Subsidy : बाजरा श्रीअन्न की प्रमुख फसल है. उत्तर प्रदेश में धान, गेहूं एवं मक्का के बाद तकरीबन 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बाजरा की खेती की जाती है. बाजरे के दानों में भरपूर पौष्टिकता होती है. विशेष रूप से फाइबर, प्रोटीन, विटामिन बीकौम्पलैक्स, कैल्शियम, फास्फोरस एवं मैगनीज तत्वों के साथ एंटीऔक्सीडैंट भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है. इस से बाजार में इस की मांग बढ़ जाती है. बाजरा के प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं.

बाजरे के उत्पाद मधुमेह के नियंत्रण, हृदय के स्वास्थ्य सुधार हेतु उपयुक्त, ग्लुटेन की मात्रा कम पाए जाने के कारण पेट के रोगों से राहत दिलाने में सहयोग के साथ ही वर्तमान समय में मोटापा कम करने और वजन सुधार में भी लाभदायक है. इस के अतिरिक्त वैज्ञानिक शोध एवं तकनीकी विकास के कारण बाजरे के दानों से कई प्रकार की औषधियों का भी निर्माण किया जा रहा है. वर्तमान में उत्तर प्रदेश की सरकार इन्हीं गुणों को देखते हुए बाजरा (श्रीअन्न) को  किसानों के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं.

बाजरा की खेती अपेक्षाकृत कम बारिश (400-500 मिलीमीटर) में भी की जा सकती है. वर्तमान में लगभग प्रदेश के 29 जनपदों में औसत से कम बारिश पाई गई है. जहां कम बारिश के कारण धान की खेती नहीं की जा सकती, किसानों के लिए उन क्षेत्रों में बाजरा की फसल लेना लाभदायक सिद्ध होगा. बाजरा की फसल लगभग धान की असफल बोआई की स्थिति में अगस्त माह के मध्य तक कर सकते हैं.

फसल की अवधि अधिकतम 80-85 दिन होने के कारण 10 नवंबर के पहले कटाई कर रबी की फसल की बोआई समय से की जा सकती है. बाजरा की फसल से 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल जाता है, तो दूसरी तरफ धान की अपेक्षा लागत कम होने और बाजरे का बाजार मूल्य अधिक होने के कारण प्रति इकाई किसानों को अपेक्षाकृत अधिक लाभ की संभावना हो सकती है. बाजरा की संकर प्रजाति 86एम84, बायो-8145, एनबीएच-5929 के साथ संकुल प्रजाति धनशक्ति की उत्पादन क्षमता 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है.

उत्तर प्रदेश का काफी क्षेत्रफल असमतल और कम बारिश आधारित होने के कारण धान की खेती के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं. ऐसी भूमि में भी बाजरा की खेती कर किसान अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं. परंतु, बोआई से पहले भूमि जनित रोगों से बचाने के लिए ट्राईकोडर्मा  हर्जियानम 2 फीसदी पाउडर का 2.50 किलोग्राम की मात्रा से भूमि शोधन करना आवश्यक होता है.

उत्तर प्रदेश सरकार राजकीय कृषि बीज भंडारों के माध्यम से बाजरे की संकर प्रजाति के बीज पर अनुदान उपलब्ध करा रही है, जिस से किसानों की लागत कम हो जाती है, दूसरी तरफ सरकार द्वारा बाजरे की फसल वर्ष 2022-23 से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरा का क्रय किया जा रहा है. इस से किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त होने से अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने की संभावना बढ़ सकती है. कृषि विभाग ने किसानों से अनुरोध किया है कि खरीफ के मौसम में भूमि की उपयुक्तता के अनुसार बाजरे की खेती कर सरकारी योजनाओं के माध्यम से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

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