डिजिटलीकरण की मदद से गांवगांव तक पहुंचेगा सहकारिता मंत्रालय

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में राज्यों के सहकारी समिति के रजिस्ट्रार कार्यालय और कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों के कंप्यूटरीकरण की योजना का काम शुरू किया. इस अवसर पर केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा और सचिव, सहकारिता मंत्रालय सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि सहकार से समृद्धि के विजन को साकार करने की दिशा में हम एक और कदम आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय की स्थापना कर सहकारिता से जुड़े लोगों की बहुत पुरानी मांग को पूरा करने का काम किया है.

उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार के 10 साल पूरे होने जा रहे हैं. इन 10 सालों में देश के गांव, गरीब और किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सहकारिता के माध्यम से करोड़ों लोगों को स्वरोजगार के साथ जोड़ने का एक मजबूत तंत्र खड़ा किया है.

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि एक विस्तृत विजन के साथ दोनों कामों को एकसाथ करते हुए मजबूत ग्रामीण विकास की नींव डालने का काम सरकार ने किया है. सरकार के 2 कदम डिजिटल इंडिया और सहकारिता मंत्रालय की स्थापना देश में समृद्ध गांवों की नींव डालने वाले और विकसित भारत की सोच को ग्रासरूट तक ले जाने वाले साबित होंगे.

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज डिजिटल इंडिया के तहत सहकारिता भी डिजिटल माध्यम से गांवों तक पहुंचनी शुरू हो गई है. राज्यों के सहकारी समिति के रजिस्ट्रार कार्यालय और कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों के कंप्यूटराइजेशन के माध्यम से प्राथमिक कृषि ऋण समिति से ले कर पूरी सहकारिता व्यवस्था को आधुनिक बनाने का काम किया है.

अमित शाह ने कहा कि इन दोनों कामों में लगभग सवा दो सौ करोड़ रुपए की लागत आएगी, जिन में से एआरडीबी पर 120 करोड़ रूपए और आरसीएस पर 95 करोड़ रुपए की लागत आएगी. उन्होंने कहा कि इस से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी. साथ ही, मध्यम और दीर्घकालीन ऋण लेने वाले किसानों के लिए एक सरल सुविधा की शुरुआत होगी.

मंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले 2 साल में सरकार ने सहकारिता में डिजिटल इकोसिस्टम को बढ़ाने के लिए चरणबद्ध तरीके से एक दूरगामी सोच के साथ काम किया है. सहकारिता मंत्रालय बनने के तुरंत बाद सब से पहले 65,000 पैक्स, केंद्रीय रजिस्ट्रार औफ कोआपरेटिव्स और फिर पैक्स के साथसाथ सभी जिलों और राज्य सहकारी बैंकों का कंप्यूटराइजेशन किया गया. इस के बाद राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया गया और अब एआरडीबी और आरसीएस के कंप्यूटराइजेशन के साथ ही पूरा सहकारिता क्षेत्र आज डिजिटल दुनिया में प्रवेश कर रहा है.

उन्होंने कहा कि 65,000 पैक्स के कंप्यूटराइजेशन के लिए आधुनिक और लोगों के साथ संवाद करने योग्य सौफ्टवेयर को नाबार्ड द्वारा तैयार किया गया है. इसी के साथ ये सभी पैक्स इस से जुड़ जाएंगे. इसी प्रकार केंद्रीय पंजीयक कार्यालय के कंप्यूटराइजेशन का काम भी पूरा हो चुका है, जिस से इस कार्यालय के सभी काम एक ही सौफ्टवेयर से हो सकेंगे.

राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के माध्यम से राज्यों, तहसील, जिला और ग्रामस्तर पर कोआपरेटिव्स की सही जानकारी सामने आ जाएगी, जिस से सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए एक रूपरेखा तैयार की जा सकेगी. उन्होंने कहा कि वैक्यूम को भरने के लिए राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बहुत उपयोगी सिद्ध होने वाला है.

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज आरसीएस कार्यालय के कंप्यूटराइजेशन होने के साथ ही इस से राज्यों की स्थानीय भाषाओं में संवाद हो सकेगा. कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक पर उच्चतम स्तर पर ध्यान न देने के कारण ये अपनी भूमिका अच्छे तरीके से नहीं निभा पाए हैं. मध्यम और दीर्घकालीन ऋण के लिए यह एक बहुत उपयोगी व्यवस्था है, जो आधुनिक खेती की ओर जाने के लिए किसान को पूंजी मुहैया कराती है. अमित शाह ने यह भी कहा कि अगर हम खेती को आधुनिक नहीं बनाएंगे, तो न हम उपज बढ़ा पाएंगे और न ही किसानों को समृद्ध कर पाएंगे.

अमित शाह ने कहा कि एआरडीबी के कंप्यूटराइजेशन से इन की औपरेशनल एफिशिएंसी में काफी सुधार आएगा, एकाउंटिंग में एकरूपता आएगी और पारदर्शिता बढ़ने के साथसाथ भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी.
उन्होंने आगे कहा कि सरकार, नाबार्ड द्वारा सभी प्राइमरी कोआपरेटिव एग्रीकल्चर और रूरल डवलपमैंट बैंक और स्टेट कोआपरेटिव रूरल डवलपमैंट बैंक को एक राष्ट्रीय सौफ्टवेयर से जोड़ने पर भी विचार किया जा रहा है. इस से सभी प्रकार के कृषि ऋण का लिंकेज मजबूत हो सकेगा.

अमित शाह ने कहा कि देश के 1851 एआरडीबी की शाखाओं का कंप्यूटराइजेशन होने से इन से जुड़े 1 करोड़, 20 लाख किसानों को बहुत फायदा होगा.

कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों की कंप्यूटरीकरण परियोजना के तहत 13 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित एआरडीबी की 1851 इकाइयों को कंप्यूटरीकृत करने और उन्हें एक कौमन नैशनल सौफ्टवेयर के माध्यम से नाबार्ड से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.

सहकारिता मंत्रालय की यह पहल कौमन एकाउंटिंग सिस्टम यानी सीएएस और मैनेजमैंट इनफोरमेशन सिस्टम यानी एमआईएस के माध्यम से व्यावसायिक प्रक्रियाओं को स्टैंडर्डाइज्ड कर एआरडीबी के परिचालन, दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ाने का काम करेगी. इस के अलावा इस पहल का उद्देश्य ट्रांजैक्शन कोस्ट को कम करना, किसानों को ऋण वितरण में सुविधा प्रदान करना और योजनाओं की बेहतर मोनीटरिंग और एसेसमैंट के लिए रीयल टाइम डेटा एसेस को अनेबल करना है.

हाईटैक नर्सरी से औद्योगिक फसलों के उत्पादन में तेजी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में किसानो को विभिन्न प्रजातियों के उच्च क्वालिटी के पौधे उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इजराइली तकनीक पर आधारित हाईटैक नर्सरी तैयार की जा रही है. यह काम मनरेगा अभिसरण के तहत उद्यान विभाग के सहयोग से कराया जा रहा है और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की दीदियां भी इस में हांथ बंटा रही हैं. इस से स्वयं सहायता समूहों को काम मिल रहा है.

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि इस योजना के क्रियान्वयन से कृषि एवं औद्यानिक फसलों को नई ऊंचाई मिलेगी. विशेष तकनीक का प्रयोग कर के यह नर्सरी तैयार की जा रही है. सरकार की मंशा है कि प्रदेश का हर किसान समृद्ध बने और बदलते समय के साथ किसान हाईटैक भी बने.
सरकार पौधरोपण को बढ़ावा देने के साथ बागबानी से जुड़े किसानों को भी माली तौर पर मजबूत बनाने का काम कर रही है. मनरेगा योजना से 150 हाईटैक नर्सरी बनाने के लक्ष्य के साथ तेजी से काम किया जा रहा है.

ग्राम्य विकास विभाग ने इस को ले कर प्रस्ताव तैयार किया था, जिस को ले कर जमीनी स्तर पर युद्धस्तर पर काम हो रहा है. हाईटैक नर्सरी से किसानों की माली हालत भी मजबूत हो रही है.
प्रदेश में 150 हाईटैक नर्सरी बनाने का लक्ष्य रखा गया है. 44 जिलों की 56 साइटों पर हाईटैक नर्सरी बनाने का काम शुरू किया जा चुका है.

कन्नौज के उमर्दा में स्थित सैंटर औफ ऐक्सीलेंस फौर वेजिटेबल की तर्ज पर प्रदेश के सभी जिलों में 2-2 मिनी सैंटर (150) स्थापित करने की कार्यवाही जारी है. किसानों को उन्नत किस्म के पौध के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. बुलंदशहर, बागपत, वाराणसी, बरेली, मिर्जापुर और मेरठ की 7 हाईटैक नर्सरियों में सिडलिंग प्रोडक्शन का काम भी प्रारंभ हो चुका है.

समूह की दीदियों को रोजगार

नर्सरी की देखरेख करने के लिए स्वयं सहायता समूह को जिम्मेदारी दी गई है. समूह के सदस्य नर्सरी का काम देखते हैं, जो पौधों की सिंचाई, रोग, खादबीज आदि का जिम्मा संभालते हैं. इस के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है.

किसानों की आय में बढ़ोतरी

सरकार उच्च क्वालिटी व उन्नत किस्म के पौधों की नर्सरी को बढ़ावा देने के लिए तेजी से काम कर रही है. प्रत्येक जनपद में पौधशालाएं बनाने का काम किया जा रहा है. इन में किसानों को फूल और फल के साथ सर्पगंधा, अश्वगंधा, ब्राह्मी, कालमेघ, कौंच, सतावरी, तुलसी, एलोवेरा जैसे औषधीय पौधों को रोपने के लिए जागरूक किया जा रहा है. किसानों को कम लागत से अधिक फायदा दिलाने के लिए पौधरोपण की नई तकनीक से जोड़ा जा रहा है.

ग्राम्य विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने बताया कि प्रदेश में 150 हाईटैक नर्सरी के निर्माण की कार्यवाही मनरेगा कन्वर्जेंस के अंतर्गत की जा रही है, जिस के सापेक्ष 125 हाईटैक नर्सरी की स्वीकृति जनपद स्तर पर की जा चुकी है. 56 साइटों पर काम जारी है, जबकि 7 हाईटैक नर्सरी में सिडलिंग प्रोडक्शन का काम प्रारंभ हो चुका है.

मत्स्य संपदा योजना के तहत 55 लाख रोजगार

नई दिल्लीः  साल 2024-25 में मत्स्य क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 5 एकीकृत एक्वापार्कों की स्थापना की जाएगी. साथ ही, मछुआरों की सहायता करने के लिए मत्स्य क्षेत्र के लिए एक अलग विभाग की स्थापना भी होगी. इस का परिणाम अंतर्देशीय और एक्वाकल्चर उत्पादन दोनों ही दोगुना हुआ है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक, 2013-14 से सी फूड का निर्यात भी दोगुना हो गया है.

उन्होंने घोषणा की कि एक्वाकल्चर उत्पादकता को प्रति हेक्टेयर वर्तमान 3 से बढ़ा कर 5 टन करने, निर्यात को दोगुना कर 1 लाख करोड़ रुपए तक पहंुचाने और निकट भविष्य में 55 लाख रोजगार अवसरों का सृजन करने के लिए पीएम मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के कार्यान्वयन में तेजी लाई जाएगी.

ब्लू इकोनौमी 2.0

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ब्लू इकोनौमी 2.0 के लिए जलवायु के अनुकूल कार्यकलापों को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत और बहुविषयक दृष्टिकोण के साथ, पुनःस्थापन एवं अनुकूलन उपायों और तटीय एक्वाकल्चर और मारिकल्चर की एक योजना शुरू की जाएगी.

डेयरी विकास

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी घोषणा की कि डेयरी किसानों की सहायता के लिए व्यापक कार्यक्रम तैयार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि खुरपका रोग को नियंत्रित करने के प्रयास पहले से चल रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत विश्व का सब से बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, लेकिन देश में दुधारू पशुओं की दुग्ध उत्पादकता कम है.

यह कार्यक्रम राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन और डेयरी प्रोसैसिंग एवं पशुपालन के लिए अवसंरचना विकास निधि जैसी मौजूदा योजनाओं की सफलताओं पर आधारित होगा.

ईनीलामी के जरीए गेहूं और चावल की बिक्री

नई दिल्ली: खुले बाजार में गेहूंचावल की उपलब्धता बढ़ाने और इन की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए, भारत सरकार 28 जून, 2023 से साप्ताहिक ईनीलामी के माध्यम से गेहूं और चावल को बाजार में उपलब्ध करा रही है.

भारत सरकार द्वारा खुली बाजार बिक्री योजना (घरेलू) [ओएमएसएस (डी)] के तहत कुल 101.5 एलएमटी गेहूं और 25 एलएमटी चावल आवंटित किया गया है. गेहूं, एफएक्यू के लिए 2150 रुपए प्रति क्विंटल और यूआरएस के लिए 2125 रुपए प्रति क्विंटल के आरक्षित मूल्य पर दिया जा रहा है. चावल का आरक्षित मूल्य 2,900 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है.

इस मौजूदा चरण की पहली ईनीलामी 28 जून, 2023 को आयोजित की गई थी, जिस में 0.86 एलएमटी गेहूं खुले बाजार में बेचा गया.

हालांकि, गेहूं की उपलब्धता बढ़ाने और खुले बाजार में गेहूं की मांग को पूरा करने के लिए, ईनीलामी में गेहूं की साप्ताहिक पेशकश को धीरेधीरे शुरुआती 2 एलएमटी से बढ़ा कर वर्तमान साप्ताहिक पेशकश 4.5 एलएमटी तक किया गया है. परिणामस्वरूप, गेहूं की साप्ताहिक बिक्री बढ़ कर 4 लाख मीट्रिक टन से अधिक हो गई है. 24 जनवरी, 2024 तक ओएमएसएस(डी) के तहत 71.01 एलएमटी गेहूं बेचा जा चुका है.

वर्ष 2023-24 के लिए ओएमएसएस (डी) के तहत चावल की पहली ईनीलामी 5 जुलाई, 2023 को आयोजित की गई थी. खुले बाजार में चावल की बिक्री बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने चावल का आरक्षित मूल्य 3,100 रुपए प्रति क्विंटल से घटा कर 2,900 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया और चावल की न्यूनतम और अधिकतम मात्रा को क्रमशः 1 मीट्रिक टन और 2000 मीट्रिक टन तक संशोधित किया.

 

Rice

 

इस के अलावा व्यापक पहुंच के लिए एफसीआई के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा नियमित विज्ञापन जारी किए गए, जिस के परिणामस्वरूप चावल की बिक्री में धीरेधीरे वृद्धि दर्ज की गई. 24 जनवरी, 2024 तक तकरीबन 1.62 एलएमटी चावल खुले बाजार में बेचा गया है, जो निजी व्यापारियों को चावल की बिक्री के संदर्भ में ओएमएसएस (डी) के तहत किसी भी वर्ष के लिए सब से अधिक बिक्री है. पिछला उच्चतम रिकौर्ड 42,000 मीट्रिक टन था.

केंद्र सरकार, भारत आटा योजना के तहत नेफेड/ एनसीसीएफ/केंद्रीय भंडार/एमएससीएमएफएल जैसी सहकारी एजेंसियों को भी गेहूं उपलब्ध करा रही है. भारत सरकार द्वारा इस योजना के तहत ओएमएसएस (डी) के कुल 101.5 एलएमटी में से 4 एलएमटी आवंटित किया गया है.

ओएमएसएस (डी) योजना के इस उपसमूह के तहत, अर्धसरकारी/सहकारी एजेंसियों को 21.50 रुपए प्रति पर गेहूं मिल रहा है, जिसे आटे में परिवर्तित करने और आम जनता को उच्चतम 27.50 रुपए प्रति किलोग्राम तक की कीमत पर बेचने के लिए 16 दिसंबर, 2023 को 17.15 रुपए प्रति किलोग्राम के रूप में संशोधित किया गया है. 29 जनवरी, 2024 तक इन एजेंसियों को 2,80,456 मीट्रिक टन गेहूं बेचा जा चुका है.

हमारे किसान आत्मनिर्भर व सशक्त बनें

नई दिल्ली : 31 जनवरी, 2024. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा, दिल्ली में कन्या छात्रावास “फाल्गुनी” व कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल (एएसआरबी) के “चयन भवन” का लोकार्पण किया. इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, डेयर के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक, एएसआरबी के चेयरमैन डा. संजय कुमार, आईएआईआर के निदेशक डा. एके सिंह भी उपस्थित थे.

समारोह में मुख्य अतिथि अर्जुन मुंडा ने कहा कि केंद्र सरकार, कृषि क्षेत्र एवं किसानों के विकास के लिए संकल्पबद्ध है और राज्य सरकारों के माध्यम से भी कृषि व संबद्ध क्षेत्रों और किसान हित में योजनाबद्ध ढंग से काम को आगे बढ़ाया जा रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी भी चाहते हैं कि हमारे किसान आत्मनिर्भर व सशक्त बनें और इतने सामर्थ्यवान हों कि देश के साथ ही दुनिया के बाजारों में भी पूर्ति कर सकें. इस के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के साथ ही विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के माध्यम से काम किया जा रहा है.

किसान को कहीं भी पीछे नहीं रहना चाहिए, इस के लिए खेती को आधुनिक प्रौद्योगिकियों से भी जोड़ा जा रहा है. सैटेलाइट की मदद से भी कृषि क्षेत्र में काम करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी प्रोत्साहित कर रहे हैं.

आईसीएआर भी काफी अच्छा काम कर रहे हैं. किसानों को आय सहायता के लिए केंद्र सरकार द्वारा “प्रधानमंत्री किसान सम्मान” (पीएम किसान) योजना सहित कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. वर्ष 2047 तक देश को विकसित बनाने के संकल्प के साथ काम हो रहा है.

मंत्री अर्जुन मुंडा ने समारोह में उपस्थित झारखंड के आदिवासी किसानों का आव्हान किया कि उन्होंने यहां जिन उन्नत तकनीकों का प्रशिक्षण प्राप्त किया व प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान जो श्रेष्ठ पद्धतियां सीखीसमझी, उन्हें सूदरवर्ती क्षेत्रों तक आगे बढ़ाने में योगदान दें.

कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने आगे कहा कि पूसा में दुर्लभ बीजों व पौधों के संरक्षण का काम भी किया जा रहा है. साथ ही, यहां पर गुणवत्ता व पौष्टिकता पर ध्यान देते हुए तेजी से शोध का काम किया जा रहा है.

मंत्री अर्जुन मुंडा ने भारत के विश्व की 5वीं सब से बड़ी अर्थव्यवस्था बनने, जी-20 की अध्यक्षता के माध्यम से विश्व मित्र बनने, कोरोना के संकटकाल का साहसपूर्वक सामना करने सहित अन्य उपलब्धियों का जिक्र भी किया. राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, शोभा करंदलाजे एवं डीजी डा. हिमांशु पाठक व चेयरमैन डा. संजय कुमार ने भी विचार रखे.

आईएआरआई निदेशक डा. एके सिंह ने बताया कि “फाल्गुनी” में 500 कमरे हैं. फूड कोर्ट, सौर ऊर्जा प्रणाली, वर्षा जल संचयन प्रणाली, जनेरेटर आधारित पावर बैकअप, वाईफाई नैटवर्क, आरओ पेयजल, अग्निशमन व्यवस्था, पार्किंग, लिफ्ट सभी सुविधाएं प्रदत्त हैं, जिन से राष्ट्रीयअंतर्राष्ट्रीय छात्राओं का आकर्षण बढ़ेगा.

कार्यक्रम में आईसीएआर, आईएआईआर, एएसआरबी के अधिकारी, वैज्ञानिक, शिक्षक, छात्रछात्राएं और तमाम किसान भी मौजूद थे.

किसानों पर केंद्रित करें लाभ – अर्जुन मुंडा

नई दिल्ली: 29 जनवरी 2024. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कृषि भवन, नई दिल्ली में कृषि क्षेत्र में स्वैच्छिक कार्बन बाजार के लिए फ्रेमवर्क एवं कृषि वानिकी नर्सरी के एक्रेडिटेशन प्रोटोकाल का विमोचन किया. इस अवसर पर कृषि सचिव मनोज आहुजा, डेयर के सचिव व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक सहित केंद्र एवं राज्यों के मंत्रालयों व कृषि से संबद्ध विभिन्न संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे, वहीं अनेक हितधारक वर्चुअल भी जुड़े थे.

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने छोटेमझोले किसानों को कार्बन क्रेडिट का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करने की दृष्टि से देश के कृषि क्षेत्र में स्वैच्छिक कार्बन बाजार (वीसीएम) को बढ़ावा देने का फ्रेमवर्क तैयार किया है. किसानों को कार्बन बाजार से परिचित कराने से उन्हें फायदा होने के साथ ही पर्यावरण अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाने में भी तेजी आएगी.

उन्होंने किसानों के हित में कार्बन बाजार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्यों के संबंधित मंत्रालयों सहित अन्य संबद्ध संगठनों से सहयोग का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि सुदूरवर्ती क्षेत्रों के किसानों के साथ मिल कर उन के लिए सुविधाजनक ढंग से इस दिशा में काम किया जाना चाहिए व समाधान के साथ ही हमारे किसानों पर इस का लाभ केंद्रित करने की जरूरत है.

 

Farming

 

यह प्रथम सोपान है, जिस में कदम बढ़ाते हुए हम सब की सहभागिता सुनिश्चित करना चाहते हैं. ग्लोबल वार्मिंग जैसी वैश्विक चुनौतियां हम सब के सामने हैं, ऐसे में सावधानी से काम करते हुए आगे बढ़ना है. उन्होंने आईसीएआर से इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने व अच्छा काम अच्छे ढंग से करने को कहा.

मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि देश में कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था व करोड़ों लोगों की आजीविका में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. देश के कार्यबल का 54.6 फीसदी कृषि व संबद्ध क्षेत्रों की गतिविधियों में लगा हुआ है. जीडीपी में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 18.6 फीसदी है, वहीं 139.3 मिलियन हेक्टेयर, देश के कुल भौगोलिक में से बोया गया क्षेत्र है. इस महत्व के मद्देनजर सतत विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं.

उन्होंने आगे कहा कि कृषि वानिकी नर्सरी के एक्रेडिटेशन प्रोटोकाल, देश में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर रोपण सामग्री के उत्पादन और प्रमाणीकरण के लिए संस्थागत व्यवस्था को मजबूत करेंगे.

उन्होंने सभी हितधारकों से कहा कि वे उसे अपनाएं, ताकि गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री से सुनिश्चित रिटर्न मिल सके व राष्ट्रीय कृषि वानिकी नीति के उद्देश्य व लक्ष्य प्राप्त किए जा सकें. साथ ही, प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग करने का आग्रह किया.

बलराम तालाब योजना के लिए आवेदन आमंत्रित

बड़वानी: कृषि के बेहतर विकास के लिए सतही एवं भूमिगत जल की उपलब्धता को पूरा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत बलराम तालाब निर्माण पर अनुदान दिया जा रहा है. बलराम तालाब किसानों द्वारा स्वयं के खेतों पर बनाए जाते हैं. तालाब निर्माण से फसलों में जीवनरक्षक सिंचाई के साथसाथ भूजल संवर्धन और पास के कुओं और नलकूपों को चार्ज करने के लिए भी ये अत्यंत उपयोगी हैं. इस योजना का लाभ समूचे मध्य प्रदेश में सभी तबके के किसान ले सकते हैं.

इच्छुक किसानों द्वारा ईकृषि यंत्र अनुदान पोर्टल कइज.उचकंहम.वतह पर औनलाइन आवेदन करने के पश्चात कृषि विभाग के क्षेत्रीय भूमि संरक्षण अधिकारी व ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी को तालाब बनाने के लिए दिए गए आवेदन के आधार पर ‘पहले आएं पहले पाएं’ के आधार पर पंजीयन कर पात्रतानुसार अनुदान का भुगतान किया जाता है.

बलराम तालाब के बंधान पर तुअर अथवा अन्य उपयुक्त फसलें लगाई जा सकती हैं, जिस से किसान को कुछ अतिरिक्त लाभ प्राप्त हो सकेगा. साथ ही, तालाब में मछलीपालन और बतखपालन कर के भी किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं.

योजना के अंतर्गत सामान्य किसानों को स्वीकृत लागत पर 40 फीसदी या अधिकतम राशि रुपए 80,000 लघु व सीमांत किसानों को लागत का 50 फीसदी या अधिकतम 80,000 रुपए और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों को 75 फीसदी या अधिकतम रुपए एक लाख रुपए तक का अनुदान प्रावधानित है.

जिले के सामान्य किसानों के लिए 14, अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 17 और अनुसूचित जाति के किसानों के लिए 6. इस प्रकार कुल 37 बलराम तालाब निर्माण के लक्ष्य प्राप्त हुए हैं. इसलिए किसानों से अपील की जाती है कि पात्रता के अनुसार ही बलराम तालाब निर्माण के लिए पंजीयन करा कर योजना का लाभ प्राप्त करें.

अनेक सरकारी पहल और जैविक खेती को बढ़ावा

नई दिल्ली: 75वीं गणतंत्र दिवस परेड 26 जनवरी, 2024 को दिल्ली में कर्तव्य पथ पर भव्यता के साथ आयोजित की गई. इस वर्ष भारत सरकार ने इस महत्वपूर्ण परेड को देखने के लिए देश की प्रगति और एकता का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न क्षेत्रों के 15,000 से अधिक लोगों को विशेष निमंत्रण दिया था.

गणमान्य व्यक्तियों की सूची में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 1500 से अधिक किसानों को निमंत्रण दिया, जो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थी हैं. इस के अलावा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) ने 25 और 26 जनवरी को अपने विशेष आमंत्रित लोगों के लिए 2 दिवसीय कार्यक्रम और प्रशिक्षण भी आयोजित किया.

एक समृद्ध अनुभव के लिए, 25 जनवरी 2024 को किसानों के लिए प्रमुख सरकारी योजनाओं और कृषि अवसंरचना निधि, प्रति बूंद से अधिक फसल, पीएमएफबीवाई आदि जैसी पहलों पर एक व्यापक प्रशिक्षण सत्र और पूसा परिसर के प्रसिद्ध क्षेत्रों का एक फील्ड दौरा आयोजित किया गया था.

कार्यक्रम की शुरुआत केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा की उपस्थिति में एक उद्घाटन समारोह से हुई, जिस में राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे भी शामिल हुईं. गणमान्य व्यक्तियों ने प्रशिक्षण सत्र के संदर्भ और उन के आर्थिक कल्याण के प्रति सरकार की अटूट प्रतिबद्धता और निरंतर समर्थन पर प्रकाश डाला.

26 जनवरी को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के विशेष आमंत्रित लोगों ने कर्तव्य पथ पर शानदार परेड देखी. परेड के बाद सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने राष्ट्र को आकार देने में किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जिन में कृषि बजट में 5 गुना वृद्धि, रिकौर्डतोड़ खाद्यान्न और बागबानी उत्पादन और एमएसपी में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी शामिल है.

पीएम किसान, पीएमएफबीवाई जैसी सरकारी पहल और जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली योजनाएं किसानों के कल्याण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं.

मंत्री अर्जुन मंुडा ने कृषि परिदृश्य को बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति दिखाते हुए ऋण पहुंच, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना और प्राकृतिक खेती के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला.

कार्यक्रम का समापन किसानों को मंत्रियों और गणमान्य व्यक्तियों के साथ एक समूह फोटो सत्र में भाग लेने का अवसर मिलने के साथ हुआ, जिस के बाद दोपहर के भोजन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम स्थल पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की योजनाओं और पहलों को प्रदर्शित करने वाले समर्पित सेल्फी स्टैंड और बैनर थे, जो 2 दिवसीय उत्सव के दौरान उल्लेखनीय आकर्षण के रूप में काम कर रहे थे. किसानों ने निर्दिष्ट स्टैंडों पर सक्रिय रूप से भाग लिया और तसवीरें खिंचवाते हुए अपनी प्रसन्नता व्यक्त की.

सीबीजी संयंत्र के लिए 133 करोड़

बदांयू: एचपीसीएल के संपीड़ित बायोगैस संयंत्र (सीबीजी) के बारे में बोलते हुए पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस व आसवन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इस संयंत्र में 100 एमटीपीडी चावल के भूसे की प्रसंस्करण क्षमता है और यह 65 एमटीपीडी ठोस खाद के साथ 14 एमटीपीडी सीबीजी उत्पन्न कर सकता है. बदायूं में सीबीजी संयंत्र एचपीसीएल द्वारा तकरीबन 133 करोड़ रुपए के निवेश से चालू किया गया है और यह तकरीबन 50 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है.

एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरदीप सिंह पुरी की उपस्थिति में हिंदुस्तान पैट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के अग्रणी बायोमास आधारित संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र का उद्घाटन बदांयू में किया.

इस अवसर पर केंद्रीय पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस एवं श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली, आंवला के सांसद धर्मेंद्र कश्यप, दातागंज के विधायक राजीव कुमार सिंह, बदायूं सदर के विधायक महेश चंद्र गुप्ता और एमओपीएनजी और उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, जिस में एचपीसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक और एचपीसीएल के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, उपस्थित थे.

इस सीबीजी संयंत्र का उद्घाटन भारत सरकार के आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने पर जोर देने के अनुरूप है. राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 के हिस्से के रूप में, यह पहल दूसरी पीढ़ी (2जी) के जैव तेलशोधक कारखानों और संपीड़ित जैव गैस संयंत्रों पर ध्यान देने के साथ आयात निर्भरता को 10 फीसदी तक कम करने के सरकार के लक्ष्य में योगदान देती है.

केंद्रीय पैट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि उत्पादन स्थिर होने पर बदांयू में सीबीजी संयंत्र 17,500-20,000 एकड़ खेतों में पराली जलाने की समस्या को कम करने में मदद करेगा, जिस से सालाना 55,000 टन ब्व्2 उत्सर्जन में कमी आएगी और तकरीबन 100 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रूप से रोजगार और 1,000 लोगों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पैदा होगा.

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में 100 से ज्यादा ऐसे बायोगैस संयंत्र लगाए जाएंगे.

मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), स्मार्ट सिटी मिशन, पीएम स्वनिधि योजना आदि सहित भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं में उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन की सराहना की.

CBGउन्होंने पिछले साढे़ 9 सालों में उत्तर प्रदेश में तेल और गैस क्षेत्र की प्रगति का एक स्नैपशाट प्रदान किया. उन्होंने पैट्रोल पंपों, एलपीजी वितरकों, पीएनजी कनैक्शन, सीएनजी स्टेशनों, एलपीजी कनैक्शन आदि की संख्या के मामले में राज्य की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला.

बदायूं में सीबीजी संयंत्र

बदायूं में तकरीबन 100 टन प्रतिदिन लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास की प्रसंस्करण क्षमता वाला, बदायूं में सीबीजी संयंत्र, 14 टीपीडी सीबीजी का उत्पादन करने के लिए डिजाइन की गई एक अभूतपूर्व पहल है. इस परियोजना में कच्चे माल की प्राप्ति और भंडारण, सीबीजी प्रसंस्करण अनुभाग, संबंधित उपयोगिताएं, सीबीजी कैस्केड फिलिंग शेड और ठोस खाद भंडारण एवं बैगिंग सुविधा शामिल हैं.

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

परियोजना का लक्ष्य स्थानीय किसानों और किसान उत्पादक संगठनों से बायोमास खरीद कर किसानों की आय को बढ़ावा देना है, जिस से 100 से अधिक लोगों को आजीविका के अवसर मुहैया होंगे. यह संयंत्र हजारों किसानों, ट्रांसपोर्टरों और खेतिहर मजदूरों को प्रत्यक्ष आजीविका के अवसर और अप्रत्यक्ष लाभ भी प्रदान करेगा. इस के अलावा किसानों को जैविक खाद की बिक्री का उद्देश्य मिट्टी की गुणवत्ता और फसल की पैदावार को बढ़ाना है, जो टिकाऊ कृषि में योगदान देता है.

अनूठी विशेषताएं

सीबीजी उत्पादन की तकनीकी के लिए मैसर्स प्राज इंडस्ट्रीज लिमिटेड, पुणे से लाइसेंस लिया गया है और डाइजैस्टर का डिजाइन बायोगैस के उत्पादन को अधिकतम बनाता है. उर्वरक नियंत्रण आदेश के कड़े मानदंडों का पालन करते हुए, संयंत्र में प्रदूषण सूक्ष्मग्राही शून्य तरल स्राव डिजाइन समाविष्ट है.

पर्यावरणीय प्रभाव

सीबीजी, सीएनजी के समान गुणों के साथ, हरित, नवीकरणीय आटोमोटिव ईंधन के रूप में काम करता है. यह परियोजना प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल के आयात में कमी, उत्सर्जन में कमी और जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों और स्वच्छ भारत मिशन में सकारात्मक योगदान की उम्मीद करती है.

परियोजना लागत और समयसीमा

सीबीजी संयंत्र को 133 करोड़ रुपए की लागत के साथ मंजूरी दी गई थी. यह काम पूरा हो चुका है और वर्तमान में इस की प्रक्रिया स्थिरीकरण और परीक्षण चल रहा है. इस संयंत्र में अपनी तरह की पहली फास्फेट रिच और्गेनिक खाद (पीआरओएम) सुविधा भी है, जो पैमाने और डिजाइन में अद्वितीय है, ताकि कड़े उर्वरक नियंत्रण आदेश मानदंडों को पूरा करते हुए जैविक खाद का उत्पादन किया जा सके.

एचपीसीएल सीबीजी प्लांट का उद्घाटन भारत के टिकाऊ ऊर्जा समाधानों की खोज में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को चिन्हित करता है और यह ऊर्जा पहुंच, दक्षता, स्थिरता एवं सुरक्षा पर आधारित भविष्य के लिए प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप है.