Cotton : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में पिछले दिनों तमिलनाडु, कोयंबटूर के आईसीएआर गन्ना प्रजनन संस्थान में कपास उत्पादकता बढ़ाने को ले कर अहम बैठक का आयोजन हुआ.

इस बैठक में भारत में कपास का इतिहास, परिदृश्य, चुनौतियां, उत्पादकता बढ़ाने के लिए आगामी रणनीतियों पर गहन विचारविमर्श हुआ. इस अवसर पर केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह, हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा, महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे, विभिन्न राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर, आईसीएआर के महानिदेशक एमएल जाट, अधिकारीगण, हितधारक, वैज्ञानिक और किसान उपस्थित रहे.

इस बैठक से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री ने खेतों में जा कर कपास उत्पादक किसानों से बातचीत की और हितधारकों से परामर्श करते हुए उन की समस्याओं एवं चुनौतियों के बारे में भी जाना. इस के बाद बैठक की शुरुआत हुई. जहां केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तमिलनाडु, भारत का अत्यंत प्राचीन और महान प्रदेश है. तमिलनाडु की इस धरती से अब कपास की क्रांति की शुरुआत होने जा रही है. इस बैठक का विचारमंथन मात्र औपचारिकता नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि जिंदगी में रोटी के बाद सब से बड़ी जरूरत कपड़ा है. जैसे रोटी के बिना नहीं रहा जा सकता, वैसे ही कपड़े के बिना भी रहना असंभव है. कपड़ा बनता है कपास से और कपास पैदा करते हैं किसान. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उस की आत्मा है. कपास उत्पादन में कुछ समस्याएं सामने आ रही हैं. दूसरे देशों के मुकाबले देश में उत्पादन कम हो रहा है. कपास उत्पादन के लिए विकसित बीटी कॉटन किस्म में वायरस अटैक के कारण कई तरह की समस्या पैदा हो गई हैं, जिस कारण उत्पादन बढ़ने की बजाय घट रहा है. जिस के लिए हमें काम करना होगा.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दुनिया के बाकी देशों के समान भारत में भी कपास उत्पादन बढ़ाने को ले कर हरसंभव कदम उठाने होंगे. आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर अपने लक्ष्यों को साथ ले कर हमें आगे बढ़ना होगा. वायरस प्रतिरोधी उन्नत बीज बनाने होंगे. एक तय समय सीमा में किसानों तक इन उन्नत किस्म के बीज की पहुंच भी करनी होगी. साथ ही, उन्होंने कहा कि कई बार उन्नत किस्म के बीज तैयार कर लिए जाते हैं, लेकिन उचित समय पर किसानों तक नहीं पहुंच पाते. इस काम की पूर्ति के लिए वैज्ञानिकों को पूरी ताकत से काम करना होगा.

उन्होंने कहा कि अलगअलग राज्यों से आए किसानों की समस्याओं और मांगों को सुन कर उसी के आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी. कपड़ा बनाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले कपास की जरूरत है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें प्रतिबद्धता से काम करना है. विकसित भारत में कपास बाहर से क्यों मंगवाना पड़े. अपने देश की जरूरत के अनुसार अच्छी गुणवत्ता वाला कपास पैदा करने की चुनौती और लक्ष्य हमारे सामने है, जिस के लिए हम सब एकजुट होकर प्रयास करेंगे.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान में कपड़ा उद्योग जगत द्वारा विदेशों से कपास आयात के लिए आयात शुल्क खत्म करने की मांग की जाती है. किसान अपनी बात रखते हुए कहते हैं कि अगर बाहर से कपास सस्ता आएगा तो देश में हमारे कपास की कीमत भी कम हो जाएगी. इसलिए हमें किसान और उद्योग जगत दोनों का ध्यान रखना है.

उन्होंने कहा कि उद्योग जगत को जिस प्रकार के लंबे स्टेपल गुणवत्तापूर्ण कॉटन की जरूरत है, हमारी कोशिश होगी कि उसी स्तर के कॉटन का उत्पादन हो सके. उन्होंने कहा कि इस के लिए टीम कॉटन का गठन किया जाएगा जिस में कपड़ा मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और आईसीएआर (जो कृषि मंत्रालय के अधीन है), केंद्र सरकार और राज्य सरकार के प्रतिनिधि, कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर, प्रगतिशील किसान शामिल होंगे. साथ ही साथ कॉटन इंडस्ट्री से जुड़े लोग, बीज/सीड इंडस्ट्री से जुड़े लोग, मशीनीकरण (मैकेनाइजेशन) के काम में लगे लोग चाहे वो मैकेनाइजेशन आईसीएआर का डिवीजन हो या प्राइवेट सेक्टर में लोग काम कर रहे हों, सभी मिल कर एक दिशा में काम करेंगे और जो लक्ष्य तय किया है, उस लक्ष्य को हम 2030 से पहले ही प्राप्त करेंगे. मिशन कॉटन को सफल बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे.

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