सबौर : बिहार सरकार के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने पिछले दिनों बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में किसानों को समर्पित एक कार्यक्रम ‘सवालजवाब’ का उद्घाटन किया.

इस कार्यक्रम में पूरे राज्य के किसान विश्वविद्यालय के यूट्यूब और चैनल और वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े. यह कार्यक्रम हर माह के प्रथम शनिवार को किसानों के सवालों के जवाब को ले कर आता रहेगा. फसल अवशेष प्रबंधन की थीम पर कार्यक्रम में किसानों के जवाब देते हुए कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा कि फसल उपजने के उपरांत अवशेष को जलाना नहीं है, बल्कि गलाना है. मजबूरी में हमें ऐसे किसान भाइयों पर दंडात्मक कार्यवाही करनी पड़ती है, जो पराली को जलाते हैं.

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डीआर सिंह ने कहा कि हमारा प्रयास रहा है प्रयोगशाला से खेत तक एक बेहतर समन्वय हो और यह कार्यक्रम उसी लक्ष्य के साथ एक कड़ी के रूप में कार्य करेगा.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि किसान समस्या में विश्वविद्यालय की ओर देखता है. हम से उम्मीद करता है कि हम उन्हें सही रास्ता दिखाएं. विश्वविद्यालय के प्रसार कार्यक्रम का यही लक्ष्य है कि अंतिम छोर पर खड़े किसानों तक हम सही समय पर तकनीक और वैज्ञानिक सलाह पहुंचा सकें.

इस अवसर पर भागलपुर के सांसद अजय मंडल और सुल्तानगंज के विधायक ललित नारायण मंडल ने भी हिस्सा लिया. कार्यक्रम का संचालन अन्नू ने किया.

मंत्री ने वैज्ञानिकों को किया सम्मानित

इस के उपरांत विश्वविद्यालय के मिनी औडिटोरियम में विश्वविद्यालय का ईमैनुअल तैयार करने वाले 17 वैज्ञानिकों को मंत्री द्वारा प्रमाणपत्र दे कर समान्नित किया गया. वैज्ञानिकों को सम्मानित करते हुए मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा कि यहां 17 युवा वैज्ञानिकों को सम्मानित करते हुए मुझे अति प्रसन्नता हो रही है. देश और दुनिया में विकसित देश के वैज्ञानिक उन्नत हथियार बना रहे हैं, जिस से बड़ी संख्या में इनसानों को खत्म किया जा सके. लेकिन हमें आप पर गर्व है कि आप सभी युवा वैज्ञनिक उन्नत खेती के लिए दिनरात एक कर के शोध कर रहे हैं, ताकि कोई भूखा न सोए.

गौरतलब है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने देश में प्रतिभाओं को आकर्षित करने एवं उच्च कृषि शिक्षा को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (नाहेप) की शुरुआत की गई थी. इस परियोजना को विश्व बैंक और भारत सरकार द्वारा 50:50 यानी फिफ्टीफिफ्टी के आधार पर वित्तपोषित है. इस परियोजना के अंतर्गत स्नात्तक एवं स्नातकोतर विषयों के सभी पाठ्यक्रम को बनने के लिए देशभर के कृषि वैज्ञानिकों से आवेदन मांगे गए थे और इसी क्रम में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के 17 वैज्ञानिकों का चयन 31 पाठ्यक्रम बनाने के लिए आईसीएआर व नाहेप द्वारा किया गया था. इन्हीं वैज्ञानिकों ने इस मैनुअल को तैयार किया है. कुलपति ने मैनुअल तैयार करने वाले वैज्ञानिकों की तारीफ की.

इन वैज्ञानिकों को किया गया सम्मानित

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कार्यक्रम में डा. अंशुमान कोहली, डा. रूबी रानी, डा. श्वेता शांभवी, डा. राजीव रक्षित, डा. एच. मीर, डा. शशांक शेखर सोलंकी, डा. मृणालिनी कुमारी, डा. मैनाक घोष, डा. वसीम सिद्दीकी, डा. अनुपम दास, डा. तमोघना साहा, ई. विकास चंद्र वर्मा, डा. मनोज कुंडू, डा. प्रीतम गांगुली, डा. तुषार रंजन, डा. चंदन पांडा एवं डा. कल्मेश मंगवी को सम्मानित किया गया.

बिहार कृषि महाविद्यालय के सौ वर्षों के सफर पर वृत्तचित्र का हुआ लोकार्पण

मंत्री कुमार सर्वजीत ने बीएयू के मीडिया सेंटर द्वारा निर्मित ऐतिहासिक फिल्म का लोकार्पण किया. इस फिल्म में एक ब्रिटिश राज में सबौर में कृषि महाविद्यालय खोलने से ले कर विश्वविद्यालय बनाने तक के सफर को दिखाया गया.

लोकगीत पर आधारित जागरूकता कार्यक्रम का लोकार्पण

सामुदायिक रेडियो एफएम ग्रीन पर एक जागरूकता कार्यक्रम “फसल अवशेष मत जलाना, यह है खेती का गहना” का लोकार्पण मंत्री कुमार सर्वजीत ने किया. यह कार्यक्रम लोकगीत और नाटक के जरीए लोगों से फसल अवशेष और पुआल नहीं जलाने का संदेश देता है. मंत्री कुमार सर्वजीत के लोकार्पण के साथ ही रेडियो पर एक लोकगीत का प्रसारण हुआ, जिस के बोल थे “खेत में अगर जलाया पुआल, मिट्टी हो जाएगी बेहाल…” यह लोकगीत स्थानीय कलाकार ताराकांत ठाकुर ने गया है.

इस मौके पर मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा कि कृषि गीत आजकल लुप्त हो रहे हैं. अतः बीएयू का एक कृषि गीत संकलन करने का एक अच्छा प्रयास है.

गुड प्रैक्टिस एंड एक्स्टेंशन मौडल’ पुस्तक का हुआ विमोचन

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विश्वविद्यालय में किसानों के हितों में किए गए शोध और चलाए गए कार्यक्रमों का संकलन एक पुस्तक में किया गया है, जिस का नाम है, “गुड प्रैक्टिस एंड एक्स्टेंशन मौडल’. मंत्री एवं सभी गणमान्य व्यक्तियों ने पुस्तक का विमोचन किया.

 

इन कार्यक्रमों का स्वागत भाषण प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरके सोहाने ने किया, संचालन डा. स्वेता संभावी ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन अधिष्ठाता कृषि डा. एके साह ने किया. इस आशय की सूचना विश्वविद्यालय के पीआरओ डा. राजेश कुमार ने दी.

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