आप ने अकसर दुकानों में यह लिखा देखा होगा कि फैशन के दौर में गारंटी की इच्छा न करें, क्योंकि आज के दौर में नकली चीजों की भरमार हर जगह और हर वस्तुओं में है. इस से देश के किसान भी अछूते नहीं हैं.

पहली समस्या किसानों के सामने यह होती है कि वे लोग बहुत ही कम पढ़ेलिखे होते हैं. इस बात का फायदा दुकानदार, बीज, कैमिकल, कीटनाशक या खाद में कम नामतौल या फिर नकली सामान दे कर उठाते हैं. किसानों को जब इस की जानकारी मिलती है तब तक काफी देर हो चुकी होती है.

दुकानदार यह जानता है कि किसान हम से ज्यादा उलझ नहीं सकता और इसी तरह से साल दर साल किसान ठगे जा रहे हैं.

किसान कभी नकली बीज के नाम पर तो कभी कीटनाशक के नाम पर ठगा जाता है. लेकिन मुआवजे के नाम पर अकसर किसानों को कुछ नहीं मिलता है. लेकिन एक ऐसी संस्था है, जहां शिकायत कर के किसान अपने नुकसान की भरपाई कर सकता है और वह है उपभोक्ता फोरम.

इस संस्था में कोई भी किसान अपनी शिकायत दर्ज करा कर अपना हक पा सकता है. देश में गिनती के ही किसान हैं, जो ऐसे समय में उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाते हैं.

देश में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ‘उपभोक्ता फोरम’ में केवल उपभोक्ता ही शिकायत कर सकता है.

अनपढ़ता की वजह से किसान हमेशा से ही ठगे जाते रहे हैं. जब वे संबंधित लोगों से शिकायत करते हैं, तब उन्हें डराधमका कर चुप करा दिया जाता है. किसान अपनी मेहनत की कमाई नकली खादबीज के नाम पर गलती से लुटा देता है.

आज का किसान किसी बीमा कंपनी, बैंक या सेवा प्रदाता से पीडि़त होता है. वह इन की जिला स्तर पर उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकता है. बस जरूरत इस बात की होती है कि किसान के पास कोई न कोई पुख्ता सुबूत जरूर हो. जैसे कि अगर बीज खराब निकल गया है तो किसान उस बीज की लैबोरेटरी में जांच करा ले, जिस से उस कंपनी के खिलाफ उस के पास पुख्ता सुबूत हों.

किसान पहले तो अपने लैवल पर भी उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकता है. अगर इस में कोई परेशानी आती हो, तब वह वकील की मदद से भी शिकायत दर्ज करा सकता है.

किसानों को चाहिए कि वह जब भी बीज, खाद या कोई उपकरण खरीदे तो उन्हें इस की पक्की रसीद जरूर लेनी चाहिए, क्योंकि अकसर देखा जाता है कि किसान बिना किसी ठोस सुबूत के आते हैं. ऐसे में किसानों के सामने थोड़ीबहुत मुश्किलें जरूर आती हैं, मगर कोई भी किसान या किसानों का समूह उपभोक्ता फोरम के जरीए अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है.

कुछ समय पहले बीटी कपास के बीज को विकसित करने वाली एक बड़ी बीज कंपनी ने किसानों से इस बात का दावा किया था कि बीटी कौटन कीटों के हमलों से बेअसर रहेगी, इसलिए आप इस की बोआई करें तो ज्यादा फायदा होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस बीटी कौटन में गुलाबी कीट यानी पिंक बालवर्म की वजह से महाराष्ट्र के तकरीबन 41 लाख कपास किसानों की फसलें चौपट हो गई थीं.

महाराष्ट्र सरकार ने बीज कंपनियों और बीजों की बिक्री करने वालों पर कार्यवाही की, मगर किसानों को अब तक कोई मुआवजा नहीं मिल सका है. दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार ने भी किसानों को प्रति हेक्टेयर 30,000 रुपए देने का आश्वासन दिया था.

ऐसे करें शिकायत

अगर किसी किसान को शिकायत करनी है तो पहले अफसर को सूचना दें और फिर उपभोक्ता फोरम में लिखित में शिकायत दें. किसान खुद अपने स्तर पर भी शिकायत कर सकता है और अगर वह ज्यादा जानकार नहीं है तो वकील की मदद भी ले सकता है.

किसान की शिकायत सही होने पर उसे पूरा मुआवजा संबंधित व्यक्ति या संस्था से दिलाया जाता है. शिकायत करने के लिए किसान के पास ऐसी पक्की रसीद या कागज होना चाहिए, जो उस की शिकायत का समर्थन करे.

शिकायत की 3 कौपी जमा होती हैं. इन में से एक कौपी उपभोक्ता फोरम के पास तो दूसरी कौपी विक्रेता के पास. तीसरी कौपी खुद किसान के लिए होती है. शिकायत के साथ पोस्टल और्डर या डिमांड ड्राफ्ट के जरीए फीस जमा करनी होती है.

अगर रसीद न हो तो…

किसान के पास खरीद की रसीद न होने की स्थिति में किसान एक शपथपत्र भी दे सकता है. किसान ने उक्त व्यक्ति या कंपनी से बीज खरीदा था और उस की सही सिंचाई और उर्वरक के इस्तेमाल के बावजूद फसल बरबाद हो गई. किसान का यह शपथपत्र मान्य होगा.

उपभोक्ता फोरम में किसान

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो साल 2014 में छत्तीसगढ़ के रायपुर की आरंग तहसील के गांव परसदा के किसान नारद लाल साहू ने एग्री गोल्ड फूड्स ऐंड फार्म प्रोडक्ट कंपनी से वृही नाम का हाईब्रिड धान का बीज खरीदा था. कंपनी ने प्रति एकड़ 35 क्विंटल धान का भरोसा दिया था, मगर खराब बीज की वजह से फसल नहीं हुई.

किसान ने उक्त कंपनी से शिकायत की और कंपनी ने शिकायत को स्वीकार भी किया, मगर किसान नारद लाल को मुआवजा नहीं दिया. तब किसान ने जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की और उपभोक्ता फोरम की अदालत ने किसान को 60,000 रुपए का मुआवजा दिलाया.

साल 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के निवासी कमला देवी के पति भइयालाल की साल 2006 में ट्रेन हादसे में मौत हो गई थी. भइयालाल का किसान बीमा योजना के तहत एक लाख रुपए का बीमा हुआ था और सरकार की ओर से बीमा की धनराशि भी जमा की गई, मगर बीमा कंपनी आईसीआईसीआई लौंबार्ड इंश्योरैंस बीमा धनराशि का भुगतान नहीं कर रही थी.

इस के बाद उन की पत्नी कमला देवी ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत की और अंत में फोरम ने बीमा कंपनी से किसान की बीवी को 12 फीसदी ब्याज के साथ एक लाख रुपए और मुकदमे पर खर्च हुई धनराशि का भुगतान करने का फैसला सुनाया.

इसी तरह मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के सोहागपुर ब्लौक के शोभापुर के बाशिंदे किसान आशुतोष उत्तम जैन ने साल 2012-14 में फसल का नुकसान होने पर कम बीमा राशि मिलने पर उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी.

यह शिकायत उपभोक्ता संरक्षण समिति की ओर से किसान ने उपभोक्ता फोरम में दाखिल की. इस पर किसान ने बताया कि बकाया राशि 2 साल पहले मिलनी थी, मगर अब तक नहीं मिली है. इसलिए किसान को ब्याज के साथ राशि दी जाए.

इस मामले पर उपभोक्ता फोरम ने भारतीय स्टैट बैंक पर 20,000 रुपए का जुर्माना लगाया. इस के अलावा बैंक को परिवादी को 7,000 रुपए मानसिक प्रताड़ना के और वाद व्यय के 3,000 रुपए भी चुकाने का आदेश दिया गया.

किसान उपभोक्ता फोरम के जरीए ऐसे नुकसान का मुआवजा हासिल कर सकता है. किसान सिर्फ जिला स्तर पर ही नहीं, बल्कि राज्य स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर भी शिकायत कर सकता है.

मोबाइल ऐप पर एसएमएस से जांचें मामला : उपभोक्ताओं के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम ने एसएमएस और मोबाइल ऐप के जरीए मामले की जांच की सुविधा दी है. इस के तहत उपभोक्ता वेबसाइट पर क्लिक कर केश इन्क्वायरी विकल्प पर जा कर एसएमएस की पूरी जानकारी हासिल कर सकता है, वहीं मोबाइल ऐप से जानकारी के लिए किसान को ऐप को डाउनलोड करना होगा, जिस से वह अपने मामले की संख्या से जानकारी ले सकता है.

इस तरह से किसान को अपनी मेहनत का पैसा मिल जाता है. इसे ठगने के लिए दुकानदार या बीमा कंपनियां बैठी रहती हैं. काफी समय से बीज भंडार वाले किसानों को हाईब्रिड बीज के नाम पर चूना लगा रहे हैं, क्योंकि बहुत कम किसान ही उन की शिकायत करते हैं.

इस से ज्यादा बीमा कंपनी के एजेंट किसानों के अशिक्षित होने का फायदा उठा कर उन से पैसे तो ऐंठ लेते हैं, लेकिन जब फसल खराब हो जाती है तब उन्हें दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर करते हैं. उपभोक्ता फोरम की मदद से कई किसानों को उन का हक मिला है. इस से उत्साहित हो कर किसान अब उपभोक्ता फोरम की चौखट पर जाने लगे हैं.

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