Lac Insect : राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के कीट विज्ञान विभाग में लाख कीट आनुवंशिक संरक्षण पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा प्रायोजित नेटवर्क परियोजना के तहत चौथा ‘राष्ट्रीय लाख कीट दिवस’ मनाया गया. इस मौके पर लाख संसाधन उत्पादन पर ‘एकदिवसीय छात्र संवाद सहप्रशिक्षण कार्यशाला’ का आयोजन किया गया और इस में कृषि संकाय के स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी के 125 से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया.

इस मौके पर परियोजना अधिकारी डा. हेमंत स्वामी ने लाख कीट के जीवनचक्र एवं उन के पोषक वृक्ष लाख की खेती कैसे की जाए व किसान अपनी आय को कैसे बढ़ा सकते हैं, के बारे में जानकारी दी.

इस कार्यशाला में डा.एमके महला, प्रोफैसर, कीट विज्ञान ने सौंदर्य प्रसाधन, भोजन, फार्मास्यूटिकल्स, इत्र, वार्निश, पेंट, पौलिश, आभूषण और कपड़ा रंगाई जैसे उद्योगों में लाख और इस के उपउत्पादों यानी राल, मोम और डाई के उपयोग के बारे में बताया. साथ ही, उन्होंने विभिन्न मेजबान पौधों पर लाख कीट की वैज्ञानिक खेती के लिए उन्नत तकनीकों के बारे में भी जानकारी दी.

16 मई से 22 मई तक ‘उत्पादक कीट संरक्षण सप्ताह’ और ‘राष्ट्रीय लाख कीट दिवस’ के अवसर पर डा. अमित त्रिवेदी, क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान, डा. वीरेंद्र सिंह, प्रोफैसर, उद्यान विभाग और डा. रमेश बाबू, विभागाध्यक्ष, कीट विज्ञान विभाग ने इन उत्पादक कीड़ों के संरक्षण, परागणकों, भौतिक डीकंपोजर, जैव नियंत्रण एजेंटों आदि के रूप में प्राकृतिक जैव विविधता की सुरक्षा में उन की भूमिका पर प्रकाश डाला. साथ ही, यह भी बताया कि कैसे स्थानीय किसानों के बीच लाख की खेती को लोकप्रिय बनाना है और प्रोत्साहित करना है, क्योंकि जहां लाख की खेती छोड़ दी गई है, वहां निवास स्थान नष्ट हो गए हैं, वहां लाख के कीट और संबंधित जीवजंतु लुप्त हो गए हैं.

इस आयोजन के दौरान कीट पर निबंध प्रतियोगिता व प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया व विजेताओं को प्रमाणपत्र वितरित किए गए.

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