Fish Transportation: मछलियों की आवाजाही के लिए होगा ड्रोन का इस्तेमाल

Fish Transportation : मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्यपालन विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मत्स्यपालन और जलीय कृषि की प्रगति की समीक्षा करने के लिए 23 मई, 2025 को नई दिल्ली में “मत्स्य पालन सचिव सम्मेलन 2025” और जलीय कृषि में प्रौद्योगिकी और नवाचार के दोहन पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया. इस दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सहयोजना  के कार्यान्वयन पर चर्चा की गई, जिस में योजनाओं की उपलब्धियों और प्रमुख उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित किया गया.

यह बैठक मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में मत्स्यपालन विभाग के सचिव डा. अभिलक्ष लिखी की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में राज्य मत्स्य विभागों, भारतीय रिजर्व बैंक, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, ओपन नेटवर्क फौर डिजिटल कौमर्स, लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम और आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में सचिव डा. अभिलक्ष लिखी ने राज्यों से नवाचार, बुनियादी ढांचे और संस्थागत तालमेल के माध्यम से मत्स्यपालन क्षेत्र को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करने का आग्रह किया.

मछुआरों की सुरक्षा और परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया गया, जिस में संसाधन मानचित्रण, बायोमेट्रिक पहचान और चेहरे की पहचान जैसे पहलू शामिल हैं. हरित और नीले स्थिरता सिद्धांतों के साथ संरेखित स्मार्ट, एकीकृत मछली पकड़ने के बंदरगाहों और आधुनिक मछली बाजारों के विकास को भविष्य की प्रमुख प्राथमिकता के रूप में पहचाना गया.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में सचिव डा. अभिलक्ष लिखी ने जीवित मछली परिवहन के लिए ड्रोन तकनीक पर पायलट परियोजना की जानकारी दी. इस का लक्ष्य 70 किलोग्राम पेलोड वाला ड्रोन विकसित करना है, जो कठिन इलाकों में एग्रीगेटर से वितरण बिंदु तक जीवित मछली ले जा सके. उन्होंने मानक संचालन प्रक्रियाओं और सहायक सब्सिडी संरचना के माध्यम से ड्रोन पहल को मजबूत करने पर भी जोर दिया.

आईसीएआर संस्थानों के समर्थन से उन्नत मत्स्यपालन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के साथसाथ प्रसंस्करण, विपणन और पैकेजिंग पर विशेष रूप से क्लस्टर विकास और एक स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से विशेष ध्यान देने को प्रोत्साहित किया गया. मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए अमृत सरोवर का लाभ उठाने पर जोर दिया गया और राज्यों से सहयोग मांगा गया. मत्स्यपालन सचिव ने सजावटी मत्स्यपालन को बढ़ावा देने और समुद्री शैवाल की खेती और कृत्रिम चट्टानों के विकास का आह्वान किया और इन उभरते क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया.

मत्स्य विभाग में संयुक्त सचिव सागर मेहरा ने अंतर्देशीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अंतर्देशीय मत्स्यपालन से संबंधित प्रमुख मुद्दों की जानकारी दी. उन्होंने राज्यों से राष्ट्रीय मत्स्य विकास पोर्टल पर पंजीकरण के लिए आवेदन जुटाने में तेजी लाने और विभिन्न केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के तहत लाभों तक पहुंच बढ़ाने की सुविधा प्रदान करने का आग्रह किया ताकि, विभिन्न मत्स्यपालन पहलों के कार्यान्वयन को मजबूत किया जा सके.

मत्स्य विभाग में संयुक्त सचिव नीतू कुमारी प्रसाद ने मजबूत बुनियादी ढांचे, स्मार्ट बंदरगाहों और प्रजातियों के विविधीकरण के विकास के महत्व पर जोर दिया. तटीय राज्यों से समुद्री कृषि क्षेत्रीकरण को आगे बढ़ा कर, अत्याधुनिक तकनीक को अपना कर, जहाज की निगरानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक और एफएओ की ब्लू पोर्ट पहल और राष्ट्रीय स्थिरता उद्देश्यों के साथ स्मार्ट बंदरगाह परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाकर स्मार्ट और टिकाऊ मत्स्यपालन की ओर आगे बढ़ने का आग्रह किया गया.

इस कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान, यह नोट किया गया कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और संबद्ध पहलों के तहत मत्स्य विकास को आगे बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति कर रहे हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, जिन पर केंद्रित ध्यान और समर्थन की आवश्यकता है. साथ ही, किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत मछली किसानों के लिए संस्थागत लोन तक पहुंच अभी भी एक चिंता का विषय बनी हुई है. इसलिए इस बात पर जोर दिया गया कि समावेशी और प्रभावी लोन देने में सक्षम बनाने के लिए आधुनिक मत्स्यपालन प्रथाओं और प्रौद्योगिकी संचालित मौडल पर वित्तीय संस्थानों और बैंकों को और अधिक ध्यान देने की जरूरत है.

इस के साथ ही, बढ़ते मछली उत्पादन के साथ, कई राज्यों ने मूल्य श्रृंखला दक्षता बढ़ाने के लिए स्वच्छ मछली कियोस्क और आधुनिक मछली बाजारों सहित कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है. इस के अलावा, बाजार संपर्कों में सुधार भौतिक और डिजिटल दोनों, मछुआरों और किसानों के लिए उचित मूल्य और स्थिर आय देने में मदद करेगी. इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड जैसी योजनाओं के लिए समर्पित पंजीकरण अभियान और राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड पोर्टल पर नामांकन के माध्यम से आउटरीच में तेजी लाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई.

इस कार्यशाला के अंत में इस बैठक ने सहयोग को बढ़ावा देने, क्षमता निर्माण पहलों को बढ़ाने और हितधारकों के बीच संचार अंतराल को पाटने का महत्वपूर्ण कार्य भी किया.

Agriculture News : हमारे कृषि संस्थानों का लोहा पूरी दुनिया मानेगी

Agriculture News :   केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की तैयारियां अब अपने अंतिम चरण में है. 29 मई, 2025 को ओडिशा से इस व्यापक अभियान का शुभारंभ होगा.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का सारे अधिकारी राज्यों के सहयोग से इस की तैयारियों में जुटा हुआ है. इसी कड़ी में शिवराज सिंह चौहान ने पूसा कैंपस स्थित सुब्रहमण्यम हौल में देशभर के कृषि वैज्ञानिकों से संवाद किया. इस अवसर पर कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के महानिदेशक डा. एमएल जाट, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सभी 113 संस्थानों, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के साथ ही देशभर के 731 कृषि विज्ञान केंद्रों व केंद्रराज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों और प्राध्यापकों ने बड़ी संख्या में सभागार में उपस्थित रह कर और वर्चुअल जुड़ कर इस संवाद कार्यक्रम में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया.

यहां केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं सत्ता के सुख के लिए कृषि मंत्री नहीं बना हूं, बल्कि किसानों की सेवा के लिए, उत्पादन बढ़ाने, उत्पादन की लागत घटाने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, देश में अन्न के भंडार भरने और भावी पीढ़ी के कृषि संबंधित हितों की रक्षा के लिए ही मेरा जीवन समर्पित है. उन्होंने कहा कि उर्वरक का संतुलित प्रयोग, स्थानीय परिस्थिति, सही शोध जानकारी होने और अच्छे बीजों से किसान को उत्पादकता बढ़ाने में निश्चित तौर पर मदद मिल सकती है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि वैज्ञानिकों, विभाग के अधिकारीयों और किसान को जोड़ने पर जोर देते हुए कहा कि इस अभियान के जरिए इसे पूरा करते हुए किसानों से जुड़ने की एक बड़ी कोशिश होने जा रही है.

उन्होंने कहा कि खेती हृदय और लगाव का विषय है. खेती को जिया जाता है. मेरी हर सांस में खेती और रोमरोम में किसान बसे हैं. फसल के अच्छे व खराब होने पर भावनाएं जुड़ जाती हैं.

इसलिए सरकार की पूरी कोशिश कृषि अनुसंधान को आगे बढ़ाने की है. शोध और अनुसंधान के लिए हमारी सरकार फंड की कमी नहीं होने देगी.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि यह अभियान परिणाम उन्मूलक कार्यक्रम है, जिस का परिणाम इसी खरीफ सीजन में उत्पादन वृद्धि और उत्पादन लागत में कमी के रूप में जल्द ही हमारे सामने होगा. इस के साथ ही, उन्होंने देश के वैज्ञानिकों से अपनी शोध क्षमता को वैश्विक स्तर पर सिद्ध करने की भी अपील की. उन्होंने कहा कि हमारे कृषि संस्थानों में वो ताकत है, जिस का लोहा पूरी दुनिया मानेगी.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वैज्ञानिकों के प्रयासों की प्रशंसा की और कहा कि इस अभियान के पूरा होने के बाद देश, वैज्ञानिकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करेगा. यह अभियान 29 मई से 12 जून तक देशव्यापी स्तर पर आयोजित किया जा रहा है, जिस में वैज्ञानिकों की टीमें गांवगांव जा कर किसानों से सीधा संवाद करेगी.

इस अभियान में 731 कृषि विज्ञान केंद्रों और आईसीएआर के 113 संस्थानों के वैज्ञानिक विशेषज्ञ और राज्यों व अन्य कृषि विभाग के अधिकारी भी शामिल रहेंगे. यह अभियान 700 से ज्यादा जिलों में आयोजित किया जाएगा. साथ ही, इस में कृषि, बागबानी, पशुपालन, मछलीपालन आदि विभागों के अधिकारी, वैज्ञानिक एवं नवोन्मेषी किसान भी शामिल रहेंगे. इस अभियान का लक्ष्य 1.5 करोड़ किसानों से सीधा संवाद करना है.

42.4 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा जल पार्क, मत्स्यपालकों को होगा फायदा

अगरतला: केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी और पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह ने पिछले दिनों 18 मई, 2025 को अगरतला, त्रिपुरा में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत कैलाशहर, त्रिपुरा में 42.4 करोड़ रुपए की लागत से एक एकीकृत जल पार्क की शुरुआत की.

इस के अलावा, इस कार्यक्रम में राज्य की समृद्ध संस्कृति की प्रदर्शनी और विविध मछलियों पर एक मछली महोत्सव का उद्घाटन भी किया गया. इस कार्यक्रम में जौर्ज कुरियन, राज्य मंत्री, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के साथसाथ सुधांशु दास, मत्स्यपालन मंत्री, त्रिपुरा सरकार और टिंकू राय, खेल और युवा मामलों के मंत्री, त्रिपुरा सरकार भी शामिल हुए.

केंद्रीय मंत्री, राजीव रंजन सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताते हुए कहा कि मत्स्यपालन क्षेत्र ने 2014-15 से 9.08 फीसदी  की वृद्धि हो रही है जो भारत में कृषि से संबंधित क्षेत्रों में सबसे अधिक है. मत्स्यपालन क्षेत्र में त्रिपुरा की विशाल संभावना को पहचानते हुए, उन्होंने आधुनिक तकनीक, एकीकृत खेती और नवाचार के उपयोग के माध्यम से मांग और आपूर्ति के बीच की कमी को पूरा करने की आवश्यकता पर बल दिया.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने कहा कि देश के 11 एकीकृत जल पार्कों में से 4 पूर्वोत्तर क्षेत्र में बनाए जा रहे हैं. इन में से एक त्रिपुरा में बनाया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री ने हितधारकों से त्रिपुरा को एक ‘‘मछली आधिक्‍य राज्य’’ में बदलने और त्रिपुरा की 1.5 लाख टन की मांग से अधिक 2 लाख टन मछली उत्‍पादन के लक्ष्‍य की दिशा में लगन से काम करने का आग्रह किया ताकि यह मछली का निर्यात करने में सक्षम हो सके.

उन्‍होंने आगे कहा कि शीघ्र ही त्रिपुरा में भी सिक्किम की तरह ही जैविक मछली क्लस्‍टर विकसित किया जाएगा. एकीकृत जल पार्क को समयबद्ध तरीके से पूरा करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने मछली पालकों को संस्थागत प्रशिक्षण प्रदान करने के महत्व पर भी जोर दिया. मछुआरों को मत्स्यपालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि और पीएमएमएसवाई जैसी सरकारी योजनाओं का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, उन्होंने एनएफडीबी के माध्यम से प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में सहयोग की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने झींगा उत्पादन को बढ़ावा देने, सजावटी मत्स्यपालन को विकसित करने, बुनियादी ढांचे में सुधार करने, आसान बाजार पहुंच सुनिश्चित करने और क्षेत्र में नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों के बारे में भी बात की. इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री ने विभिन्न लाभार्थियों को प्रमाण पत्र और स्वीकृति आदेश वितरित किए.

मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री जौर्ज कुरियन ने त्रिपुरा में मछली उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि राज्य की लगभग 98 फीसदी आबादी मछली खाती है. उन्होंने राज्य की खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था में मत्स्यपालन की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया.

त्रिपुरा सरकार के मत्स्यपालन, एआरडीडी और एससी कल्याण मंत्री सुधांशु दास ने लक्षित उपायों के माध्यम से मछुआरों और मछली किसानों के उत्थान के लिए राज्य की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मत्स्य सहायता योजना के तहत पहचाने गए मछुआरों और मछली किसानों को उन की आजीविका में सहयोग करने के लिए 6,000 रुपए की सालाना आर्थिक सहायता मिल रही है.

इस के साथ ही, रोजगार के एक साधन के रूप में मत्स्यपालन को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में इस क्षेत्र में अत्‍यधिक संभावनाएं हैं जिन का अभी तक उपयोग नहीं किया गया है. जबकि त्रिपुरा सरकार के खेल और युवा मामलों के मंत्री टिंकू राय ने मत्स्यपालन क्षेत्र के उत्थान और त्रिपुरा में मछुआरों की आजीविका को बढ़ाने के लिए निरंतर सहयोग और सामूहिक प्रयास को प्रोत्साहित किया.

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सचिव डा. अभिलक्ष लिखी ने विभाग की प्रमुख योजनाओं और पहलों – प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, कृषि अवसंरचना विकास निधि और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सहयोजना के बारे में बताया. इन का संयुक्त निवेश परिव्यय लगभग 38,000 करोड़ रुपए है. यह उल्‍लेखनीय है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 2,114 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है जिस में विशेष रूप से त्रिपुरा के लिए 319 करोड़ रुपए शामिल हैं.

डा. अभिलक्ष लिखी ने आगे मछुआरों और मत्स्य किसानों से अनुसंधान और विकास में प्रगति का पूरा लाभ उठाते हुए रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, बायोफ्लोक और ड्रोन आधारित अनुप्रयोगों जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने का अनुरोध किया. आजीविका सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने मछुआरों के लिए बीमा कवरेज प्रदान करने के लाभों के बारे में भी बताया. इस के अलावा, विविध किस्‍मों की प्रजातियों विशेष रूप से उच्‍च मूल्‍य की देशी प्रजातियों जैसे पाबदा और सिंघी का उत्‍पादन बढ़ाने पर भी विशेष जोर दिया गया.

इस कार्यक्रम में मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के संयुक्त सचिव सागर मेहरा, एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी डा. बिजय कुमार बेहरा के साथसाथ केंद्र और राज्य मत्स्य विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.

Placement Drive : पशुपालकों के लिए प्लेसमेंट ड्राइव

Placement Drive : कैंपस प्लेसमेंट ड्राइव का आयोजन सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. केके सिंह के दिशानिर्देशन में किया गया. इस अवसर पर माई एनिमल कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट संदीप दत्ता ने कहा कि भारत में माई एनिमल कंपनी द्वारा कुत्तों, ऊंटों, घोड़ों और अन्य जानवरों के लिए स्वास्थ्यवर्धक एवं गुणकारी प्रोडक्ट बनाया जा रहा है, जिस से भारत के पशुपालक लाभान्वित हो सकें.

माई एनिमल कंपनी जूनियर के वाइस प्रेसिडेंट आदित्य पांडे ने कहा कि आज राष्ट्रीय स्तर पर कई कंपनियां हैं, जो अपने विभिन्न उत्पादों को बना कर मार्केटिंग कर रही हैं, लेकिन पशुपालन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए पहली कंपनी माई एनिमल है, जो पशुपालन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही है.

उन्होंने कहा कि उन का प्रयास है कि गुणवत्तायुक्त उत्पादों से हर गांव के पशुपालक परिचित हों और पशुओं की सुरक्षा को ध्यान में रख कर पशुपालन का एक अच्छा व्यवसाय कर सकें, इस के लिए कंपनी पेरावेट और वेटरनरी डाक्टर के सहयोग से भारत के ग्रामीण इलाकों तक पहुंच कर पशुपालकों का सहयोग कर रही है. इसी को विस्तार देने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्रछात्राओं का इंटरव्यू लिया गया. इस के बाद  उन को प्लेसमेंट दे कर कंपनी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उन को विभिन्न जिलों में पोस्टिंग दी जाएगी, जिस से पशुपालक नए उत्पाद और तकनीक की सहायता से अपने पशुओं की जिंदगी को एक नई दिशा दे सकें.

इस अवसर पर 38 छात्रछात्राओं ने कंपनी के प्लेसमेंट ड्राइव में हिस्सा लिया और इन में से कंपनी ने 15 छात्रों का चयन किया. कंपनी इन छात्रों को देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काम करने का मौका देगी, क्योंकि यह कंपनी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार बढ़ती जा रही है.

इस कार्यक्रम में निदेशक ट्रेनिंग औफ प्लेसमेंट प्रो. आरएस सेंगर ने कहा कि कुलपति प्रो. केके सिंह के मार्गदर्शन में कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों का प्लेसमेंट सौ फीसदी हो सके, इस के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि आने वाले दिनों में कृषि विश्वविद्यालय में रोजगार मेला भी लगाया जाएगा, जिस से छात्र रोजगार पा सकें. इस कार्यक्रम का संचालन जौइंट डायरेक्टर प्रो. सत्य प्रकाश ने किया.

Lac Insect : ‘राष्ट्रीय लाख कीट दिवस’ का आयोजन

Lac Insect : राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के कीट विज्ञान विभाग में लाख कीट आनुवंशिक संरक्षण पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा प्रायोजित नेटवर्क परियोजना के तहत चौथा ‘राष्ट्रीय लाख कीट दिवस’ मनाया गया. इस मौके पर लाख संसाधन उत्पादन पर ‘एकदिवसीय छात्र संवाद सहप्रशिक्षण कार्यशाला’ का आयोजन किया गया और इस में कृषि संकाय के स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी के 125 से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया.

इस मौके पर परियोजना अधिकारी डा. हेमंत स्वामी ने लाख कीट के जीवनचक्र एवं उन के पोषक वृक्ष लाख की खेती कैसे की जाए व किसान अपनी आय को कैसे बढ़ा सकते हैं, के बारे में जानकारी दी.

इस कार्यशाला में डा.एमके महला, प्रोफैसर, कीट विज्ञान ने सौंदर्य प्रसाधन, भोजन, फार्मास्यूटिकल्स, इत्र, वार्निश, पेंट, पौलिश, आभूषण और कपड़ा रंगाई जैसे उद्योगों में लाख और इस के उपउत्पादों यानी राल, मोम और डाई के उपयोग के बारे में बताया. साथ ही, उन्होंने विभिन्न मेजबान पौधों पर लाख कीट की वैज्ञानिक खेती के लिए उन्नत तकनीकों के बारे में भी जानकारी दी.

16 मई से 22 मई तक ‘उत्पादक कीट संरक्षण सप्ताह’ और ‘राष्ट्रीय लाख कीट दिवस’ के अवसर पर डा. अमित त्रिवेदी, क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान, डा. वीरेंद्र सिंह, प्रोफैसर, उद्यान विभाग और डा. रमेश बाबू, विभागाध्यक्ष, कीट विज्ञान विभाग ने इन उत्पादक कीड़ों के संरक्षण, परागणकों, भौतिक डीकंपोजर, जैव नियंत्रण एजेंटों आदि के रूप में प्राकृतिक जैव विविधता की सुरक्षा में उन की भूमिका पर प्रकाश डाला. साथ ही, यह भी बताया कि कैसे स्थानीय किसानों के बीच लाख की खेती को लोकप्रिय बनाना है और प्रोत्साहित करना है, क्योंकि जहां लाख की खेती छोड़ दी गई है, वहां निवास स्थान नष्ट हो गए हैं, वहां लाख के कीट और संबंधित जीवजंतु लुप्त हो गए हैं.

इस आयोजन के दौरान कीट पर निबंध प्रतियोगिता व प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया व विजेताओं को प्रमाणपत्र वितरित किए गए.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान राष्ट्रीय विस्तार कार्यक्रम कार्यशाला

नई दिल्ली : भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा खरीफ 2024 की ट्रांसफर औफ टैक्नोलौजी (ToT) गतिविधियों की समीक्षा कार्यशाला का सफल आयोजन 16, मई 2025 को वर्चुअल माध्यम से किया गया.

इस कार्यशाला की अध्यक्षता आईएआरआई के निदेशक डा. सीएच श्रीनिवास राव ने की. इस अवसर पर आईसीएआर संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, झांसी स्थित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और 16 स्वयंसेवी संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों ने हिस्सा लिया.

यह पहल आईएआरआई का प्रमुख साझेदारी कार्यक्रम है, जिस का उद्देश्य प्रगतिशील कृषि अनुसंधान और जमीनी स्तर पर उस के कार्यान्वयन के बीच की खाई को पाटना है. उल्लेखनीय है कि इस साल 3 नए स्वयंसेवी संगठनों को कार्यक्रम में शामिल किया गया, जो विभिन्न जलवायु क्षेत्रों और सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस से कार्यक्रम की पहुंच और समावेशिता को और अधिक बल मिला है.

इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए डा. सीएच श्रीनिवास राव ने कहा कि तकनीकी जानकारी के प्रसार के जरीए भारत के किसानों को मजबूत बनाया जा सकता है, जिस से कृषि का सतत विकास संभव है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अनुसंधान संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों और स्वयंसेवी संगठनों की यह अनोखी साझेदारी ही किसानों तक सही समय पर सही तकनीक पहुंचाने का मूलमंत्र है.

उन्होंने सभी सहभागियों की सक्रिय भागीदारी और योगदान की सराहना की और बताया कि कार्यशाला में 28 विस्तृत प्रस्तुतियां दी गईं, जिन में पूर्व सीजन की उपलब्धियां और आगामी सीजन की योजनाएं शामिल थीं. डा. सीएच श्रीनिवास राव ने सभी हितधारकों से इस गति को बनाए रखने और आईएआरआई की नवीनतम किस्मों एवं तकनीकों के प्रभावी हस्तांतरण को सुनिश्चित करने का आग्रह किया.

उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार तकनीकों को ढालने के लिए मजबूत फीडबैक तंत्र और सहभागी दृष्टिकोण को अपनाना आवश्यक है. उन्होंने आगे कहा कि भारतीय कृषि का भविष्य साझेदारी आधारित नवाचार और खेतस्तर की सहभागिता में शामिल है. आईएआरआई इस आंदोलन का नेतृत्व वैज्ञानिक उत्कृष्टता और जमीनी भागीदारी के साथ करता रहेगा.

इस कार्यक्रम की शुरुआत में डा. एके सिंह, प्रभारी, कैटैट, आईएआरआई ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और डा. आरएन पडारिया, संयुक्त निदेशक (प्रसार), आईएआरआई ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं रणनीतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया.

इस कार्यशाला के अंतर्गत एक विशेष संवाद सत्र भी आयोजित किया गया, जिस में प्रतिभागियों ने अपने अनुभव और सुझाव साझा किए. कार्यशाला का समापन तकनीकी हस्तांतरण में कार्यक्षमता, समावेशिता और नवाचार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी, के साथ हुआ, जिस से आईएआरआई की कृषि विकास और विस्तार क्षेत्र में लीडरशिप की भूमिका और मजबूत होगी.

Biological Technology : जैविक तकनीक को मिला वैश्विक पुरस्कार

Biological Technology : ब्राजील की अग्रणी कृषि वैज्ञानिक डा. मारियांगेला हुंग्रिया दा कुन्हा को साल 2025 का प्रतिष्ठित ‘विश्व खाद्य पुरस्कार’ दिए जाने की घोषणा वैश्विक जैविक कृषि जगत के लिए एक प्रेरणास्पद क्षण है. इस अवार्ड को “कृषि का नोबेल पुरस्कार” भी कहा जाता है.

जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण पर उन के काम ने ब्राजील को हर साल तकरीबन 25 अरब अमेरिकी डालर की रासायनिक उर्वरक लागत से छुटकारा दिलाया है.

इस अवसर पर जहां हम ब्राजील की इस वैज्ञानिक को हार्दिक बधाई देते हैं, वहीं यह तथ्य भी सामने लाना जरूरी है कि भारत में इस दिशा में व्यावहारिक और पूरी तरह से सफल मौडल पिछले 3 दशकों से विकसित किया जा चुका है.

मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सैंटर, कोंडागांव, छत्तीसगढ़ में हम ने सालों की मेहनत और शोध से एक ऐसी तकनीक को मूर्त रूप दिया है, जिस में बहुवर्षीय पेड़ विशेष रूप से आस्ट्रेलियाई मूल के “अकेशिया” प्रजाति के पौधों को विशेष पद्धति से विकसित कर के उस की जड़ों में वायुमंडलीय नाइट्रोजन को प्राकृतिक रूप से स्थिर कर मिट्टी में लगाया जाता है. इस की पत्तियों से बनने वाला ग्रीन कंपोस्ट अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है, जिस से कि स्पीडो के साथ लगाए जाने वाली तकरीबन सभी प्रकार की अंतर्वत्ति फसलों को कुछ समय बाद पचासों साल तक किसी भी प्रकार की रासायनिक अथवा प्राकृतिक खाद अलग से देने की जरूरत ही नहीं पड़ती.

“नेचुरल ग्रीनहाउस मौडल” के नाम से चर्चित यह तकनीक आज देश के 16 से अधिक राज्यों के प्रगतिशील किसान अपने खेतों में अपना चुके हैं. इस से न केवल रासायनिक नाइट्रोजन खाद पर निर्भरता खत्म हो रही है, बल्कि भारत सरकार द्वारा हर साल दी जाने वाली 45 से 50 हजार करोड़ की नाइट्रोजन उर्वरक सब्सिडी पर भी बड़ी बचत संभव हो रही है. भारत जैसे देश, जो रासायनिक उर्वरकों के लिए कच्चा माल आयात करता है, के लिए यह विदेशी मुद्रा की सीधी बचत करता है.

हमारा मानना है कि जिस तकनीक पर अब वैश्विक स्तर पर पुरस्कार मिल रहा है, उस पर भारत पहले ही काम कर चुका है और एक प्रमाणित, व्यावहारिक मौडल अपने देश में ही उपलब्ध है. भारत सरकार यदि समय रहते इस तकनीक को समर्थन देती, तो आज यह पुरस्कार भारत को भी मिल सकता था.

हमें यह पुरस्कार न मिलने का कोई अफसोस नहीं है, किंतु अब जबकि इस तकनीक को वैश्विक मान्यता मिल चुकी है, भारत सरकार और नीति बनाने वालों से हमारी अपेक्षा है कि वे इस देशज तकनीक को प्राथमिकता दें, इस का प्रसार करें और किसानों को रासायनिक उर्वरकों के जाल से नजात दिलाएं. यह न केवल किसानों की आत्मनिर्भरता, बल्कि राष्ट्र की आर्थिक सुरक्षा और पर्यावरणीय संरक्षण के लिए भी जरूरी है.

Financial Assistance : नागालैंड में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सहायता

Financial Assistance : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (इंफाल), जलुकी, नागालैंड के पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय के प्रशासनिक सह शैक्षणिक भवन का उद्घाटन किया. इस मौके पर नागालैंड के उपमुख्यमंत्री टी.आर. जेलियांग, राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री मेत्सुबो जमीर, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (इंफाल) के कुलपति डा. अनुपम मिश्रा भी मौजूद थे.

इस मौके पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि एवं पशुधन क्षेत्र की प्रगति और नागालैंड के विशिष्ट उत्पादों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कृषि क्षेत्र के विकास और वृद्धि के लिए नागालैंड राज्य को 338.83 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देने की घोषणा भी की है. उन्होंने नागालैंड सरकार से राज्य के कृषि और ग्रामीण विकास के लिए कार्य योजना बनाने को कहा और इस संबंध में केंद्र सरकार से पूर्ण सहयोग का भरोसा भी दिया.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य सरकार के अधिकारियों को सलाह दी कि वे नागालैंड के हर एक जिले के लिए वैज्ञानिकों, केवीके अधिकारियों, विश्वविद्यालय के पेशेवरों और किसानों की एक कोर वैज्ञानिक टीम बनाएं, जो महीने में कम से कम दो बार गांवों में किसानों से बातचीत कर के उन की समस्याओं का पता लगाए. इस से जमीनी स्तर पर नीति निर्माण और किसानों तक कृषि संबंधी तकनीक पहुंचाने में मदद मिलेगी. साथ ही, उन्होंने नागालैंड राज्य में प्राकृतिक खेती के अवसरों पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार मदद के लिए भी तैयार है.

केंद्रीय मंत्री ने पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय के प्रयासों की प्रशंसा की और यहां के छात्रों को अपने नवीन विचारों को उन के साथ साझा करने के लिए दिल्ली आमंत्रित किया. उन्होंने विद्यार्थियों के स्टार्टअप विकास के लिए हर संभव सहयोग एवं आर्थिक सहायता देने का भरोसा भी दिया. उन्होंने किसानों और छात्रों से बातचीत करने के लिए दोबारा नागालैंड आने का वादा भी किया. उन्होंने इस मौके पर आयोजित किसान मेले एवं प्रदर्शनी स्टालों का भी अवलोकन किया और किसानों से बातचीत की.

इस मौके पर नागालैंड के राज्यपाल ला. गणेशन ने समारोह की अध्यक्षता की और क्षेत्र के लोगों के लिए पशु स्वास्थ्य देखभाल और कृषि सुधार में मदद करने के लिए केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंफाल और कालेज की भूमिका की सराहना की. उन्होंने भारत के विकास के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण और किसानों एवं स्टेट होल्डर्स की भागीदारी की भूमिका पर जोर दिया ताकि 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार किया जा सके.

नागालैंड के उपमुख्यमंत्री टी.आर. जेलियांग ने राज्य में कृषि प्रगति और आर्थिक उत्थान के लिए क्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञता और रिसर्च आधारित खेती की भूमिका पर जोर दिया. इस कार्यक्रम में 639 किसान समेत राज्य एवं केंद्र सरकार के 84 अधिकारी शामिल हुए.

Mizoram’s Flower : मिजोरम की फूलों की खेती की सुगंध सारी दुनिया में

Mizoram’s Flower: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों पूर्वोत्तर दौरे के पहले दिन मिजोरम, इंफाल के थेनजोल स्थित बागबानी महाविद्यालय के दो नए भवनों का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया. बागवानी महाविद्यालय, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का ही हिस्सा है, जिस के प्रशासनिक सह अकादमिक और भवन का केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा उद्घाटन किया गया.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मिजोरम अद्भुत प्रदेश है. पूर्वोत्तर को आगे बढ़ाना हमारा संकल्प है. विकसित भारत के लिए विकसित मिजोरम और विकसित मिजोरम के लिए, विकसित खेती और समृद्ध किसान जरूरी है.

उन्होंने कहा कि चाहे मिजोरम की फसलें हो, चाहे फल, पैशन फ्रूट्स, अदरक, हल्दी, गोभी, बैंगन, टमाटर इत्यादि सब का बहुत महत्व है. यहां के फूल की सुगंध सारी दुनिया को आकर्षित करती है. अब हमारा लक्ष्य है कि इन फसलों को केवल मिजोरम तक ही सीमित नहीं रहने देना है बल्कि, इन की मार्किटिंग, ब्राडिंग कर के देश और दुनिया में भेजना है. इस में हम कोई कमी नहीं छोड़ेंगे. हमें किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है.

केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने सभी से मिजोरम राज्य को विकसित बनाने में सहयोग करने का आह्वान भी किया.

इस अवसर पर मिजोरम के राज्यपाल जनरल डा. वीके सिंह, मुख्यमंत्री पु. लालदुहोमा और विश्वविद्यालय कुलपति डा. अनुपम मिश्रा भी उपस्थित रहे.

इस कार्यक्रम में किसानों और केवीके की भागीदारी के साथ नवीनतम बागबानी विकास को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी भी लगाई गई. जिस में 1,500 से अधिक किसानों ने भाग लिया.

देश के 700 से ज्यादा जिलों में जल्द शुरू होगा विकसित कृषि संकल्प अभियान

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) द्वारा देशभर में विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाया जाएगा. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि यह अभियान 700 से ज्यादा जिलों में 29 मई से शुरू हो कर 12 जून तक चलेगा.

इस दौरान हमारे कृषि वैज्ञानिक एवं मंत्रालय के अधिकारी व कर्मचारी, स्थानीय कृषिकर्मियों के साथ टीम बना कर हर एक दिन अलगअलग गांवों में पहुंच कर किसानों से सीधे बातचीत करेंगे और उन्हें खेतीकिसानी के संबंध में अपने स्तर पर और जागरूक करेंगे और सलाह देंगे. उन्होंने कहा कि यह सारी पहल “लैब टू लैंड” के मंत्र को साकार करने के लिए की जा रही है. आधुनिक व आदर्श खेती के साथ ही, यह “एक देश, एक कृषि, एक टीम” की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.

इसी अभियान के संदर्भ में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों एक उच्चस्तरीय बैठक भी दिल्ली में आयोजित की, जिस में देशभर के 731 कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ ही देशभर में फैले आईसीएआर के 100 से अधिक संस्थानों और कृषि विज्ञान से जुड़े अन्य संस्थानों के साथ ही केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी हाईब्रिड मोड में शामिल हुए. इस बैठक में केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी और आईसीएआर के महानिदेशक डा. एमएल जाट भी उपस्थित थे.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस रचनात्मक व महत्वपूर्ण अभियान के पीछे मकसद यहीं है कि हमारी खेती उन्नत रूप से विकसित हो और हमारे किसानों को इस का सीधा फायदा मिलें. पूरे अभियान के दौरान उन्नत तकनीकों, नई किस्मों व सरकारी योजनाओं के बारे में किसानों के बीच जागरूकता का प्रसार किया जाएगा, साथ ही प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना भी इस का उद्देश्य है. इस अभियान में चारचार वैज्ञानिकों की टीमें, किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड में सुझाई गई विभिन्न फसलों में संतुलित खादों के प्रयोग के लिए जागरूक व शिक्षित करेगी.

इस के अलावा केवीके, आईसीएआर के संस्थानों व इफको आदि द्वारा कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग का प्रदर्शन भी किया जाएगा एवं किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए आई.सी.टी. (इनफौर्मेशन, कम्युनिकेशन और तकनीकी) का बड़े स्तर पर उपयोग होगा.

इस अभियान में धान की सीधी बुवाई, फसल विविधीकरण, सोयाबीन की फसल में मशीनीकरण जैसी उन्नत तकनीकों का प्रसार भी केवीके के विशेषज्ञ करेंगे. टीमों में राज्य कृषि, बागबानी, पशुपालन, मत्स्यपालन विभागों, आत्मा के अधिकारी, राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली से जुड़े पौध संरक्षण अधिकारियों के साथ प्रगतिशील किसान, कृषि उद्यमी, एफपीओ, एफआईजी,स्वयं सहायता समूहों के सदस्य भी शामिल होंगे.

इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विकसित भारत के लिए हमारा संकल्प है, विकसित खेती और समृद्ध किसान. अगर किसानों को हमें समृद्ध बनाना है तो एक तरीका है कि वे ठीक ढंग से खेती करें. हम जो विकसित कृषि संकल्प अभियान शुरू कर रहे हैं, ये कर्मकांड नहीं है. ये ऐसा कार्यक्रम भी नहीं है कि हम आज शुरू कर रहे हैं और 10-20 साल बाद इस का नतीजा आएगा, बल्कि ये एक ऐसा अभिनव कार्यक्रम है कि हम आज शुरू करेंगे व तीन महीने बाद खरीफ सीजन में ही इस के सकारात्मक परिणाम दिखने की पूरी उम्मीद है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मेरा मानना है कि कृषि में जो रिसर्च हो रही है, वो किसानों के पास खेतों तक पहुंचनी चाहिए. इस अभियान के जरिए किसानों में जिज्ञासा व रूचि पैदा होगी व वैज्ञानिक भी उत्साहित होंगे. उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि ये कार्य वे मन से करेंगे तो देश के किसानों को इस का बहुत फायदा होगा.

इस संबंध में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भी भेजे हैं, साथ ही केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी व आर्ईसीएआर के महानिदेशक डा. एमएल जाट ने भी अपनेअपने स्तर पर राज्यों के उच्चाधिकारियों से बातचीत की है और अभियान की सफलता के लिए इस की विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है.