नाबार्ड योजना के तहत गन्ना किसानों को कृषि निवेश वितरण के लिए समय से मदद मिल सके, इस के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना विकास विभाग के अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि पूर्वांचल क्षेत्र के छोटे व सीमांत किसानों के फायदे मिल सके एवं ऐसे गन्ना समिति क्षेत्रों में जहां पिछले कई सालों से किन्हीं वजहों से उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा था.

हाल ही में सरकार ने निर्णय लिया है कि वहां की समितियों द्वारा सीमांत व छोटे पंजीकृत गन्ना किसानों के हित में 5 लाख रुपए से ले कर एक करोड़ रुपए तक की सीमा के ‘‘कृषि निवेश कोष’’ नामक रिवाल्विंग फंड की स्थापना की जाए. इसी क्रम में गन्ना किसानों का हक दिलाने के लिए प्रदेश में विख्यात अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास संजय आर. भूसरेड्डी ने त्वरित निर्णय लेते हुए इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं.

इस संबंध में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्रदेश की सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों के मुख्य उद्देश्यों में गन्ने की नवीनतम उन्नतशील प्रजातियों का बीज, खाद और उर्वरक, कीटनाशक दवाएं, कृषि यंत्र, सिंचाई के साधन और कृषि संबंधी दूसरे उपकरणों का प्रबंध करना एवं इस के लिए सदस्यों को ऋण के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान कराना और इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पूंजी का इंतजाम करना गन्ना समितियों का काम है. गन्ना विकास के कामों में वृद्धि के लिए और गन्ना विकास विभाग की योजनाओं का लाभ, विशेषकर सीमांत व छोटे पंजीकृत गन्ना किसान सदस्यों को उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश की ऐसी गन्ना समितियों के कार्यक्षेत्र में, जहां कई सालों से जिला सहकारी बैंक सक्रिय नहीं हैं और नाबार्ड योजना के तहत गन्ना किसानों को कृषि निवेश के लिए माली मदद मुहैया नहीं हो पा रही है. ऐसी गन्ना समितियों के कार्य को गति देने के लिए ‘‘गन्ना निवेश कोष’’ नामक रिवाल्विंग फंड की स्थापना के निर्देश जारी किए गए हैं.

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