बीबीएफ या चौड़ी क्यारी और नाली पद्धति से करें बोआई

राजगढ़: उपसंचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास हरीश मालवीय ने कहा कि जिले में जहां हलकी एवं मध्यम काली मिट्टी वाले इलाके हैं, वहां पर किसानों को ब्राड बेड फरो (बीबीएफ) या चौड़ी क्यारी और नाली पद्धति से बोआई की जानी चाहिए, क्योंकि ब्राड बेड फरो को मूल रूप से सोयाबीन के खेतों में पानी की समस्या से निबटने के लिए विकसित किया गया है. मिट्टी की नमी का प्रबंधन वर्षा के पानी का मिट्टी में रिसाव और नमी अवधारणा को बढ़ा कर एवं पानी के बहाव और मृदा अपरदन को कम करने के लिए इस का उपयोग किया जाता है.

इस प्रकार बीबीएफ मशीन द्वारा गहरी नाली बना कर अधिकतम वर्षा के दौरान जल की निकासी की जाती है और कम वर्षा होने पर गहरी नाली नमी के संरक्षण का काम करती है, जिस से दोनों स्थितियों के हानिकारक प्रभाव कम हो जाते हैं.

ब्राड बेड फरो (बीबीएफ) पद्धति की खूबियां

ब्राड बेड फरो में सीड प्लेसमेंट के लिए एडजेस्टमेंट की सुविधा दी गई होती है. इस बहुद्देशीय मशीन का उपयोग प्रदाय किए गए फरो ओपनर को जोड़ कर एवं हटा कर खरीफ व रबी दोनों फसलो के लिए किया जा सकता है. इस मशीन से पंक्ति से पंक्ति की दूरी एडजस्ट की जा सकती है.

ब्राड बेड फरो से बने चैनलों या नाली के माध्यम से आसानी से सिंचाई की जा सकती है. रबी फसलों में उपयोग के लिए मशीन के साथ अतिरिक्त 5 टाइन उपलब्ध कराए जाते हैं. ब्राड बेड फरो में बोए गए बीजों को मिट्टी से एकसाथ ढकने की सुविधा होती है. ब्राड बेड फरो में 5 फरो ओपनरों के साथ 4 अतिरिक्त फरो ओपनर का प्रावधान है. इस तकनीक के उपयोग से फसल उत्पादन में 14.20 फीसदी की बढ़ोतरी होती है.

सफल संचालन एवं सर्वोत्तम परिणाम के लिए सुझाव

रबी फसल की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई कर उसे खुला छोड़ देना चाहिए, क्योंकि उस से गुणवत्तापूर्ण चौड़ी क्यारी तैयार करने में मदद मिलेगी. यदि हर वर्ष यह काम करना संभव न हो, तो कम से कम 2 या 3 वर्ष में एक बार अवश्य करना चाहिए. अन्य जुताई के कामों का भी पालन यथावत करना चाहिए. एमबी प्लाऊ उपयोग न करने पर रिजिड टाइन कल्टीवेटर का उपयोग किया जाना चाहिए. प्रत्येक 3 सालों में खेतों का समतलीकरण करना चाहिए. एमबी प्लाऊ और ब्राड बेड फरो के लिए 40 पीटीओ एचपी का ट्रैक्टर उपयोग करना चाहिए.

जिले में नैनों यूरिया (Nano Urea) की बिकेंगी पौने 2 लाख बोतलें

विदिशा : सहकारी सम्मेलन के माध्यम से बहुद्देशीय प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था मर्यादित के प्रबंधकों के लिए इफको द्वारा नैनो उर्वरकों के उपयोग एवं महत्व पर आधारित कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

कलक्टर एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बुद्धेश कुमार वैद्य  ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जिले में इस वर्ष नैनो यूरिया की पौने 2 लाख बोतलें बेचने का टारगेट रखा गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में चौगुना से ज्यादा है.

कलक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य ने आगे यह भी कहा कि किसानों को समय पर उत्कृष्ट गुणवत्तायुक्त बीजों, उर्वरकों व कृषि संसाधनों की पूर्ति हो, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो.

उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया से होने वाले बहुपयोगी फायदों की जानकारी किसानों तक सकारात्मक तरीकों से अधिक से अधिक संसाधनों के माध्यम से पहुंचे. यूरिया के क्षेत्र में हो रहे बदलाव अर्थात लिक्विड नैनो यूरिया के छिड़काव की समयावधि फसलों की पत्तियों पर करना है.

उन्होंने तकनीकी पहलुओं, विक्रय दरों, भंडार के लिए सीमित जगह सहित अन्य बिंदुओं को रेखांकित किया.

इफको के राज्य विपणन प्रबंधक प्रकाश चंद पाटीदार ने सहकारिता एवं किसान हितेषी योजना एवं उर्वरक व्यवसाय इफको की भूमिका को रेखांकित करते हुए नैनो यूरिया के बेचने और  समितियों को होने वाले मुनाफों, फसलों की पैदावार में होने वाली वृद्धि पर गहन प्रकाश डाला.

सहकारिता सम्मेलन में इफको के क्षेत्र सहायक प्रबंधक कुमार मनेंद ने आयोजन के उद्देश्यों को रेखांकित किया. इफको के उपमहाप्रबंधक ने नैनो एरिया प्लस एवं नैनो डीएपी का फसलों में उपयोग एवं महत्व और प्रबंधक वितरण आरकेएस राठौर ने इफको के विशिष्ट उत्पादक सागरिका जीव उर्वरक जल विलय उर्वरक एवं अन्य उत्पादकों का फसलों में उपयोग एवं महत्व और सहकारिता विशेषज्ञ सचिन ताम्रकार ने सहकारिता की दिशा संभावनाओं पर प्रकाश डाला.

कोआपरेटिव बैंक के सीईओ विनय प्रकाश सिंह ने समितियों के लाभ देने के लिए व्यवसाय विविधीकरण एवं संवर्धन को रेखांकित किया. उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया छिड़काव के दौरान  दुर्घटना होती है, तो गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष बीमा के हिसाब से दोगुनी राशि दी जाएगी.

यूटोपिया रिसार्ट में आयोजित सहकारी सम्मेलन में जिले की 154 समितियों के प्रबंधों सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.

उन्नत तकनीक और कृषि  यंत्रीकरण खेती के लिए लाभकारी

ग्वालियर : किसानों को उन्नत एवं लाभप्रद खेती के लिए प्रोत्साहित करें. फसलों में विविधता लाएं और ऐसी फसलों को प्राथमिकता दें, जो कम समय में तैयार हो जाती हैं. साथ ही, किसानों को प्रमाणित बीज, संतुलित उर्वरक एवं आधुनकि कृषि यंत्रों के उपयोग के लिए प्रेरित करें, जिस से अधिक उत्पादन हो और किसानों की आमदनी बढ़े.

इस आशय के निर्देश कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने संभागीय समीक्षा बैठक में कृषि एवं उस से जुड़े विभागों की गतिविधियों की समीक्षा के दौरान दिए. बैठक के पहले चरण में ग्वालियर एवं चंबल संभाग में गत रबी मौसम में हुए उत्पादन और खरीफ मौसम की तैयारियों की समीक्षा की गई. वहीं दूसरे चरण में पशुपालन, मत्स्यपालन एवं दुग्ध उत्पादन की समीक्षा हुई.

यहां संभाग आयुक्त कार्यालय के सभागार में आयोजित हुई बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव उद्यानिकी, सुखवीर सिंह, संभाग आयुक्त ग्वालियर डा. सुदाम खाड़े व चंबल संजीव कुमार झा, ग्वालियर कलक्टर रुचिका चौहान सहित दोनों संभागों के जिला कलक्टर और उद्यानिकी, सहकारिता, बीज विकास निगम, विपणन संघ, बीज प्रमाणीकरण एवं कृषि से जुड़े अन्य विभागों के राज्य स्तरीय अधिकारी और दोनों संभागों के जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी व संबंधित विभागों के संभागीय अधिकारी मौजूद थे.

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने दोनो संभागों के सभी जिलों में खाद व बीज भंडारण की समीक्षा की. साथ ही, सभी जिला कलक्टर को निर्देश दिए कि खरीफ मौसम में किसानों को खादबीज मिलने में दिक्कत न हो. वितरण केंद्रों का लगातार निरीक्षण कर यह सुनश्चि किया जाए कि किसानों को कोई कठिनाई न हो.

क्लस्टर बना कर दें उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने कहा कि ग्वालियरचंबल संभाग में उद्यानिकी अर्थात फलफूल व सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा देने की बड़ी गुंजाइश है. इसलिए दोनों संभागों के हर जिले में स्थानीय परिस्थितियों व जलवायु के अनुसार क्लस्टर बना कर उद्यानिकी फसलों से किसानों को जोड़ें. साथ ही, हर जिले में किसानों के एफपीओ (किसान उत्पाद संगठन) बनाने पर भी विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि इस से किसानों की आमदनी बढ़ेगी.

खेत तालाब. स्प्रिंकलर व ड्रिप सिंचाई पद्धति को बढ़ावा दें

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने कम पानी में अधिक सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने वाली पद्धतियों को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि ग्वालियरचंबल संभाग में स्प्रिंकलर व ड्रिप सिंचाई पद्धति अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित करें. साथ ही, खेत तालाब बनाने के लिए भी किसानों को बढ़ावा दें. उन्होंने कहा कि इन सिंचाई पद्धतियों के लिए सरकार द्वारा बड़ा अनुदान दिया जाता है.

मौसम एप का करें व्यापक प्रचारप्रसार

मौसम एप का व्यापक प्रचारप्रसार करने पर बैठक में विशेष रूप से निर्देश दिए गए. इस एप पर एक हफ्ते की मौसम की जानकारी उपलब्ध रहती है. यह एप गूगल प्ले स्टोर से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है.

कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि ने कहा कि इस एप के माध्यम से किसानों को मौसम की जानकारी समय से मिल सकेगी और वे मौसम को ध्यान में रख कर अपनी खेती कर पाएंगे. साथ ही, अपनी फसल को भी सुरक्षित कर सकेंगे.

कृषि उपज मंडियों को बनाएं हाईटैक और कैशलेस

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने कृषि उपज मंडियों को हाईटैक, कैशलेस व सभी के लिए सुविधायुक्त बनाने पर विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि इस के लिए शासन से माली मदद दिलाई जाएगी.

उन्होंने कहा कि हाईटैक से आशय है कि मंडी में किसान की उपज की तुरंत खरीदी हो जाए, उन के बैठने के लिए बेहतर व्यवस्था हो, कैशलेस भुगतान की सुविधा हो और कृषि उपज की आटो पैकेजिंग व्यवस्था हो.

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने सभी जिला कलक्टर को सहकारी बैंकों की वसूली करा कर बैंकों को मजबूत करने के निर्देश भी बैठक में दिए. उन्होंने किसान क्रेडिटधारी किसानों के साथसाथ गैरऋणी किसानों की फसल का बीमा कराने के लिए भी कहा.

किसानों को अनुदान आधारित कृषि यंत्र उपलब्ध कराएं

अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि अशोक वर्णवाल ने कहा कि कृषि यंत्रों का उपयोग किसानों के लिए हर तरह से लाभप्रद है. उन्होंने कृषि यंत्र एवं उपकरणों का प्रेजेंटेशन दिखाया और निर्देश दिए कि अनुदान के आधार पर हर जिले में किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराएं.

उन्होंने ग्वालियरचंबल संभाग में अरहर की पूसा वैरायटी अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए. अरहर की पूसा वैरायटी 6 महीने में तैयार हो जाती है और इस फसल के बाद किसान दूसरी फसल भी ले सकते हैं.

उन्होंने प्रमाणित बीज व उर्वरकों के संतुलित उपयोग व मिट्टी परीक्षण के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने पर भी विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि मिट्टी परीक्षण के लिए स्थानीय कृषि स्नातक युवाओं के जरीए चलित लैब स्थापित कराई जा सकती हैं. इस से किसानों की ओर से मिट्टी परीक्षण की मांग बढ़ेगी और किसानों व कृषि स्नातक दोनों को फायदा होगा.

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पशु नस्ल सुधार पर दें विशेष ध्यान

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने बैठक के द्वितीय चरण में पशुपालन, मत्स्यपालन एवं डेयरी उत्पादन सहित कृषि से जुड़ी गतिविधियों की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि कृषि आधारित अर्थव्यवस्था बगैर पशुपालन के मजबूत नहीं रह सकती. इसलिए किसानों को उन्नत नस्ल के पशुपालन के लिए प्रोत्साहित करें.

उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि दुग्ध उत्पादन में ग्वालियर व चंबल संभाग प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के अग्रणी जिलों में शुमार है. इसे और ऊंचाइयां   देने के प्रयास करें.

इस के अलावा उन्होंने पशु नस्ल सुधार पर विशेष बल दिया. साथ ही, बरसात से पहले सभी जिलों में मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए अभियान बतौर टीकाकरण कराने के निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि हर जिले में गौशालाओं को प्रमुखता दें. अधूरी गौशालाएं जल्द से जल्द पूरी कराई जाएं.

उन्होंने किसानों के दुग्ध व्यवसाय को संस्थागत रूप देने पर जोर देते हुए कहा कि उन्हें दुग्ध समितियों से जोड़ें. बैठक में मत्स्यपालन को बढ़ावा देने और दुग्ध संघ को मजबूत करने के संबंध में आवश्यक दिशानिर्देश दिए गए.

द्वितीय चरण की बैठक में प्रमुख सचिव मत्स्यपालन डा. नवनीत कोठारी सहित पशुपालन, डेयरी व मत्स्यपालन विभाग के राज्य स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे.

संभाग आयुक्त डा. सुदाम खाड़े ने कहा किसानों को जागरूक करने में सोशल मीडिया का उपयोग करें. साथ ही, प्रगतिशील कृषकों द्वारा की जा रही उन्नत खेती की वीडियो क्लीपिंग बना कर सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से अन्य किसानों को जागरूक करने का सुझाव दिया.

उन्होंने कहा कि किसानों को स्वसहायता समूहों में संगठित करें, जिस से वे अधिक लाभ कमा सकें. समय के अनुसार खेती में बदलाव लाने पर भी उन्होंने बल दिया.

सभी जिलों के कलक्टर ने बताई अपनेअपने जिले की कार्ययोजना

खेती को लाभप्रद बनाने के लिए संभाग के सभी जिलों में बनाई गई कार्ययोजना के बारे में सभी कलक्टरों ने अपनेअपने सुझाव दिए. ग्वालियर कलक्टर रुचिका चौहान ने बताया कि ग्वालियर जिले में कस्टम हायर सैंटर बढ़ाए जाएंगे. जिले में नैनो यूरिया अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. जिले में ज्वार, मक्का व उड़द और उद्यानिकी फसलों का रकबा बढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा कि तालाबों में पोली लायनिंग पद्धति अपनाने के लिए भी किसानों को प्रेरित किया जाएगा.

बिहार के आम (Mangoes of Bihar) भारत की पहचान बन सकते हैं

पटना : बिहार में आम की विविधताओं को प्रदर्शित करने और आम उत्पादक किसानों को एक बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बिहार के राजभवन में 2 दिवसीय आमोत्सव-2024 का आयोजन 15 जून व 16 जून को हुआ. यह कार्यक्रम बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर और कृषि विभाग, बिहार सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया.  इस आमोत्सव में 300 से अधिक आम की किस्मों को हजारों लोग पूरे बिहार से देखने आए. यहां आम के विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आम उत्पादक किसान, व्यापारी और आम के प्रेमी लोगों ने हिस्सा लिया.

आमोत्सव-2024 का उद्घाटन राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने किया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “आम से मेरा प्यार बहुत पुराना है. गोवा जहां से मैं हूं, वहां का अल्फांजो और हापूस आम पूरी दुनिया में भारत की पहचान के तौर पर जाने जाते हैं. लेकिन जब मुझे बिहार आने पर बीएयू, सबौर के कुलपति द्वारा भागलपुरी जर्दालू आम दिया गया, तो मैं इस के स्वाद से काफी प्रभावित हुआ.

“मैं यह कह सकता हूं कि बिहार के प्रमुख आम जर्दालू, दीघा मालदह और दुधिया मालदह में वह क्षमता है कि यह भारत की पहचान के रूप में स्थापित हो सके.”

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने आमोत्स्व-2024 के आयोजन के पीछे का मकसद बताते हुए कहा कि बिहार के आम का स्वाद बहुत अनोखा होता है और इसे उचित बाजार मिले तो निश्चित तौर पर आम उत्पादकों को बड़ा फायदा होगा. यहां अगर हम इंडस्ट्री लगाने की बात करते हैं, तो वह इंडस्ट्री कृषि आधारित होनी चाहिए.”

बिहार के आम (Mangoes of Bihar)

इस आमोत्सव में बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने अपने संबोधन में आम और भारतीय संस्कृति में अनूठे रिश्ते पर प्रकाश डाला और कहा कि आम प्रकृति का सब से बड़ा उपहार है.

उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में आमों की इतनी विविधताएं पाई जाती हैं, फिर भी बिहार का देश में आम उत्पादन में चौथा स्थान है. इस तरह के आयोजन से आम के उत्पादन और विपणन में बढ़ोतरी होगी और निश्चित तौर पर बिहार आम उत्पादन में अपना प्रथम स्थान हासिल करेगा.

कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि आम प्रदर्शनी में 300 से अधिक किस्में और आम के विभिन्न उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं. यहां प्रदर्शित आम के विभिन्न उत्पादों में उद्यमिता की भरपूर क्षमता है. अतः यह बात आज ध्यान में आने के बाद कृषि विभाग इस दिशा में काम करेगा.

उन्होंने आगे कहा कि बिहार में लगभग 1.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की खेती होती है और औसत उपज 9.7 टन प्रति हेक्टेयर है. बिहार सरकार के बागबानी मिशन और मुख्मंत्री तीव्र बागबानी योजना से हर वर्ष उपज क्षेत्र में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. कृषि मंत्री ने आम की उत्पादकता को बढ़ाने में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के योगदानों की सराहना की.

बिहार के आम (Mangoes of Bihar)

इस अवसर पर कार्यक्रम में देशभर के उद्यान वैज्ञानिकों के अलावा कई गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया, जिन में बिहार सरकार के मंत्री डा. प्रेम कुमार और श्रवन कुमार, पद्मश्री रामचेत चौधरी, किसान चाची के नाम से मशहूर पद्मश्री राजकुमारी देवी, मैंगो मैन अशोक चौधरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के पूर्व उपमहानिदेशक डा. एचपी सिंह और वर्तमान में सहायक महानिदेशक (फल एवं रोपण फसलें) डा. विश्वबंधु पटेल के अलावा बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डीआर सिंह, राज्यपाल के प्रधान सचिव रौबर्ट चोंगथू और सचिव कृषि विभाग संजय कुमार अग्रवाल इत्यादि लोगों की उपस्थिति रही.

इस से पूर्व राज्यपाल द्वारा आमोत्सव 2024 की स्मारिका पुस्तिका और वेरिएटल वेल्थ औफ बिहार नामक पुस्तक का विमोचन किया गया. राज्यपाल द्वारा जर्दालू आम पर बनी लघु वृत्तचित्र और मैंगो पोर्टल का भी लोकार्पण किया गया.

ज्यादा मुनाफे के लिए बहुस्तरीय खेती और समूह में खेती करना है जरूरी

14 जून, 2024 को ‘एमएफओआई-समृद्ध किसान उत्सव का आयोजन किया गया, जिस में कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी समेत जिले के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया.

सांसद भोजराज नाग और विधायक नीलकंठ टेकाम ने डा. राजाराम त्रिपाठी को सर्टिफिकेट औफ एक्सीलेंस प्रदान किया गया.

कार्यक्रम के दौरान भोजराज नाग ने अपने उद्बोधन में कहा कि जीवन की सब से महत्वपूर्ण चीज दाल, रोटी और चावल है, जिस के बिना जीवनयापन करना मुश्किल है. उन्होंने जलवायु परिवर्तन के बारे में बात करते हुए कहा कि पर्यावरण को संरक्षित रखना बहुत जरूरी है, जिस के लिए सभी से पेड़ लगाने की अपील की.

विधायक नीलकंठ टेकाम ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र, पूर्वी बोरगांव, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में आधुनिक तकनीक से खेती कर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. किसान अन्नदाता के रूप में इस संसार का पालनहार है. इन का हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है.

उन्होंने आगे कहा कि बस्तर के बेहद पिछड़े क्षेत्र में जन्मे और बेहद कठिनाइयों में भी लगातार पढ़ाई कर खेती के क्षेत्र में डा. राजाराम त्रिपाठी ने बस्तर का नाम जिस तरह से सारे देशविदेश में रोशन किया है, उस पर बस्तर को गर्व है.

इस दौरान हरित योद्धा, कृषि ऋषि, हर्बल किंग, फादर औफ सफेद मूसली आदि नामों से देशभर में अपनी पहचान बना चुके सफल किसान डा. राजाराम त्रिपाठी ने उपस्थित सैकड़ों प्रगतिशील किसानों को उन की अपनी आंचलिक बोली में अपना उद्बोधन दिया.

इस दौरान उन्होंने अपनी सफलता की कहानी साझा करते हुए कहा कि अब समूह में खेती करना बहुत जरुरी है. इस से ज्यादा मुनाफा होता है. साथ ही, मार्केटिंग करना भी आसान होता है.

उन्होंने आगे बताया कि इस डिजिटल युग में मोबाइल, वैज्ञानिकी सलाह और कृषि जागरण, कृषि पत्रपत्रिकाएं आदि के माध्यम से भी खेती करने की तरीको में बदलाव किया जा सकता है.

कृषि विज्ञान केंद्र, कोंडागांव के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डा. ओम प्रकाश कृषि विज्ञान केंद्र की रूपरेखा के बारे में बताया और संरक्षित खेती के बारे में जानकारी दी और मछलीपालन के विभिन्न तरीकों के बारे में किसानों को बताया.

कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के जिला प्रमुखों ने अपनेअपने विभागों में चल रही  योजनाओं के बारे में किसानों को अवगत कराया.

लुवास ने खरीदी जेसीबी (JCB), करेगी कृषि यूनिवर्सिटी के अनेकों काम

हिसार : लुवास कुलपति प्रो. विनोद कुमार वर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय के नए परिसर में विभिन्न भवनों का निर्माण कार्य प्रगति पर है और कुछ भवनों का निर्माण पूरा होने के करीब है और विश्वविद्यालय के नए परिसर में लगभग 400 एकड़ भूमि को चारा उत्पादन के लिए पशु फार्म में पशुधन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आरक्षित रखा गया है.

यद्यपि आंवटित भूमि को कृषि योग्य बनाने का प्रयास किया गया है, लेकिन इन एकड़ में से लगभग 250 एकड़ भूमि बंजर है. इसलिए यह जेसीबी मशीन सिंचाई चैनल तैयार करने, चैनलों की सफाई करने, विश्वविद्यालय को कृषि के साथसाथ सामान्य भूमि को समतल करने का काम करेगी.

उन्होंने आगे बताया कि जेसीबी मशीन हरे चारे के अधिक उत्पादन के साथसाथ अन्य फसल उत्पादन के लिए अनुपयोगी एकड़ भूमि को कृषि योग्य बनाने में सहायक होगी, जिस से विश्वविद्यालय की आय अधिक होगी और पशुधन को पूरे वर्ष हरा चारा उपलब्ध होगा.

इस के अलावा यह मशीन नए परिसर में बागबानी के काम, हर्बल पार्क व उद्यान पार्क आदि को विकसित करने में मददगार होगी और परिसर में स्वस्थ वातावरण और सौंदर्य वातावरण का विकास होगा.

इस अवसर पर पशु पोषण विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सज्जन सिहाग ने बताया कि विश्वविद्यालय की कृषि भूमि का समतलीकरण और सफाई व बागबानी के काम को विकसित करने के लिए विश्वविद्यालय ने नई बैकहो लोडर जेसीबी मशीन खरीदी है.

इस उद्घाटन समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता पशु चिकित्सा महाविद्यालय डा. गुलशन नारंग, छात्र कल्याण निदेशक डा. पवन कुमार, कुलसचिव डा. सुरेंद्र सिहं ढ़ाका, निदेशक विस्तार शिक्षा डा. विरेंद्र पंवार, निदेशक मानव संसाधन प्रबंधक डा. राजेश खुराना, लेंड स्केप अफसर व डीन, डेयरी सांइस व टैक्नोलौजी डा. सज्जन सिहाग व अन्य वैज्ञानिक एवं छात्र मौजूद रहे.

फलफूल, सब्जी और मधुमक्खीपालन पर फ्री ट्रेनिंग (Free Training)

हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान द्वारा 18 से 20 जून तक नर्सरी रेजिंग (फल, फूल, सब्जी) और 24 से 26 जून तक मधुमक्खीपालन पर 3 दिवसीय व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में देश व प्रदेश से किसी भी वर्ग, आयु के इच्छुक महिला व पुरुष भाग ले सकेंगे.

सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान के सहनिदेशक (प्रशिक्षण) डा. अशोक गोदारा ने बताया कि प्रशिक्षण में भाग लेने वाले उम्मीदवारों को विश्वविद्यालय की तरफ से प्रमाणपत्र दिए जाएंगे. प्रशिक्षण के दौरान वैज्ञानिकों द्वारा उत्पादन तकनीकों की जानकारी दे कर युवाओं का कौशल विकास किया जाएगा. व्यावहारिक ज्ञान के लिए प्रशिक्षण से संबंधित स्थापित इकाइयों का भी भ्रमण करवाया जाएगा.

यह प्रशिक्षण नि:शुल्क होगा. इच्छुक युवक व युवतियां पंजीकरण के लिए सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान में उपर्युक्त प्रशिक्षण की तारीख को ही सुबह 7 बजे पहुंच कर अपना पंजीकरण करवा कर प्रशिक्षण में भाग ले सकते हैं.

यह संस्थान विश्वविद्यालय के गेट नंबर-3, लुदास रोड पर स्थित है. प्रशिक्षण में प्रवेश पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर दिया जाएगा. पंजीकरण के लिए उम्मीदवारों को एक फोटो व आधारकार्ड की फोटोकौपी साथ ले कर आनी होगी.

किसान सम्मान निधि के तहत 20,000 करोड़  की 17वीं किस्त जारी

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पीएम-किसान के तहत लगभग 20,000 करोड़ रुपए की 17वीं किस्त जारी करने के संबंध में जानकारी दी. प्रधानमंत्री किसानों को पीएम किसान योजना की 17वीं किस्त जारी करने और कृषि सखियों के रूप में 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए 18 जून, 2024 को वाराणसी का दौरा किया.

यह कार्यक्रम केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश सरकार के कई अन्य मंत्री सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित रहे.

अपने संबोधन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभाग का दायित्व सौंपने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विकसित भारत का संकल्प पूरा करने के लिए कृषि सब से महत्वपूर्ण आधार है.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव है. आज भी रोजगार के सब से ज्यादा अवसर कृषि के माध्यम से ही सृजित होते हैं.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज किसान देश के अन्न के भंडार भर रहा है. पहले भी कृषि और किसान प्रधानमंत्री मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है, जिस के चलते किसानों के कल्याण के लिए अनेकों कदम उठाए गए और अभी भी प्रधानमंत्री मोदी ने पद ग्रहण करने के बाद सब से पहले किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त किसानों को जारी करने के लिए हस्ताक्षर किए.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने सब से पहले कार्यक्रम में पीएम किसान की बहुप्रतीक्षित 17वीं किस्त, 20,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि, 9.26 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसानों को प्रधानमंत्री द्वारा वाराणसी से बटन के एक क्लिक से वितरित की गई.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान सम्मान निधि 24 फरवरी, 2019 को शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिस का उद्देश्य उच्च आय की स्थिति के कुछ बहिष्करण मानदंडों के अधीन सभी भूमिधारक किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करना है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि लाभार्थियों के पंजीकरण और सत्यापन में पूरी तरह से पारदर्शिता बनाए रखते हुए, भारत सरकार ने देशभर में अब तक 11 करोड़ से अधिक किसानों को 3.04 लाख करोड़ रुपए से अधिक का वितरण किया है और इस रिलीज के साथ ही, योजना की शुरुआत से लाभार्थियों को हस्तांतरित कुल राशि 3.24 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगी.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 18 जून को अन्नदाताओं की खुशहाली के लिए कई केंद्रीय मंत्री किसानों से बात करने और उन में विभाग की विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 50 केवीके का दौरा करेंगे और वर्चुअली कार्यक्रम से जुड़ेंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि देशभर से लगभग 2.5 करोड़ किसान इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. किसानों में जागरूकता पैदा करने के लिए देशभर से 732 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), 1.0 लाख से अधिक प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां और 5.0 लाख कौमन सर्विस सैंटर (सीएससी) भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री  का संकल्प है 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का, जिस में से लगभग एक करोड़ लखपति दीदी बन चुकी हैं, 2 करोड़ और बनानी हैं. उसी का एक आयाम है कृषि सखी.

उन्होंने कहा कि किसानों की सहायता के लिए कई बहनों को प्रशिक्षण दे कर तैयार किया है, ताकि वे खेती में अलगअलग कामों के माध्यम से किसानों का सहयोग कर सकें और लगभग 60-80 हजार रुपए तक की सालाना अतिरिक्त आय अर्जित कर पाएं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम किसान की किस्त जारी करने के कार्यक्रम के साथसाथ प्रधानमंत्री मोदी 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को कृषि सखियों के रूप में प्रमाणपत्र भी प्रदान करेंगे और एक प्रतीक के रूप में प्रधानमंत्री 5 कृषि सखियों को प्रमाणपत्र वितरित करेंगे.

उन्होंने कहा कि कृषि सखी कार्यक्रम को चरण-1 में 12 राज्यों गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मेघालय में शुरू किया गया है. आज तक, 70,000 में से 34,000 से अधिक कृषि सखियों को पैराएक्सटेंशन वर्कर के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि सखियों को कृषि पैराविस्तार कार्यकर्ताओं के रूप में इसलिए चुना जाता है, क्योंकि वे विश्वसनीय सामुदायिक संसाधन व्यक्ति और अनुभवी किसान हैं. कृषि सखियों को पहले से ही विभिन्न कृषि पद्धतियों में व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त है, जिस से वे साथी किसानों को प्रभावी ढंग से सहायता और मार्गदर्शन देने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए हैं.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से देशभर के किसानों के परिवारों के बैंक खातों में हर 4 महीने में 3 समान किस्तों में 6,000 रुपए हर साल का वित्तीय लाभ हस्तांतरित किया जा रहा है, तो वहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 4 करोड़ से ज्यादा किसानों को आर्थिक सुरक्षा की गारंटी दी गई है.

उन्होंने प्रसन्नता जताई कि वैश्विक कीमतों में उछाल के बावजूद भी किसानों को 11 लाख करोड़ की सब्सिडी उपलब्ध करा कर सस्ती दरों पर खाद उपलब्ध कराने का काम निरंतर जारी है.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण डीडी, डीडी किसान, माय गोव, विकास खंड कार्यालय से ले कर ग्राम पंचायतों, यूट्यूब, फेसबुक, अलगअलग कृषि विज्ञान केंद्रों में और देशभर के 5 लाख से अधिक कौमन सर्विस पर भी किया जाएगा.

उन्होंने किसानों से अपील की कि वे इस कार्यक्रम में किसी भी माध्यम से सीधे भाग ले कर कार्यक्रम से और प्रधानमंत्री मोदी से जुड़ें. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव मनोज आहूजा, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव  हिमांशु पाठक भी उपस्थित रहे.

किसानों की तरक्की और कृषि उत्पादन व गुणवत्ता पर करें फोकस

नई दिल्ली : 12 जून 2024 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि भवन में बैठक ले कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प अनुसार 100 दिनों की कृषि कार्ययोजना के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से विस्तार से चर्चा की.

इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपना पूरा फोकस किसानोन्मुखी कार्यों पर करें, ताकि देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के निरंतर विकास के लिए तेजी से काम किया जा सके.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकार के तीसरे कार्यकाल में, पहले 100 दिनों की विभागीय कार्ययोजना के सभी पहलुओं को समझने के साथ ही देश के कृषि क्षेत्र की मजबूती और किसानों के दुखदर्द को कम करने के लिए सशक्तता के साथ कदम उठाने के लिए दिशानिर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि हमारे किसान भाइयोंबहनों को गुणवत्तापूर्ण खादबीज आदि आदानों की उपलब्धता प्राथमिकता से सुनिश्चित की जानी चाहिए, इस संबंध में उन्हें कहीं कोई परेशानी नहीं आनी चाहिए, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि देश में कृषि उत्पादन व उत्पादकता बढ़ना चाहिए, साथ ही हम अपनी घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के अलावा दुनिया के अन्य देशों को भी जरूरत के अनुसार गुणवत्तापूर्ण कृषि उत्पाद निर्यात कर सकें, ऐसी ठोस कार्ययोजना पर अमल करना चाहिए. बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों ने विभागवार योजनाओं की प्रस्तुतियां दीं.

बैठक में कैबिनेट मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर और भागीरथ चौधरी और कृषि सचिव मनोज अहूजा व कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक उपस्थित थे.

यंत्रीकरण और आधुनिक तकनीकियों से कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector) में क्रांति संभव

नई दिल्ली: कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगामी खरीफ सीजन के लिए खाद, बीज एवं कीटनाशकों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है.

उन्होंने कृषि भवन में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ खरीफ सीजन 2024 की तैयारियों की समीक्षा करते हुए उन्हें फसलों के लिए इनपुट सामग्रियों का समय पर वितरण एवं गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रंखला में किसी भी प्रकार की बाधा से बोआई में देरी होती है. इस के परिणामस्वरूप उत्पादन प्रभावित होता है और इसे हर कीमत पर टाला जाना चाहिए.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संबंधित विभाग को स्थिति की निरंतर निगरानी एवं समीक्षा करने के निर्देश दिए, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो. उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि इस वर्ष दक्षिणपश्चिम मानसून का पूर्वानुमान सामान्य से बेहतर है.

इस अवसर पर उर्वरक विभाग, केंद्रीय जल आयोग और भारतीय मौसम विभाग के अधिकारियों ने प्रस्तुतीकरण दिए. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव मनोज आहूजा और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री को खरीफ सीजन की तैयारियों के बारे में जानकारी दी.

इस से पहले कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के कामकाज की समीक्षा करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए खेतों के मशीनीकरण को बढ़ाने का आह्वान किया. साथ ही, कृषि शिक्षा को पेशे से जोड़ने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि कृषि विज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले लोग खेती के तरीकों से जुड़ सकें.

उन्होंने किसान विकास केंद्रों (केवीके) की उपयोगिता में सुधार के लिए गहन चर्चा पर जोर दिया, ताकि उन्हें देश के अंतिम किसान तक पहुंचाया जा सके. उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रणालियों का प्रभावी इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकता है.

उन्होंने वैज्ञानिकों से उत्पादकता में सुधार और नई नस्लों के विकास पर लगातार काम करने का आह्वान किया. साथ ही, यह भी बताया कि प्राकृतिक खेती प्रणालियों को सरल बनाने की आवश्यकता है, ताकि अधिक से अधिक किसान इसे अपनी खेती के लिए अपनाएं.

कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र (आईसीएआर) के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की गतिविधियों और 100 दिवसीय योजना के बारे में जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि आईसीएआर की 100 दिवसीय योजना में एक सौ फसल किस्मों का विकास और नई प्रौद्योगिकियों का एक सौ प्रमाणन शामिल है. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर और भागीरथ चौधरी भी बैठकों के दौरान मौजूद थे.