कृषि योजनाओं के लिए एमपी किसान पोर्टल पर पंजीयन जरूरी

भोपाल : कृषि विभाग की विभिन्न योजना के अंतर्गत बीज, सिंचाई यंत्र एवं आदान सामग्री का लाभ लेने के लिए जिले के किसान पोर्टल ‘एमपी किसान’ पर औनलाइन पंजीयन कराएं. पंजीयन के लिए वैब ब्राउजर पर kisan.mp.gov.in वैबसाइट के माध्यम से खुद या नजदीकी एमपी औनलाइन पर जा कर आवेदन करें.

कृषि विभाग से संबंधित योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए जिले के किसान वैब ब्राउजर पर जा कर kisan.mp.gov.in यूआरएल के माध्यम से किसान खुद ही पंजीयन कर सकते हैं. किसान पोर्टल पर जाने के लिए दिए गए यूआरएल kisan.mp.gov.in वैब ब्राउजर पर अंकित करें. कृषि योजना में पंजीयन करने के लिए कृषि योजना के लिए पंजीयन पर क्लिक करें.

कृषि योजना के लिए पंजीयन करने के लिए लिंक पर क्लिक करने बाद नए टैब में पंजीयन पेज खुल जाता है और पंजीयन के लिए जरूरी दस्तावेज जो संलग्न होने की जानकारी दी जाती है, जैसे किसान का आधारकार्ड, किसान की भूमि से संबंधित जानकारी, किसान की समग्र आईडी, किसान का जाति प्रमाणपत्र, यदि आवेदक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का हो तो जानकारी ध्यानपूर्वक पढ़ें और आगे बढ़ने के लिए बटन पर क्लिक करने के बाद, किसान पंजीयन फार्म प्रदर्शित हो जाता है, जहां 2 औप्शन दिखाई देते हैं. आधार नंबर द्वारा पंजीयन अथवा भूअभिलेख द्वारा पंजीयन करें. औप्शन में से किसी एक औप्शन के माध्यम से अपना पंजीयन कर सकते हैं अथवा नजदीकी एमपी औनलाइन पर जा कर भी अपना पंजीयन, आवेदन कर सकते हैं.

इस वर्ष कृषि विभाग के औनलाइन पोर्टल ‘एमपी किसान’ पर अपने आवेदन का पंजीयन के उपरांत ही कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सकेगा. किसानों से अपील की जाती है कि औनलाइन पोर्टल ‘एमपी किसान’ पर अपना आवेदन पंजीयन कराएं.

कृषक उत्पादक सेल (Farmer Producer Cell) बनाएगी उप्र सरकार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की कृषि उत्पादकता को नए आयाम देने की दिशा में प्रयासरत योगी सरकार प्रदेश को देश के फूड बास्केट के तौर पर विख्यात करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रदेश के अन्नदाता किसानों को सभी सरकारी योजनाओं का लाभ और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की प्रगति व प्रशस्ति का मार्ग सुनिश्चित कर रही योगी सरकार अगले 3 महीने मिशन मोड में अभियान चलाने जा रही है.

सीएम योगी की मंशा के अनुसार, प्रदेश में सक्रिय एफपीओ के औनलाइन पंजीयन, औनलाइन मार्केटिंग प्लेटफार्म से जोड़ने व लाइसैंसिंग और इक्विटी ग्रांट समेत तमाम प्रक्रियाओं के सरलीकरण की प्रक्रिया को क्रियान्वित कर दिया गया है. इस के अतिरिक्त कृषक उत्पादक सेल का भी गठन किया जाएगा.

3,240 एफपीओ आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के अंतर्गत पंजीकृत

योगी सरकार द्वारा कृषि विभाग को सक्रिय किसान उत्पादक संगठनों को सुदृढ़ करने और उन्हें ओएनडीसी और ई-नाम से जोड़ने की प्रक्रिया को गति देने का निर्देश दिया गया है. इन कार्यों को बढ़ावा देने के लिए कृषक उत्पादक सेल का गठन किया जाएगा, जो इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी के तौर पर काम करेगा.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 3,240 एफपीओ आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के अंतर्गत कार्यरत हैं. जिन को ‘शक्ति पोर्टल’ पर पंजीकृत किया गया है.

कई लक्ष्यों की होगी पूर्ति

सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा अनुरूप तैयार की गई विस्तृत कार्ययोजना के जरीए प्रदेश में एफपीओ को सुदृढ़ बनाने का जो फ्रेमवर्क निर्धारित किया गया है, उस में प्रमोशन, पारदर्शी कृषि बाजार का निर्माण, इनपुट लाइसैंसिंग प्रक्रिया (खाद, बीज, कीटनाशक), मंडी लाइसैंस, जीएसटी लाइसैंस, एफएसएसआई लाइसैंस और मार्केट लिंकेज के लिए ओएनडीसी प्लेटफार्म पर औनबोर्ड कराना शामिल है.

इस प्रक्रिया को ओएनडीसी और ई-नाम पोर्टल से जोड़ कर पूरा कराया जाएगा. इस के अलावा इक्विटी ग्रांट, इनपुट लाइसैंस, बीज लाइसैंस, सीड डीलरशिप लाइसैंस और उर्वरक लाइसेंस जैसी तमाम महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी.

कृषक उत्पादक संगठन सेल का होगा गठन

प्रदेश में एफपीओ फ्रेमवर्क को बढ़ावा देने के लिए अगले 3 महीने बड़े पैमाने पर मुहिम चलाई जाएगी. इस क्रम में कृषक उत्पादक सेल भी बनाया जाएगा, जो इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी के तौर पर काम करेगा.

एफपीओ को प्रोत्साहित करने के लिए इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी शासन के साथ विभिन्न स्तरों की बैठकों का आयोजन करेगी और पूरे अभियान की रूपरेखा समेत विस्तृत प्रगति रिपोर्ट भी तैयार करेगी.

इस रिपोर्ट की विभिन्न स्तर पर मौनिटरिंग संभव हो सकेगी, जिस से पारदर्शिता के साथ ही काम की प्रगति की वस्तुस्थिति स्पष्ट हो सकेगी. राज्य सलाहकार समिति (एसएलसीसी) व जिला स्तरीय मौनिटरिंग कमेटी (डीएमसी) प्रक्रिया से संबंधित अभियान के कार्यों का पर्यवेक्षण करेगी.

अटल मजदूर कैंटीन (Atal Mazdoor Canteen) में 10 रुपए में मिल रहा खाना

हरियाणा : हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा प्रदेश की 40 मंडियों में अटल मजदूर कैंटीन चलाई जा रही है. इन कैंटीनों में कोई भी नागरिक विशेषकर किसान व मजदूर मात्र 10 रुपए में भरपेट भोजन कर सकते हैं. पहले यह कैंटीन सीजन के अनुसार चलाई जाती थी, लेकिन पिछले 4 माह से अब यह कैंटीन सालभर के लिए चलाई जा रही हैं.

अंतर्विभागीय मामलों के समाधान के लिए पीएम गति शक्ति की तर्ज पर बनेगा हरियाणा गति शक्ति

मुख्यमंत्री नायब सिंह ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि कई परियोजनाएं जमीन की उपलब्धता न होने या अन्य विभाग से मंजूरी न मिलने के कारण देरी से क्रियान्वित होती हैं. ऐसे सभी मामलों के समाधान के लिए पीएम गति शक्ति की तर्ज पर प्रदेश में भी हरियाणा गति शक्ति बनाया जाए. सभी विभागों को इसे एक प्लेटफार्म पर लाया जाए, ताकि ऐसी जो भी परियोजनाएं हों, जहां एक से ज्यादा विभाग शामिल हों, वे अपने मामलों का त्वरित समाधान करें. साथ ही, जिला उपायुक्त स्तर के मुद्दों को भी हरियाणा गति शक्ति में सुना जाएगा और उन का हल निकाला जाएगा.

5 करम के सभी रास्तों को एकसाथ किया जाए पक्का

बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में खेतों को जाने वाले 5 करम के अधिकतर रास्तों को पक्का किया जा चुका है. जहां 5 करम के रास्तों की चौड़ाई बीचबीच में कम है, ऐसे लगभग 490 किलोमीटर लंबाई के रास्ते शेष हैं, जिन्हें पक्का किया जाना है.

मुख्यमंत्री नायब सिंह ने निर्देश देते हुए कहा कि एक प्रोजैक्ट बना कर ऐसे बचे हुए सभी 5 करम के रास्तों को पक्का किया जाए. इस के अलावा मंडी बोर्ड की जो भी सड़कें खराब हैं, उन की विशेष मरम्मत कराई जाए. 10 दिनों में समुचित प्लानिंग कर के टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाए.

बैठक में मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव  अंकुर गुप्ता, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव  वी. उमाशंकर, मुख्यमंत्री की अतिरिक्त प्रधान सचिव आशिमा बराड़, हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय बागबानी विपणन निगम गन्नौर के प्रबंध निदेशक  जे. गणेशन, हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के मुख्य प्रशासक मुकेश कुमार आहूजा, कृषि विभाग के निदेशक  राज नारायण कौशिक, बागबानी विभाग के महानिदेशक अर्जुन सिंह सैनी और महाराणा प्रताप बागबानी विश्वविद्यालय, करनाल के कुलपति डा. सुरेश के. मल्होत्रा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.

जीवन सुरक्षा योजना में आयु सीमा समाप्त, मिलेगी 5 लाख तक मदद

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार द्वारा किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री किसान एवं खेतिहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना में आयु सीमा को समाप्त करने का बड़ा फैसला लिया है. अब 10 वर्ष से कम आयु के बच्चे और 65 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों को भी योजना के तहत लाभ मिल सकेगा. इस योजना के अंतर्गत किसानों, खेतिहर मजदूरों, मार्केट यार्ड में काम करने वाले मजदूरों को कृषि मशीनरी पर काम करने के दौरान मृत्यु या अंगहानि होने पर 37,500 रुपए से ले कर 5 लाख रुपए तक की माली मदद प्रदान की जाती है.

यह निर्णय मुख्यमंत्री  नायब सिंह की अध्यक्षता में यहां हुई कृषि एवं किसान कल्याण, बागबानी विभाग और हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड की समीक्षा बैठक में लिया गया. बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  कंवर पाल भी मौजूद रहे.

मुख्यमंत्री नायब सिंह ने बिंदुवार सभी परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए विस्तृत दिशानिर्देश दिए.  उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि सभी परियोजनाओं को तय समय में पूरा किया जाए. किसी भी स्तर पर ढिलाई बरदाश्त नहीं की जाएगी. इस के साथ ही आगामी 15 जुलाई से कालका में सेब मंडी में भी काम शुरू किया जाए.

बीबीएफ या चौड़ी क्यारी और नाली पद्धति से करें बोआई

राजगढ़: उपसंचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास हरीश मालवीय ने कहा कि जिले में जहां हलकी एवं मध्यम काली मिट्टी वाले इलाके हैं, वहां पर किसानों को ब्राड बेड फरो (बीबीएफ) या चौड़ी क्यारी और नाली पद्धति से बोआई की जानी चाहिए, क्योंकि ब्राड बेड फरो को मूल रूप से सोयाबीन के खेतों में पानी की समस्या से निबटने के लिए विकसित किया गया है. मिट्टी की नमी का प्रबंधन वर्षा के पानी का मिट्टी में रिसाव और नमी अवधारणा को बढ़ा कर एवं पानी के बहाव और मृदा अपरदन को कम करने के लिए इस का उपयोग किया जाता है.

इस प्रकार बीबीएफ मशीन द्वारा गहरी नाली बना कर अधिकतम वर्षा के दौरान जल की निकासी की जाती है और कम वर्षा होने पर गहरी नाली नमी के संरक्षण का काम करती है, जिस से दोनों स्थितियों के हानिकारक प्रभाव कम हो जाते हैं.

ब्राड बेड फरो (बीबीएफ) पद्धति की खूबियां

ब्राड बेड फरो में सीड प्लेसमेंट के लिए एडजेस्टमेंट की सुविधा दी गई होती है. इस बहुद्देशीय मशीन का उपयोग प्रदाय किए गए फरो ओपनर को जोड़ कर एवं हटा कर खरीफ व रबी दोनों फसलो के लिए किया जा सकता है. इस मशीन से पंक्ति से पंक्ति की दूरी एडजस्ट की जा सकती है.

ब्राड बेड फरो से बने चैनलों या नाली के माध्यम से आसानी से सिंचाई की जा सकती है. रबी फसलों में उपयोग के लिए मशीन के साथ अतिरिक्त 5 टाइन उपलब्ध कराए जाते हैं. ब्राड बेड फरो में बोए गए बीजों को मिट्टी से एकसाथ ढकने की सुविधा होती है. ब्राड बेड फरो में 5 फरो ओपनरों के साथ 4 अतिरिक्त फरो ओपनर का प्रावधान है. इस तकनीक के उपयोग से फसल उत्पादन में 14.20 फीसदी की बढ़ोतरी होती है.

सफल संचालन एवं सर्वोत्तम परिणाम के लिए सुझाव

रबी फसल की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई कर उसे खुला छोड़ देना चाहिए, क्योंकि उस से गुणवत्तापूर्ण चौड़ी क्यारी तैयार करने में मदद मिलेगी. यदि हर वर्ष यह काम करना संभव न हो, तो कम से कम 2 या 3 वर्ष में एक बार अवश्य करना चाहिए. अन्य जुताई के कामों का भी पालन यथावत करना चाहिए. एमबी प्लाऊ उपयोग न करने पर रिजिड टाइन कल्टीवेटर का उपयोग किया जाना चाहिए. प्रत्येक 3 सालों में खेतों का समतलीकरण करना चाहिए. एमबी प्लाऊ और ब्राड बेड फरो के लिए 40 पीटीओ एचपी का ट्रैक्टर उपयोग करना चाहिए.

जिले में नैनों यूरिया (Nano Urea) की बिकेंगी पौने 2 लाख बोतलें

विदिशा : सहकारी सम्मेलन के माध्यम से बहुद्देशीय प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था मर्यादित के प्रबंधकों के लिए इफको द्वारा नैनो उर्वरकों के उपयोग एवं महत्व पर आधारित कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

कलक्टर एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बुद्धेश कुमार वैद्य  ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जिले में इस वर्ष नैनो यूरिया की पौने 2 लाख बोतलें बेचने का टारगेट रखा गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में चौगुना से ज्यादा है.

कलक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य ने आगे यह भी कहा कि किसानों को समय पर उत्कृष्ट गुणवत्तायुक्त बीजों, उर्वरकों व कृषि संसाधनों की पूर्ति हो, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो.

उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया से होने वाले बहुपयोगी फायदों की जानकारी किसानों तक सकारात्मक तरीकों से अधिक से अधिक संसाधनों के माध्यम से पहुंचे. यूरिया के क्षेत्र में हो रहे बदलाव अर्थात लिक्विड नैनो यूरिया के छिड़काव की समयावधि फसलों की पत्तियों पर करना है.

उन्होंने तकनीकी पहलुओं, विक्रय दरों, भंडार के लिए सीमित जगह सहित अन्य बिंदुओं को रेखांकित किया.

इफको के राज्य विपणन प्रबंधक प्रकाश चंद पाटीदार ने सहकारिता एवं किसान हितेषी योजना एवं उर्वरक व्यवसाय इफको की भूमिका को रेखांकित करते हुए नैनो यूरिया के बेचने और  समितियों को होने वाले मुनाफों, फसलों की पैदावार में होने वाली वृद्धि पर गहन प्रकाश डाला.

सहकारिता सम्मेलन में इफको के क्षेत्र सहायक प्रबंधक कुमार मनेंद ने आयोजन के उद्देश्यों को रेखांकित किया. इफको के उपमहाप्रबंधक ने नैनो एरिया प्लस एवं नैनो डीएपी का फसलों में उपयोग एवं महत्व और प्रबंधक वितरण आरकेएस राठौर ने इफको के विशिष्ट उत्पादक सागरिका जीव उर्वरक जल विलय उर्वरक एवं अन्य उत्पादकों का फसलों में उपयोग एवं महत्व और सहकारिता विशेषज्ञ सचिन ताम्रकार ने सहकारिता की दिशा संभावनाओं पर प्रकाश डाला.

कोआपरेटिव बैंक के सीईओ विनय प्रकाश सिंह ने समितियों के लाभ देने के लिए व्यवसाय विविधीकरण एवं संवर्धन को रेखांकित किया. उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया छिड़काव के दौरान  दुर्घटना होती है, तो गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष बीमा के हिसाब से दोगुनी राशि दी जाएगी.

यूटोपिया रिसार्ट में आयोजित सहकारी सम्मेलन में जिले की 154 समितियों के प्रबंधों सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.

उन्नत तकनीक और कृषि  यंत्रीकरण खेती के लिए लाभकारी

ग्वालियर : किसानों को उन्नत एवं लाभप्रद खेती के लिए प्रोत्साहित करें. फसलों में विविधता लाएं और ऐसी फसलों को प्राथमिकता दें, जो कम समय में तैयार हो जाती हैं. साथ ही, किसानों को प्रमाणित बीज, संतुलित उर्वरक एवं आधुनकि कृषि यंत्रों के उपयोग के लिए प्रेरित करें, जिस से अधिक उत्पादन हो और किसानों की आमदनी बढ़े.

इस आशय के निर्देश कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने संभागीय समीक्षा बैठक में कृषि एवं उस से जुड़े विभागों की गतिविधियों की समीक्षा के दौरान दिए. बैठक के पहले चरण में ग्वालियर एवं चंबल संभाग में गत रबी मौसम में हुए उत्पादन और खरीफ मौसम की तैयारियों की समीक्षा की गई. वहीं दूसरे चरण में पशुपालन, मत्स्यपालन एवं दुग्ध उत्पादन की समीक्षा हुई.

यहां संभाग आयुक्त कार्यालय के सभागार में आयोजित हुई बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव उद्यानिकी, सुखवीर सिंह, संभाग आयुक्त ग्वालियर डा. सुदाम खाड़े व चंबल संजीव कुमार झा, ग्वालियर कलक्टर रुचिका चौहान सहित दोनों संभागों के जिला कलक्टर और उद्यानिकी, सहकारिता, बीज विकास निगम, विपणन संघ, बीज प्रमाणीकरण एवं कृषि से जुड़े अन्य विभागों के राज्य स्तरीय अधिकारी और दोनों संभागों के जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी व संबंधित विभागों के संभागीय अधिकारी मौजूद थे.

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने दोनो संभागों के सभी जिलों में खाद व बीज भंडारण की समीक्षा की. साथ ही, सभी जिला कलक्टर को निर्देश दिए कि खरीफ मौसम में किसानों को खादबीज मिलने में दिक्कत न हो. वितरण केंद्रों का लगातार निरीक्षण कर यह सुनश्चि किया जाए कि किसानों को कोई कठिनाई न हो.

क्लस्टर बना कर दें उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने कहा कि ग्वालियरचंबल संभाग में उद्यानिकी अर्थात फलफूल व सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा देने की बड़ी गुंजाइश है. इसलिए दोनों संभागों के हर जिले में स्थानीय परिस्थितियों व जलवायु के अनुसार क्लस्टर बना कर उद्यानिकी फसलों से किसानों को जोड़ें. साथ ही, हर जिले में किसानों के एफपीओ (किसान उत्पाद संगठन) बनाने पर भी विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि इस से किसानों की आमदनी बढ़ेगी.

खेत तालाब. स्प्रिंकलर व ड्रिप सिंचाई पद्धति को बढ़ावा दें

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने कम पानी में अधिक सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने वाली पद्धतियों को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि ग्वालियरचंबल संभाग में स्प्रिंकलर व ड्रिप सिंचाई पद्धति अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित करें. साथ ही, खेत तालाब बनाने के लिए भी किसानों को बढ़ावा दें. उन्होंने कहा कि इन सिंचाई पद्धतियों के लिए सरकार द्वारा बड़ा अनुदान दिया जाता है.

मौसम एप का करें व्यापक प्रचारप्रसार

मौसम एप का व्यापक प्रचारप्रसार करने पर बैठक में विशेष रूप से निर्देश दिए गए. इस एप पर एक हफ्ते की मौसम की जानकारी उपलब्ध रहती है. यह एप गूगल प्ले स्टोर से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है.

कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि ने कहा कि इस एप के माध्यम से किसानों को मौसम की जानकारी समय से मिल सकेगी और वे मौसम को ध्यान में रख कर अपनी खेती कर पाएंगे. साथ ही, अपनी फसल को भी सुरक्षित कर सकेंगे.

कृषि उपज मंडियों को बनाएं हाईटैक और कैशलेस

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने कृषि उपज मंडियों को हाईटैक, कैशलेस व सभी के लिए सुविधायुक्त बनाने पर विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि इस के लिए शासन से माली मदद दिलाई जाएगी.

उन्होंने कहा कि हाईटैक से आशय है कि मंडी में किसान की उपज की तुरंत खरीदी हो जाए, उन के बैठने के लिए बेहतर व्यवस्था हो, कैशलेस भुगतान की सुविधा हो और कृषि उपज की आटो पैकेजिंग व्यवस्था हो.

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने सभी जिला कलक्टर को सहकारी बैंकों की वसूली करा कर बैंकों को मजबूत करने के निर्देश भी बैठक में दिए. उन्होंने किसान क्रेडिटधारी किसानों के साथसाथ गैरऋणी किसानों की फसल का बीमा कराने के लिए भी कहा.

किसानों को अनुदान आधारित कृषि यंत्र उपलब्ध कराएं

अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि अशोक वर्णवाल ने कहा कि कृषि यंत्रों का उपयोग किसानों के लिए हर तरह से लाभप्रद है. उन्होंने कृषि यंत्र एवं उपकरणों का प्रेजेंटेशन दिखाया और निर्देश दिए कि अनुदान के आधार पर हर जिले में किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराएं.

उन्होंने ग्वालियरचंबल संभाग में अरहर की पूसा वैरायटी अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए. अरहर की पूसा वैरायटी 6 महीने में तैयार हो जाती है और इस फसल के बाद किसान दूसरी फसल भी ले सकते हैं.

उन्होंने प्रमाणित बीज व उर्वरकों के संतुलित उपयोग व मिट्टी परीक्षण के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने पर भी विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि मिट्टी परीक्षण के लिए स्थानीय कृषि स्नातक युवाओं के जरीए चलित लैब स्थापित कराई जा सकती हैं. इस से किसानों की ओर से मिट्टी परीक्षण की मांग बढ़ेगी और किसानों व कृषि स्नातक दोनों को फायदा होगा.

animal

पशु नस्ल सुधार पर दें विशेष ध्यान

कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने बैठक के द्वितीय चरण में पशुपालन, मत्स्यपालन एवं डेयरी उत्पादन सहित कृषि से जुड़ी गतिविधियों की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि कृषि आधारित अर्थव्यवस्था बगैर पशुपालन के मजबूत नहीं रह सकती. इसलिए किसानों को उन्नत नस्ल के पशुपालन के लिए प्रोत्साहित करें.

उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि दुग्ध उत्पादन में ग्वालियर व चंबल संभाग प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के अग्रणी जिलों में शुमार है. इसे और ऊंचाइयां   देने के प्रयास करें.

इस के अलावा उन्होंने पशु नस्ल सुधार पर विशेष बल दिया. साथ ही, बरसात से पहले सभी जिलों में मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए अभियान बतौर टीकाकरण कराने के निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि हर जिले में गौशालाओं को प्रमुखता दें. अधूरी गौशालाएं जल्द से जल्द पूरी कराई जाएं.

उन्होंने किसानों के दुग्ध व्यवसाय को संस्थागत रूप देने पर जोर देते हुए कहा कि उन्हें दुग्ध समितियों से जोड़ें. बैठक में मत्स्यपालन को बढ़ावा देने और दुग्ध संघ को मजबूत करने के संबंध में आवश्यक दिशानिर्देश दिए गए.

द्वितीय चरण की बैठक में प्रमुख सचिव मत्स्यपालन डा. नवनीत कोठारी सहित पशुपालन, डेयरी व मत्स्यपालन विभाग के राज्य स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे.

संभाग आयुक्त डा. सुदाम खाड़े ने कहा किसानों को जागरूक करने में सोशल मीडिया का उपयोग करें. साथ ही, प्रगतिशील कृषकों द्वारा की जा रही उन्नत खेती की वीडियो क्लीपिंग बना कर सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से अन्य किसानों को जागरूक करने का सुझाव दिया.

उन्होंने कहा कि किसानों को स्वसहायता समूहों में संगठित करें, जिस से वे अधिक लाभ कमा सकें. समय के अनुसार खेती में बदलाव लाने पर भी उन्होंने बल दिया.

सभी जिलों के कलक्टर ने बताई अपनेअपने जिले की कार्ययोजना

खेती को लाभप्रद बनाने के लिए संभाग के सभी जिलों में बनाई गई कार्ययोजना के बारे में सभी कलक्टरों ने अपनेअपने सुझाव दिए. ग्वालियर कलक्टर रुचिका चौहान ने बताया कि ग्वालियर जिले में कस्टम हायर सैंटर बढ़ाए जाएंगे. जिले में नैनो यूरिया अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. जिले में ज्वार, मक्का व उड़द और उद्यानिकी फसलों का रकबा बढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा कि तालाबों में पोली लायनिंग पद्धति अपनाने के लिए भी किसानों को प्रेरित किया जाएगा.

बिहार के आम (Mangoes of Bihar) भारत की पहचान बन सकते हैं

पटना : बिहार में आम की विविधताओं को प्रदर्शित करने और आम उत्पादक किसानों को एक बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बिहार के राजभवन में 2 दिवसीय आमोत्सव-2024 का आयोजन 15 जून व 16 जून को हुआ. यह कार्यक्रम बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर और कृषि विभाग, बिहार सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया.  इस आमोत्सव में 300 से अधिक आम की किस्मों को हजारों लोग पूरे बिहार से देखने आए. यहां आम के विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आम उत्पादक किसान, व्यापारी और आम के प्रेमी लोगों ने हिस्सा लिया.

आमोत्सव-2024 का उद्घाटन राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने किया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “आम से मेरा प्यार बहुत पुराना है. गोवा जहां से मैं हूं, वहां का अल्फांजो और हापूस आम पूरी दुनिया में भारत की पहचान के तौर पर जाने जाते हैं. लेकिन जब मुझे बिहार आने पर बीएयू, सबौर के कुलपति द्वारा भागलपुरी जर्दालू आम दिया गया, तो मैं इस के स्वाद से काफी प्रभावित हुआ.

“मैं यह कह सकता हूं कि बिहार के प्रमुख आम जर्दालू, दीघा मालदह और दुधिया मालदह में वह क्षमता है कि यह भारत की पहचान के रूप में स्थापित हो सके.”

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने आमोत्स्व-2024 के आयोजन के पीछे का मकसद बताते हुए कहा कि बिहार के आम का स्वाद बहुत अनोखा होता है और इसे उचित बाजार मिले तो निश्चित तौर पर आम उत्पादकों को बड़ा फायदा होगा. यहां अगर हम इंडस्ट्री लगाने की बात करते हैं, तो वह इंडस्ट्री कृषि आधारित होनी चाहिए.”

बिहार के आम (Mangoes of Bihar)

इस आमोत्सव में बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने अपने संबोधन में आम और भारतीय संस्कृति में अनूठे रिश्ते पर प्रकाश डाला और कहा कि आम प्रकृति का सब से बड़ा उपहार है.

उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में आमों की इतनी विविधताएं पाई जाती हैं, फिर भी बिहार का देश में आम उत्पादन में चौथा स्थान है. इस तरह के आयोजन से आम के उत्पादन और विपणन में बढ़ोतरी होगी और निश्चित तौर पर बिहार आम उत्पादन में अपना प्रथम स्थान हासिल करेगा.

कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि आम प्रदर्शनी में 300 से अधिक किस्में और आम के विभिन्न उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं. यहां प्रदर्शित आम के विभिन्न उत्पादों में उद्यमिता की भरपूर क्षमता है. अतः यह बात आज ध्यान में आने के बाद कृषि विभाग इस दिशा में काम करेगा.

उन्होंने आगे कहा कि बिहार में लगभग 1.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की खेती होती है और औसत उपज 9.7 टन प्रति हेक्टेयर है. बिहार सरकार के बागबानी मिशन और मुख्मंत्री तीव्र बागबानी योजना से हर वर्ष उपज क्षेत्र में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. कृषि मंत्री ने आम की उत्पादकता को बढ़ाने में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के योगदानों की सराहना की.

बिहार के आम (Mangoes of Bihar)

इस अवसर पर कार्यक्रम में देशभर के उद्यान वैज्ञानिकों के अलावा कई गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया, जिन में बिहार सरकार के मंत्री डा. प्रेम कुमार और श्रवन कुमार, पद्मश्री रामचेत चौधरी, किसान चाची के नाम से मशहूर पद्मश्री राजकुमारी देवी, मैंगो मैन अशोक चौधरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के पूर्व उपमहानिदेशक डा. एचपी सिंह और वर्तमान में सहायक महानिदेशक (फल एवं रोपण फसलें) डा. विश्वबंधु पटेल के अलावा बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डीआर सिंह, राज्यपाल के प्रधान सचिव रौबर्ट चोंगथू और सचिव कृषि विभाग संजय कुमार अग्रवाल इत्यादि लोगों की उपस्थिति रही.

इस से पूर्व राज्यपाल द्वारा आमोत्सव 2024 की स्मारिका पुस्तिका और वेरिएटल वेल्थ औफ बिहार नामक पुस्तक का विमोचन किया गया. राज्यपाल द्वारा जर्दालू आम पर बनी लघु वृत्तचित्र और मैंगो पोर्टल का भी लोकार्पण किया गया.

ज्यादा मुनाफे के लिए बहुस्तरीय खेती और समूह में खेती करना है जरूरी

14 जून, 2024 को ‘एमएफओआई-समृद्ध किसान उत्सव का आयोजन किया गया, जिस में कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी समेत जिले के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया.

सांसद भोजराज नाग और विधायक नीलकंठ टेकाम ने डा. राजाराम त्रिपाठी को सर्टिफिकेट औफ एक्सीलेंस प्रदान किया गया.

कार्यक्रम के दौरान भोजराज नाग ने अपने उद्बोधन में कहा कि जीवन की सब से महत्वपूर्ण चीज दाल, रोटी और चावल है, जिस के बिना जीवनयापन करना मुश्किल है. उन्होंने जलवायु परिवर्तन के बारे में बात करते हुए कहा कि पर्यावरण को संरक्षित रखना बहुत जरूरी है, जिस के लिए सभी से पेड़ लगाने की अपील की.

विधायक नीलकंठ टेकाम ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र, पूर्वी बोरगांव, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में आधुनिक तकनीक से खेती कर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. किसान अन्नदाता के रूप में इस संसार का पालनहार है. इन का हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है.

उन्होंने आगे कहा कि बस्तर के बेहद पिछड़े क्षेत्र में जन्मे और बेहद कठिनाइयों में भी लगातार पढ़ाई कर खेती के क्षेत्र में डा. राजाराम त्रिपाठी ने बस्तर का नाम जिस तरह से सारे देशविदेश में रोशन किया है, उस पर बस्तर को गर्व है.

इस दौरान हरित योद्धा, कृषि ऋषि, हर्बल किंग, फादर औफ सफेद मूसली आदि नामों से देशभर में अपनी पहचान बना चुके सफल किसान डा. राजाराम त्रिपाठी ने उपस्थित सैकड़ों प्रगतिशील किसानों को उन की अपनी आंचलिक बोली में अपना उद्बोधन दिया.

इस दौरान उन्होंने अपनी सफलता की कहानी साझा करते हुए कहा कि अब समूह में खेती करना बहुत जरुरी है. इस से ज्यादा मुनाफा होता है. साथ ही, मार्केटिंग करना भी आसान होता है.

उन्होंने आगे बताया कि इस डिजिटल युग में मोबाइल, वैज्ञानिकी सलाह और कृषि जागरण, कृषि पत्रपत्रिकाएं आदि के माध्यम से भी खेती करने की तरीको में बदलाव किया जा सकता है.

कृषि विज्ञान केंद्र, कोंडागांव के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डा. ओम प्रकाश कृषि विज्ञान केंद्र की रूपरेखा के बारे में बताया और संरक्षित खेती के बारे में जानकारी दी और मछलीपालन के विभिन्न तरीकों के बारे में किसानों को बताया.

कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के जिला प्रमुखों ने अपनेअपने विभागों में चल रही  योजनाओं के बारे में किसानों को अवगत कराया.

लुवास ने खरीदी जेसीबी (JCB), करेगी कृषि यूनिवर्सिटी के अनेकों काम

हिसार : लुवास कुलपति प्रो. विनोद कुमार वर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय के नए परिसर में विभिन्न भवनों का निर्माण कार्य प्रगति पर है और कुछ भवनों का निर्माण पूरा होने के करीब है और विश्वविद्यालय के नए परिसर में लगभग 400 एकड़ भूमि को चारा उत्पादन के लिए पशु फार्म में पशुधन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आरक्षित रखा गया है.

यद्यपि आंवटित भूमि को कृषि योग्य बनाने का प्रयास किया गया है, लेकिन इन एकड़ में से लगभग 250 एकड़ भूमि बंजर है. इसलिए यह जेसीबी मशीन सिंचाई चैनल तैयार करने, चैनलों की सफाई करने, विश्वविद्यालय को कृषि के साथसाथ सामान्य भूमि को समतल करने का काम करेगी.

उन्होंने आगे बताया कि जेसीबी मशीन हरे चारे के अधिक उत्पादन के साथसाथ अन्य फसल उत्पादन के लिए अनुपयोगी एकड़ भूमि को कृषि योग्य बनाने में सहायक होगी, जिस से विश्वविद्यालय की आय अधिक होगी और पशुधन को पूरे वर्ष हरा चारा उपलब्ध होगा.

इस के अलावा यह मशीन नए परिसर में बागबानी के काम, हर्बल पार्क व उद्यान पार्क आदि को विकसित करने में मददगार होगी और परिसर में स्वस्थ वातावरण और सौंदर्य वातावरण का विकास होगा.

इस अवसर पर पशु पोषण विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सज्जन सिहाग ने बताया कि विश्वविद्यालय की कृषि भूमि का समतलीकरण और सफाई व बागबानी के काम को विकसित करने के लिए विश्वविद्यालय ने नई बैकहो लोडर जेसीबी मशीन खरीदी है.

इस उद्घाटन समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता पशु चिकित्सा महाविद्यालय डा. गुलशन नारंग, छात्र कल्याण निदेशक डा. पवन कुमार, कुलसचिव डा. सुरेंद्र सिहं ढ़ाका, निदेशक विस्तार शिक्षा डा. विरेंद्र पंवार, निदेशक मानव संसाधन प्रबंधक डा. राजेश खुराना, लेंड स्केप अफसर व डीन, डेयरी सांइस व टैक्नोलौजी डा. सज्जन सिहाग व अन्य वैज्ञानिक एवं छात्र मौजूद रहे.