने आ रही हैं, उन के मद्देनजर पौध आधारित आहार वैकल्पिक महत्त्वपूर्ण कदम है.

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा कि भविष्य में जरूरत पड़ने वाले विकल्पों को अगर हम अभी से तैयार कर लेंगे तो आने वाले समय में संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा. वर्तमान व भविष्य की चुनौतियों से हम अच्छी तरह से अवगत हैं, खाद्य सुरक्षा इन्हीं में से एक है.

वर्ष 2050 तक कितने खाद्यान्न की आवश्यकता हमें रहेगी व दुनिया की अपेक्षा हम से कितनी बढ़ेगी, इस पर अभी से विचार करने की आवश्यकता है. इस दिशा में केंद्र सरकार अपने स्तर पर पूरे प्रयास कर रही है. कृषि में लोगों की रुचि निरंतर बढ़े, यह भी हमारी जिम्मेदारी है. कृषि क्षेत्र में निजी निवेश आए, नई तकनीकें आनी चाहिए, काम सरल होना चाहिए और किसानों को मुनाफा ज्यादा मिलना चाहिए, इस से आने वाली पीढ़ी कृषि की ओर आकर्षित होगी.

किसान खेती का आधार है, यह बात समझनी होगी. किसानों को फायदा व प्रतिष्ठा देना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि वे खेती में रुकें, देश का पेट भर सकें और दुनिया की अपेक्षा को भी पूरा कर सकें. सरकार की तरफ से विभिन्न योजनाओं द्वारा इस दिशा में सतत प्रयास किए जा रहे हैं.

इस कार्यक्रम में पीबीएफआईए के पदाधिकारी संजय सेठी, एपीडा के सचिव डा. सुंधाशु, आईटीपीओ के रजत अग्रवाल भी मौजूद थे.